निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन बिलासपुर शाखा द्वारा बांगला…- भारत संपर्क



बिलासपुर। निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन की बिलासपुर शाखा द्वारा हाल ही में श्री रामकृष्ण मंदिर, हेमू नगर स्थित सभा भवन में बांगला नववर्ष को उत्साहपूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सम्मेलन के अध्यक्ष श्री अजय गांगुली द्वारा दीप प्रज्वलन और शिल्पी अतुल प्रसाद सेन की प्रतिकृति पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। इस अवसर पर उन्होंने उपस्थित जनों को नववर्ष की शुभकामनाएं दीं।
कार्यक्रम में सम्मेलन गीत “मोदेर गरोब मोदेर आशा” की सुमधुर प्रस्तुति दी गई। इसके साथ ही सलिल चौधरी और नजरूल इस्लाम की रचनाओं “पुरानों दिन पुरानो मोन” एवं “तोरा सब जयोध्वनि कर” जैसे प्रसिद्ध कोरस गीतों का गायन किया गया।
संगीत कार्यक्रम में एकल और समूह प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। निहार रंजन मल्लिक, अचिन्त्य कुमार बोस, प्रबाल मुखर्जी, सौरभ चक्रवर्ती, देवाशीष सरकार, पृथा सरकार, अर्निमा पाल, रत्ना चटर्जी, महुआ नंदी, मौसमी चक्रवर्ती, मल्लिका सरकार, मौमिता चक्रवर्ती, श्रावणी दत्त, डॉ. सोमा लाहिड़ी मल्लिक, रीता राय, सपन राय, तपती मोइत्रा, शिल्पी सी, उमा दास, शिवानी चक्रवर्ती जैसे कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से समां बांध दिया।
कविता पाठ पार्थो सरकार, राजा दासगुप्त और रुपा राहा द्वारा किया गया। तबला संगत जय डे ने निभाई।
कार्यक्रम का विशेष आकर्षण श्रुति नाटक “कर्ण-कुन्ती संवाद” रहा, जिसमें डॉ. सोमा और असित बरन दास ने अभिनय किया। संगीत निर्देशन में निहार मल्लिक, प्रबाल मुखर्जी और देवाशीष सरकार ने सहयोग दिया।
संपूर्ण कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ. सोमा ने किया। इस अवसर पर एम. एन. चटर्जी, पल्लव धर, एस. एन. चटर्जी, श्रीलेखा बनर्जी, संहिता बाग, दीपिका विश्वास, तरुण विश्वास, भक्तिमय चौधरी, देवब्रत मजुमदार, मुनमुन सी सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक रहा, बल्कि बांग्ला साहित्य और संगीत की विरासत को सहेजने का एक सराहनीय प्रयास भी रहा।
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