हरदा: खेलने के उम्र में 200 रुपये के लिए बारुद के ढेर पर बैठे थे बच्चे, दो … – भारत संपर्क
हरदा में अभी भी जारी है राहत कार्य
मध्य प्रदेश के हरदा की पटाखा फैक्ट्री के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. जांच में पता चला है कि यह फैक्ट्री कृषि भूमि पर बनी थी. इमारत में विस्फोटकों के भंडारण के लाइसेंस तो थे, लेकिन इन्हें दो साल पहले ही निरस्त कर दिया गया था. बावजूद इसके यहां भंडारण जारी था. यही नहीं, इस फैक्ट्री में ज्यादातर मजदूर नाबालिग थे और इन्हें 200 रुपये की दिहाड़ी पर रखा गया था. इन्हें दिन भर में कम से कम एक हजार बम बांधने का टारगेट दिया गया था.
यह खुलासा पुलिस और प्रशासन की ओर से गठित कमेटी की जांच में हुआ है. इस जांच में पता चला है कि दो साल पहले तक भंडारण का लाइसेंस लेकर फैक्ट्री मालिक राजेंद्र और सोमेंद्र पटाखे बनाकर बेचने का काम करते थे. इस अनियमितता का खुलासा होने के बाद प्रशासन ने इनके लाइसेंस तो रद्द कर दिए, लेकिन इसके बाद कभी यह देखने की कोशिश नहीं की कि इस फैक्ट्री का क्या उपयोग हो रहा है. यह स्थिति उस समय है, जब इस फैक्ट्री को लेकर दर्जनों शिकायतें जिला प्रशासन और पुलिस को स्थानीय लोगों की ओर से दी गई थीं.
फैक्ट्री में बांधते थे सुतली बम
कमेटी की जांच में पता चला है कि फैक्ट्री मालिक बारुद से सुतली बम बनवाते थे और मार्केट में सप्लाई करते थे. जांच में यह भी पता चला है कि इस फैक्ट्री के आगे वाले हिस्से में कॉमर्शियल उपयोग की अनुमति दी गई थी. वहीं पीछे का हिस्सा कृषि कार्य में इस्तेमाल होना था. दो साल पहले तक इस फैक्ट्री में 15-15 किलो विस्फोटक रखने का लाइसेंस भी था. जांच के दौरान पता चला है कि इस फैक्ट्री में काम करने के लिए उम्र का कोई बंधन नहीं था.
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8 साल के बच्चों भी करते थे काम
फैक्ट्री मालिक ने यहां 8 से 10 साल तक के बच्चों को भी काम पर लगाया था. यहां तैनात एक एक सुपरवाइजर के 20 से 25 बच्चे काम कर रहे थे. एक अनुमान के मुताबिक इस फैक्ट्री में कुल सौ से अधिक लोग काम करते थे. बता दें कि इस फैक्ट्री में आग लगने और विस्फोट होने से कुल 11 लोगों की मौत हुई है, जबकि दर्जनों लोग घायल हुए हैं. अभी तक मृतकों की पहचान नहीं हो सकी है. उनकी पहचान के लिए डीएनए टेस्ट कराया जा रहा है.
नप गए डीएम एसपी
इस मामले में हरदा के डीएम ऋषि गर्ग और एसपी संजीव कुमार कंचन पर एक्शन हो गया है. सरकार ने इन दोनों ही अधिकारियों को हटा दिया है. वहीं इस मामले में सरकार की सख्ती के बाद दोनों आरोपियों और उनके सहयोगियों को अरेस्ट कर लिया गया है. फिलहाल एक आरोपी सोमेंद्र को पुलिस ने रिमांड पर लिया है. वहीं बाकी आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया है. दूसरी ओर, इस मामले पर संज्ञान लेते हुए मानवाधिकार आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव और गृह सचिव से जवाब तलब किया है.