एक बीमारी और अपनों ने छोड़ा साथ, 8 साल पहले बेटे को अस्पताल में भर्ती करा क… – भारत संपर्क

0
एक बीमारी और अपनों ने छोड़ा साथ, 8 साल पहले बेटे को अस्पताल में भर्ती करा क… – भारत संपर्क

गुलियन बैरे सिंड्रोम
उत्तर प्रदेश के बरेली से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां भोजीपुरा में एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में 2016 में निशांत गंगवार नाम के एक 15 साल के बच्चे को उसके घरवालों ने भर्ती कराया था. निशांत कोगुलियन बैरे सिंड्रोम बीमारी थी. निशांत गंगवार के घरवाले उसे भर्ती कराकर अपने घर चले गए. सालों बीत गए लेकिन निशांत के घरवाले लौटकर नहीं आए. आठ साल तक मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने उसका इलाज किया, लेकिन शुक्रवार को कार्डियक अरेस्ट से उसकी मौत हो गई.
निशांत की मौत के बाद अंतिम संस्कार कराने के लिए कॉलेज प्रशासन ने जिला प्रशासन और भोजीपुरा थाना को इसकी सूचना दी. इस पर एसडीएम सदर गोविंद मौर्य का कहना है कि सीएमओ से बात हुई है. पुलिस शव का पंचनामा कराकर पोस्टमार्टम कराएगी. फिर संबंधित धर्म के एनजीओ के जरिए शव का अंतिम संस्कार कराया जाएगा. फिलहाल, निशांत के शव को मेडिकल कॉलेज की मोर्चरी में रखा गया है.
जन्म से नहीं चल पाता था निशांत
निशांत गंगवार जन्म से ही वह नहीं चल पाता था और असमर्थ था. मेडिकल कॉलेज की ओर से निशांत के इलाज की सूचना जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस प्रशासन को समय समय पर दी जाती रही. समाचार पत्रों में भी निशांत के संबंध में कई समाचार प्रकाशित हुए, लेकिन निशांत के माता-पिता या कोई रिश्तेदार उसे देखने नहीं आए. तब से मेडिकल कॉलेज प्रशासन ही निशांत का इलाज और ख्याल रख रहा था. डॉक्टरों का कहना है कि गुलियन बैरे सिंड्रोम से पीड़ित होने की वजह से निशांत के हाथ-पैर कमजोर हो गए थे और वह चलने फिरने और सामान उठाने में असमर्थ था.
क्या है गुलियन बैरे सिंड्रोम बीमारी?
जब TV9 भारतवर्ष के संवाददाता मनवीर सिंह ने कॉलेज के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. आरपी सिंह इस बीमारी के बारे में जानकारी ली तो बताया कि गुलियन बैरे सिंड्रोम लाइलाज विकार है. इससे पीड़ित के शरीर में दर्द होता है. बाद में मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं. धीरे-धीरे शरीर लकवाग्रस्त हो जाता है. प्रतिरोधी क्षमता प्रभावित होने के कारण इसे आटो इम्यून डिजीज भी कहते हैं. इससे तंत्रिका तंत्र पर भी असर पड़ता है और तंत्रिकाएं मस्तिष्क के आदेश नहीं पकड़ पाती हैं, न ही मांसपेशियों को पहुंचा पाती हैं. रोगी को किसी चीज की बनावट पता नहीं चलती. सर्दी, गर्मी और दूसरी अनुभूतियां भी महसूस नहीं होती हैं और मरीज को बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

एनटीपीसी लारा में मनाया जा रहा है स्वच्छता ही सेवा अभियान 2024 – भारत संपर्क न्यूज़ …| राशिद खान ने जन्मदिन पर रचा इतिहास, ऐसा करने वाले बने दुनिया के पहले खिलाड़… – भारत संपर्क| थाने में फरियाद लेकर आया और हो गई हार्ट अटैक से मौत, घरवालों का आरोप- पुलिस… – भारत संपर्क| *big breaking jashpur:- फुटबॉल मैच देखने निकला था नाबालिग और दैहिक शोषण…- भारत संपर्क| Amazon Great Indian Festival Sale शुरू होने से पहले ऑफर्स से उठा पर्दा, मिलेंगी… – भारत संपर्क