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तीन डॉक्टरों के खिलाफ इलाज में लापरवाही के आरोप में दर्ज एफआईआर निरस्त, चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने याचिका पर की सुनवाई

कोरबा। बिलासपुर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि इलाज के दौरान चिकित्सक ने लापरवाही बरती या नहीं, यह तय करने का अधिकार मेडिकल बोर्ड को है। बिना बोर्ड की रिपोर्ट और अनुशंसा के चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने कोरबा के 3 डॉक्टरों के खिलाफ इलाज में लापरवाही के आरोप में दर्ज एफआईआर को निरस्त कर दिया है। दरअसल आरोपी डॉक्टरों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि आरोप के संबंध में मेडिकल बोर्ड या सक्षम अधिकारी से जांच नहीं कराई गई है।लिहाजा इलाज में लापरवाही बरतने का कोई प्राथमिक मामला नहीं बनता है। इस मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रजनी दुबे ने माना कि मामले में बच्चे की स्थिति के बारे में परिवार को पहले ही बता दिया गया था।इस प्रकरण में मेडिकल बोर्ड या सक्षम अधिकारी से जांच नहीं कराई गई। सर्जरी के बाद बच्चे की मौत हो गई थी। पिता की शिकायत पर तीन डॉक्टरों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया। इसके खिलाफ आरोपी डॉक्टरों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।याचिकाकर्ता चिकित्सकों ने बताया कि उनके खिलाफ चिकित्सा लापरवाही का कोई प्राथमिक मामला नहीं बनता है। शिकायतकर्ता के बेटे को जन्मजात हर्निया के साथ हाइड्रोसील था। उसके माता-पिता की सहमति के बाद सर्जरी की योजना बनाई गई थी। सर्जरी की प्रक्रिया और एनेस्थिसिया के परिणाम को भी स्पष्ट रूप से माता-पिता को बताया गया था। इस मामले में बच्चे के परिजनों का कहना था कि, डॉक्टरों ने बिना उचित योग्यता और साधनों के अपने आर्थिक हित के लिए बच्चे का ऑपरेशन कर दिया। जिससे उसकी मौत हो गई। इस मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने आरोप और लापरवाही सिद्ध न होने पर डॉक्टरों की याचिका स्वीकार कर उनको दोषमुक्त कर दिया है।
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यह था मामला, ऑपरेशन के बाद हुई थी बच्चे की मौत
बालकोनगर थाना क्षेत्र निवासी के दिव्यांश के पिता मनोज केंवट की शिकायत पर पुलिस ने तीन चिकित्सकों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया था। मनोज ने पुलिस में दर्ज शिकायत में बताया कि 6 जनवरी 2021 को उसके बेटे दिव्यांश की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। उसको इलाज के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया। डॉ. प्रभात पाणिग्रही ने उसकी जांच की। जांच के बाद 8 जनवरी को डॉ पाणिग्रही ने दिव्यांश को हार्निया से पीडि़त होने के बारे में बताया। इसके बाद बच्चे का ऑपरेशन कराने की सलाह दी। डॉ. पाणिग्रही ने जिला अस्पताल में ऑपरेशन की सुविधा नहीं होने और बच्चे को ऑपरेशन के लिए बालको नगर के निजी आयुष्मान नर्सिंग होम रेफर कर दिया। 9 जनवरी को दिव्यांश को नर्सिंग होम में भर्ती कर लिया और शाम को उसे ऑपरेशन के लिए ले गए।बच्चे के इलाज के दौरान ऑपरेशन थिएटर में डॉ. पाणिग्रही के साथ आयुष्मान नर्सिंग होम की डॉ. ज्योति श्रीवास्तव और डॉ. प्रतीकधर शर्मा मौजूद थे। बच्चे को ऑपरेशन के लिए ले जाने के करीब आधे घंटे बाद डॉ. पाणिग्राही ने उन्हें बच्चे की तबीयत बिगडऩे की जानकारी दी। बच्चे को कोसाबाड़ी के एक निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया। कुछ ही देर बाद वहां बच्चे की मौत हो गई।

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