फर्जी ईडब्ल्यूएस मामले में बाबू प्रहलाद नेताम हटाए गए, एक…- भारत संपर्क


बिलासपुर। फर्जी ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र बनाने के मामले में तहसील कार्यालय में सोमवार को दिनभर जांच चली। इस दौरान संबंधित आवेदकों और कर्मचारियों के बयान लिए गए। जांच के दौरान बाबू प्रहलाद सिंह नेताम और एक वकील का नाम सामने आया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए बाबू नेताम को प्रभार से हटाकर आवक-जावक शाखा में भेजा गया है।
जांच में यह स्पष्ट हुआ कि तीन छात्राओं – श्रेयांशी गुप्ता (सरकंडा), सुहानी सिंह (लिंगियाडीह), और भाव्या मिश्रा (सरकंडा) के नाम से बनाए गए ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र फर्जी हैं। तहसीलदार द्वारा बयान लेने पर दो आवेदकों ने सीधे बाबू का और एक ने वकील का नाम बताया। इस प्रकरण में बाबू के साले का नाम भी जुड़ रहा है।
इस जांच की शुरुआत तब हुई जब आयुक्त चिकित्सा शिक्षा ने एमबीबीएस एडमिशन में प्रस्तुत किए गए ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्रों की जांच के लिए तहसील को पत्र लिखा था। दस्तावेजों की पड़ताल में गड़बड़ी सामने आने पर तहसील प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की।
बाहरी लोगों की भूमिका पर संदेह
तहसील कार्यालय की कई शाखाओं में प्राइवेट कर्मचारियों से काम लिया जाता है। सरकारी रिकॉर्ड उनके हाथ में होने से गड़बड़ी की आशंका और भी बढ़ जाती है। नियमित कर्मचारियों की कमी भी लंबित मामलों का बड़ा कारण बताई जा रही है।
परिजनों ने दस्तावेजों को सही ठहराया
आरोपित छात्रा भाव्या मिश्रा और उसके पिता सूरज मिश्रा ने अपने दस्तावेजों को वैध बताते हुए कहा कि हर बार बुलाने पर वे तहसील पहुंचे और सत्यापन करवाया। उनका कहना है कि 16 अगस्त को भी तहसीलदार प्रकृति ध्रुव ने दस्तावेज लौटाते हुए एडमिशन कराने की अनुमति दी थी, इसके बावजूद अब उन्हें फर्जी बताया जा रहा है।
कार्रवाई की तैयारी
तहसीलदार गरिमा सिंह ने बताया कि जांच अभी जारी है। बयानों के आधार पर बाबू और एक वकील की भूमिका सामने आई है। बाबू पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा।