*संघ के बौद्धिक वर्ग में पारिवारिक संस्कार और सामाजिक समरसता पर दिया गया…- भारत संपर्क

जशपुरनगर। यहां के सरस्वती शिशु मंदिर में बौद्धिक वर्ग संपन्न हुआ। दिनांक 1 मार्च को सायं 6:30 बजे से आयोजित बौद्धिक वर्ग में सह सर कार्यवाह राम दत्त चक्रधर का हुआ। बौद्धिक के पूर्व सामूहिक गीत आशीष सतपथी द्वारा कराया गया। इसके पश्चात समस्त अतिथियों का परिचय कराया। एवं वर्तमान में ही भारत सरकार द्वारा पद्मश्री प्रदान किए गए जागेश्वर राम का सम्मान सह सर कार्यवाह के कर कमल से हुआ। व्यक्तिगत गीत गिरेन्द्र मिश्रा ने गायन किया। सह सर कार्यवाह ने समस्त स्वयंसेवकों को मार्गदर्शन करते हुए बताया कि वर्तमान परिदृश्य में संपूर्ण विश्व भारत की ओर एकटक नजर से मार्गदर्शन हेतु देख रहा है। आज भारत विकसित राष्ट्र की श्रेणी में आ रहा है चाहे वह सांस्कृतिक दृष्टि से हो अथवा अर्थव्यवस्था की दृष्टि से। सभी मामले आज भारत के द्वारा ही सुलझाए जा सकते हैं। इस प्रकार की मानसिकता विश्व के सभी देशों की मानसिकता में छाई हुई है। सांस्कृतिक दृष्टि से भारत पहले ही संपूर्ण विश्व का मार्गदर्शन करता रहा है। 22 जनवरी को हुए राम मंदिर के उद्घाटन से यह विषय सभी के ध्यान में आती है की यह भारत संपूर्ण विश्व का संस्कृति की दृष्टि से मार्गदर्शन कर रहा है भारत वसुधैव कुटुंबकम के लक्ष्य को लेकर चला है। कोरोना जैसे विषम परिस्थितियों में 100 से अधिक देशों को कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध कराकर भारत ने विकट स्थितियों में सबका साथ दिया। रामदत्त चक्रधर ने विकसित राष्ट्र की श्रेणी में भारत को स्थापित करने के लिए मुख्यतः पांच बातों का आग्रह सभी नागरिकों से किया। जिसमें पहली विषय परिवार प्रबोधन जिसे हम कुटुंब प्रबोधन कहते हैं, का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि आज परिवार में संस्कारों का अभाव है इसलिए हम अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ सप्ताह में एक साथ भजन, आरती, एक साथ भोजन करने, बड़ों का सम्मान करने, एक साथ मिलजुल कर सहयोग के साथ काम करने जैसी बातें बताई।दूसरा विषय सामाजिक समरसता का जीवन में आचरण- इस पर वर्तमान परिस्थितियों में जिस प्रकार की सामाजिक विषमता दिखाई देती है इन विषमताओं को दूर कर छुआछूत के भाव को समाज से हटाकर हम सामाजिक विषमता को दूर कर सकते हैं और यह कार्य हमें अपने ही परिवार से करनी होगी तभी भारत विश्व गुरु बन सकेगा। तीसरा विषय पर्यावरण संरक्षण को लेकर है, उन्होंने अपने मार्गदर्शन में बताया की पानी का अधिक से अधिक बचत करें, वायु शुद्ध हो इसके लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें और साथ ही उसका संरक्षण भी करें हम बाजार जाएं तो थैला अपने साथ ले जाएं, प्लास्टिक का उपयोग बंद करें ऐसा करने से पर्यावरण संरक्षण संभव है। स्व का आचरण चौथा विषय रहा हम विश्व के 50 देश में उनकी भाषाओं का अच्छा ज्ञान अर्जन करें किंतु मातृभाषा को प्राथमिकता दें। अपनी संस्कृति सर्वोपरि है इस पर गर्व करें उदाहरण स्वरूप अपने घर के सामने लगे नाम के फलक को स्वभाषा में लिखें अपने हस्ताक्षर हिंदी (मातृ भाषा) में करें ऐसी छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखते हुए हम स्व की जागृति कर सकते हैं, और अंतिम में पांचवा विषय नागरिक कर्तव्य का है। नागरिक कर्तव्य के अंतर्गत समय पालन संविधान में बने हुए नियमों का पालन, राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान ऐसी छोटी-छोटी बातों का आग्रह सह सर कार्यवाह ने अपने उद्बोधन में रखी ऐसी छोटी-छोटी बातों का आचरण करते हुए हम भारत को विश्व गुरु बना सकते हैं। इसके लिए अपने अनुशासन को बनाए रखने के लिए हमें स्वयं से प्रारंभ करना होगा। इन सभी के लिए एक स्थान सुनिश्चित है और वह है संघ की 1 घंटे की शाखा। स्वयं होकर संघ की शाखा में उपस्थित होना और अपने परिवार के सदस्यों को भी शाखा में लाना और अंत में सह सर कार्यवाह ने जागेश्वर राम का पुनः अभिनंदन करते हुए अपना उद्बोधन विराम किया। इस अवसर पर 345 स्वयंसेवक बंधु भगिनी सम्मिलित हुए। मुख्य रूप से कार्यक्रम में जलजीत सिंह विभाग संघचालक, राजीव रंजन नंदे जिला संघ चालक, मयंक श्रीवास्तव नगर संघ चालक, प्रांत के लाल बिहारी सिंह प्रचारक, लोमस राम साहू प्रचारक, विभाग के गौरांग सिंह, अजय मिश्रा, हेमंत नाग, खेमलाल खूंटे, शंभूनाथ चक्रवर्ती, शंकर राम यादव, नरेंद्र सिन्हा , चंद्रु प्रसाद गुप्ता, कलेश्वर सिंह, गंगाराम साहू, कल्याण आश्रम से कृपा प्रसाद सिंह, रामेश्वर भगत, शिवराम कृष्ण जैसे वरिष्ठ कार्यकर्ता भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।