बिहार: ‘लंगूर की गली, बंदरिया गली…’ इस शहर में अजब-गजब गलियों के नाम;…
देश के अहम शहरों में शुमार होने वाले पटना के कई नाम हैं. कभी इसे पाटलिपुत्र के नाम से जाना गया, तो कभी अजीमाबाद के नाम से. वहीं आज इसे पटना के नाम से जाना जाता है, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इस पटना के प्राचीन सिटी इलाके में कई जगहों के ऐसे नाम हैं, जिसे सुनकर सहसा यकीन नहीं होता है. अहम यह कि इन नाम के पीछे कोई न कोई इतिहास छिपा हुआ है.
मिरचाई गली: प्रसिद्ध समाजसेवी और इतिहास की जानकारी रखने वाले राकेश कपूर कहते हैं, इस गली को मिर्ची गंज भी कहा जाता है. वह कहते हैं, दरअसल इस गली के नाम के साथ मुर्शिदाबाद के नवाब का भी जिक्र होता है. पहले के जमाने में यहां माहेश्वरी बंधु नाम के व्यापारी रहते थे जो की मुर्शिदाबाद के नवाब के साथ मिलकर के बिजनेस करते थे. तब गंगा नदी में नाव के सहारे मिर्ची आती थी जो की बाजार में बिकने के लिए जाती थी. यह मिर्ची की सबसे बड़ी मंडी थी. खास बात यह कि मिर्ची का बिजनेस करने वाले हम माहेश्वरी बंधु भी बिहार के नहीं थे. वह मारवाड़ के थे और बिहार में बिजनेस करते थे.
हरमंदिर गली: राजधानी का हर मंदिर गली भी बहुत प्रसिद्ध है. आमतौर पर लोग हर मंदिर गली के सुनने के साथ ही इसे पटना साहिब तख्त से जोड़कर के देख लेते हैं, लेकिन इसके पीछे भी एक अलग कहानी है. राकेश कपूर बताते हैं, इस गली में हरेराम बाबा की एक मंदिर हुआ करता था. मंदिर रामानुजम संप्रदाय को मानने वालो का था. मंदिर को हरे राम मंदिर गली कहा जाता था, जो की अब अपभ्रंश होते हुए हर मंदिर गली हो गया है.
दिरा पर: राकेश बताते हैं, दिरा पर के बारे में ऐसी मान्यता है कि पहले सोन नद यही पर थी. किसी कालखंड में यही सोन नदी की धारा थी. यह इलाका दियारा के नाम से प्रसिद्ध था, जो की अपभ्रंश होते-होते दियारा से दिरा हो गया.
कचौड़ी गली: पटना सिटी में ही एक कचौड़ी गली भी है. राकेश बताते हैं, इस जगह पर कभी बनवारी राजा रहते थे और यहीं पर उनकी कचहरी लगती थी, इसलिए इस जगह का नाम कचहरी से होते होते कचौड़ी गली हो गया. हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि काफी वक्त पहले इसी गली में रामबाबू कमानी नाम के एक शख्स रहते थे और इस गली में कचहरी लगती थी. इसी कचहरी गली का अपभ्रंश होते-होते कचौड़ी गली हो गया.
बाडे की गली: इस गली के बारे में बताया जाता है कि पहले इस गली में काफी धनवान लोग रहते थे. इस इलाके की घेरेबंदी जूट के बोरे से की गई थी, इसलिए इसका नाम बड़े की गली हो गया. हालांकि अब इस गली में हर वर्ग के लोग रहते हैं.
लंगूर की गली: पटना में एक लंगूर गाली भी है. इसके नाम के पीछे भी दिलचस्प तथ्य जुड़ा हुआ है. यहां के निवासियों की मानें तो इस गली में लंगर लगता था तो उसे खाने के लिए लंगूर भी बड़ी संख्या में चले आते थे. इसी कारण इसका नाम लंगूर गली पड़ गया, जो आज भी है.
बंदरिया गली: राजधानी के सिटी इलाके में ही एक बंदरिया गली भी है. जानकारों की माने तो इस गली में पहले एक बहुत विशाल पेड़ हुआ करता था. उस पेड़ पर बड़ी संख्या में बंदर रहते थे. आसपास के लोग उन बंदरों से बचने के लिए अपने घरों में जाली लगते थे. आज भी इस गली में बंदर रहते हैं, इसलिए इस गली का नाम बंदरिया गली पड गया.
फुलौरी गली: राजधानी में एक फुलौरी गाली भी है. स्थानीय लोगों की मानें तो इस जगह का वास्तविक नाम फुलवारी गली था. प्राचीन पटना में जो भी धन्ना सेठ या फिर राजा महाराजा होते थे, वह यहां पर अपनी फुलवारी, बाग बगिचा लगाते थे। जिसके कारण इस गली का नाम फुलवारी गली पड़ गया जो कि अब अपभ्रंश होते-होते फुलौरी गली हो गया है. हालांकि आज की तारीख में अब यहां पर फुलवारी नहीं है.
जिरिया तमोलिन की गली: सिटी इलाके में एक ऐसा भी इलाका है, जो एक पान वाली के नाम पर है. दरअसल इस गली में कभी जिरिया तमोलिन नाम की महिला रहती थी, जो कि पान बेचती थी. उसी पान बेचने वाली जिरिया के नाम पर आज भी इस गली का नाम है.