अरबों के कर्ज में डूबी है अनिल अग्रवाल की ये कंपनी, अब बना…- भारत संपर्क

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अरबों के कर्ज में डूबी है अनिल अग्रवाल की ये कंपनी, अब बना…- भारत संपर्क
अरबों के कर्ज में डूबी है अनिल अग्रवाल की ये कंपनी, अब बना रही सबसे ज्यादा चांदी

उद्योगपति अनिल अग्रवाल (फाइल फोटो)

वेदांता ग्रुप के मालिक अनिल अग्रवाल जहां एक तरफ कंपनी पर बाकी कर्ज को घटाकर 3 अरब डॉलर पर लाने की जद्दोजहद कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ उनके ही ग्रुप की एक कंपनी ने नया रिकॉर्ड बनाया है और वह अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी चांदी प्रोड्यूसर बन गई है.

वेदांता ग्रुप भारत में मौजूद 4 बड़ी चांदी खदानों की मालिक है. इन खदानों से चांदी निकालने का काम वेदांता लिमिटेड की सब्सिडियरी कंपनी हिंदुस्तान जिंक करती है. इसी कंपनी ने अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी चांदी प्रोड्यूसर होने का कीर्तिमान बनाया है.

कभी सरकारी कंपनी थी हिंदुस्तान जिंक

हिंदुस्तान जिंक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी जिंक उत्पादक पहले से है. अब कंपनी तीसरी सबसे बड़ी चांदी उत्पादक भी बन गई है. पिछले साल तक कंपनी दुनिया की चौथी बड़ी चांदी उत्पादक थी. कंपनी ने गुरुवार को इस बारे में एक बयान जारी किया है. कंपनी का कहना है कि उसकी राजस्थान के सिंदेसर खुर्द की खदान दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी चांदी उत्पादक खान बन गई है.

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सिंदेसर खुर्द के अलावा वेदांता लिमिटेड के पास राजस्थान में ही रामपुरा अगुचा माइन, जावर माइन और राजपुरा दरीबा माइन भी हैं. इन सभी खदानों से चांदी का खनन किया जाता है. हिंदुस्तान जिंक एक समय में सरकारी कंपनी होती थी. साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय इसका निजीकरण कर दिया गया और इसे वेदांता ग्रुप ने खरीद लिया.

हिंदुस्तान जिंक के उत्पादन में दिखी इतनी ग्रोथ

हिंदुस्तान जिंक की चेयरपर्सन प्रिया अग्रवाल हेबर ने कहा कि दुनिया में एनर्जी सेक्टर में चांदी की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. इसलिए चांदी की भूमिका अहम है. हिंदुस्तान जिंक के उत्पादन में सालाना पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इसका श्रेय अयस्क उत्पादन में वृद्धि और चांदी की उन्नत ग्रेड को जाता है. यही वजह है कि चांदी के ग्लोबल मार्केट में हिंदुस्तान जिंक की स्थिति मजबूत हुई है.

जस्ता और चांदी के अलावा वेदांता ग्रुप सीसा खनन में भी काम करती है. कंपनी के पास भारत में बढ़ते जस्ता बाजार में 75 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है. इसका मुख्यालय उदयपुर में है. इसकी जस्ता, सीसा खदानें और गलाने के परिसर पूरे राजस्थान में फैले हुए हैं.

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