बिलासपुर को मॉडल जिला बनाने की दिशा में बड़ा कदम, यूनिसेफ और…- भारत संपर्क


– पुलिस महानिरीक्षक बिलासपुर रेंज डॉ. संजीव शुक्ला के निर्देशन में यूनिसेफ के सहयोग से एक महत्वपूर्ण पहल की गई है, जिसका उद्देश्य क़ानून के साथ संघर्ष में आए बच्चों के पुनर्वास और सामाजिक पुनःएकीकरण को सुनिश्चित करना है।
पुलिस लाइन बिलासपुर स्थित चेतना हॉल में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में यूनिसेफ और काउंसिल टू सिक्योर जस्टिस के सहयोग से एक समग्र योजना लागू की गई है, जिससे बिलासपुर को डाइवर्ज़न आधारित हस्तक्षेपों के लिए एक मॉडल ज़िला बनाया जा सके। इस पहल का मकसद बच्चों को संरचित सहायता व मार्गदर्शन देना है ताकि वे मुख्यधारा में वापस लौट सकें।

कार्यक्रम के पहले चरण में विभागों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता महसूस की गई, जिसके चलते 3 अप्रैल को पहली ज़िला स्तरीय समन्वय बैठक पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय में आयोजित की गई। बैठक में प्रमुख सरकारी विभागों, नागरिक समाज संगठनों और CSR प्रतिनिधियों ने भाग लेकर सहयोगात्मक रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया।
इस पहल के तहत दूसरी समन्वय बैठक का उद्देश्य प्रगति की समीक्षा करना और रणनीतियों को और प्रभावी बनाना है। साथ ही, बच्चों के अधिकारों की रक्षा एवं कल्याण के लिए नई पहलें और व्यावहारिक सिफारिशें तैयार करना भी बैठक का मुख्य उद्देश्य रहेगा।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह (IPS) ने सभी थाना व चौकी प्रभारियों तथा राजपत्रित अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे इस तरह के मामलों को गंभीरता से लें और त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित करें। उन्होंने “चेतना अभियान” के अंतर्गत “अतुलनीय बिलासपुर, सुरक्षित बिलासपुर – आओ सवारे कल अपना” थीम के तहत डायवर्सन कार्यक्रम को प्रभावी रूप से लागू करने की अपील की।
कार्यक्रम में यूनिसेफ से चाइल्ड प्रोटेक्शन स्पेशलिस्ट चेतना देसाई, स्टेट कंसल्टेंट गीतांजलि दासगुप्ता, शर्मिला राय सहित समिति के अन्य सदस्य मौजूद रहे। पुलिस विभाग से एएसपी मधुलिका सिंह, एएसपी अर्चना झा, एएसपी अनुज कुमार, डीएसपी मंजुलता केरकेट्टा समेत अन्य पुलिस अधिकारी और थाना प्रभारी भी उपस्थित रहे।
यह संयुक्त पहल न सिर्फ बाल अधिकारों की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है, बल्कि बिलासपुर को एक आदर्श मॉडल बनाने की दिशा में भी एक अहम कदम है।
Post Views: 9
