इस वजह से आंख नहीं दिखा पा रही भारत में महंगाई, सरकार ने…- भारत संपर्क

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इस वजह से आंख नहीं दिखा पा रही भारत में महंगाई, सरकार ने…- भारत संपर्क
इस वजह से आंख नहीं दिखा पा रही भारत में महंगाई, सरकार ने बताया कीमत कंट्रोल का धांसू तरीका

निर्मला सीतारमण

इस साल लोकसभा चुनाव होने हैं. इसको लेकर सरकार हर तरह से कोशिश कर रही है कि देश में महंगाई को जल्द से जल्द कंट्रोल किया जा सके. इसको लेकर हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि विशेषकर जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के चलते महंगाई संतोषजनक सीमा के भीतर आ गई है. दरअसल ये जानकारी उन्होंने राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए दी है. सीतारमण ने कहा कि भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) प्याज को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए गामा किरणों के माध्यम से इसे नमीमुक्त करने पर सरकार के साथ काम कर रहा है.

भारत की खुदरा महंगाई का हाल?

उन्होंने कहा कि सरकार उन कठिनाइयों से अवगत है, जो खराब होने वाली वस्तुओं की कमी के कारण उत्पन्न होती हैं, जो भारत में नहीं उगाई जाती हैं. समिति समय-समय पर बैठती है और समीक्षा करती है, और प्रयासों से जमीन पर पता चला है कि महंगाई अब सहनीय सीमा के भीतर है. भारत की खुदरा महंगाई अप्रैल-दिसंबर, 2022 में औसतन 6.8 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2023 की इसी अवधि में 5.5 प्रतिशत रह गई है. खुदरा महंगाई अब स्थिर है और चार प्रतिशत (दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ) के संतोषजनक स्तर पर है.

ऐसे पाया प्याज की कीमतों पर काबू

वित्त मंत्री ने कहा कि प्याज की कीमतों में अस्थिरता को रोकने के लिए सरकार ने इसके बफर आकार को वर्ष 2020-21 के एक लाख टन से बढ़ाकर वर्ष 2023-24 में सात लाख टन कर दिया है. तीन फरवरी, 2024 तक कुल 6.32 लाख टन प्याज की खरीद की गई और 3.96 लाख टन ग्रेड-ए प्याज खुदरा बिक्री, ई-नाम नीलामी और थोक बिक्री के माध्यम से जारी किया गया. मौजूदा समय में कदम उठाए जा रहे हैं ताकि प्याज जैसी बहुत जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं के संरक्षण स्तर में सुधार किया जा सके. उन्होंने कहा कि सरकार ने विशेष रूप से जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं की आपूर्ति में कमी को पूरा करने के लिए कई कदम उठाए हैं.

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सीतारमण ने कहा कि भारत ने कैलेंडर वर्ष 2023 में 8.79 लाख टन तुअर दाल और 15.14 लाख टन मसूर दाल का आयात किया है. इसी तरह देश ने अन्य दालों का आयात किया और उन्हें बाजार में उतारा. चूंकि हम देश में पर्याप्त दालें नहीं उगाते हैं और आपूर्ति में कमी के कारण, दालों की कीमतों में आम तौर पर उतार-चढ़ाव होता रहता है, जिसके लिए फसल अनुमानों का विश्लेषण करके हम आयात के लिए समझौता करना शुरू करते हैं. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई- दिसंबर 2023 में 5.69 प्रतिशत पर थी.

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