इकोनॉमी के मोर्चे पर बड़ा झटका, एक साल के निचले स्तर पर रह…- भारत संपर्क

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इकोनॉमी के मोर्चे पर बड़ा झटका, एक साल के निचले स्तर पर रह…- भारत संपर्क

भले ही देश की जीडीपी के सरकारी आंकड़ें आने में करीब 10 दिन बचे हों, लेकिन कई एजेंसियों की ओर से भारत की चौथी तिमाही की जीडीपी का अनुमान लगाना शुरू कर दिया है. इंडिया रेटिंग्स के बाद अब इकरा की ओर से अनुमान जारी किया गया है. इकरा का कहना है कि भारत की चौथी तिमाही का डाटा एक साल के निचले स्तर पर रह सकता है. जोकि एक बड़ा झटका है. इससे पहले लगातार तीन तिमाहियों में भारत की जीडीपी की दर 8 फीसदी से ऊपर रही थी. अब जो चौथी तिमाही का अनुमान इकरा की ओर से लगाया गया है वो 7 फीसदी से कम है. आइए आपको भी बताते हैं कि घरेलू रेटिंग एजेंसी इकरा की ओर से किस तरह का अनुमान लगाया है.

पूरे वित्त वर्ष कितनी रह सकती है जीडीपी

घरेलू रेटिंग एजेंसी इकरा ने वित्त वर्ष 2023-24 की जनवरी-मार्च तिमाही में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर चार तिमाही के निचले स्तर 6.7 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया है. इकरा का अनुमान है समूचे वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जीडीपी ग्रोथ 7.8 फीसदी रहेगी. इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री (हेड-रिसर्च एंड आउटरीच) अदिति नायर ने कहा कि कम मात्रा में वृद्धि के साथ-साथ कमोडिटी की कीमतों से कम लाभ के साथ कुछ औद्योगिक क्षेत्रों की प्रोफिटिबिलिटी में गिरावट से वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी (जनवरी-मार्च) तिमाही में भारत की जीवीए वृद्धि में कमी आने की उम्मीद है.

उससे पहले 7 फीसदी थी ग्रोथ रेट

वित्त वर्ष 2022-23 की जनवरी-मार्च तिमाही में भारत की जीडीपी 6.1 प्रतिशत बढ़ी. समूचे वित्त वर्ष 2022-23 के लिए वृद्धि सात फीसदी थी. इकरा ने बयान में कहा कि जीडीपी और ग्रॉस वैल्यू एडेड (जीवीए) ग्रोथ के बीच का अंतर वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में 100 आधार अंक (बीपीएस) तक कम होने की संभावना है, जो पिछली तिमाही में विशेष रूप से 185 बीपीएस के उच्च स्तर पर था. जीडीपी एक निश्चित अवधि में उत्पादित वस्तुओं व सेवाओं का कुल मूल्य है. जीवीए, जीडीपी घटा शुद्ध कर (सकल कर संग्रह सब्सिडी घटाकर) है.

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इंडिया रेटिंग्स ने ये लगाया था अनुमान

वहीं दूसरी ओर इंडिया रेटिंग ने भी चौथी तिमाही के लिए कुछ इसी तरह का अनुमान लगाया था. इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार मार्च तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.7 फीसदी रह सकती है. अगर बात पूरे वित्त वर्ष की करें तो जीडीपी ग्रोथ का आंकड़ा 6.9 फीसदी से 7 फीसदी तक रह सकती है. इंडिया रेटिंग्स के अनुसार बीती तिमाहियों में सरकार को जीएसटी कलेक्शन का काफी फायदा मिला था. लेकिन आखिरी तिमाही में ये कलेक्शन वैसा देखने को नहीं मिला है, जैसा ग्रोथ को बढ़ाने के लिए जरुरत है. वहीं दूसरी ओर देश के सेंट्रल बैंक भारतीय रिजर्व बैंक ने अप्रैल में हुई मॉनेटरी पॉलिसी की मटिंग में भारत की इकोनॉमी की ग्रोथ का जो अनुमान लगाया वो भी कुछ खास नहीं है. आरबीआई की ओर से पूरे वित्त वर्ष में देश की ग्रोथ अनुमान 7 फीसदी लगाया था.

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