बिहारः सोन नगर-मोहम्मद गंज के बीच 65 km लंबी लाइन से बढ़िया होगी रेल…


सांकेतिक तस्वीर
बिहार के विकास में शुरू से ही रेलवे की अहम भूमिका रही है. भारतीय रेलवे की ओर से बिहार में लगातार किसी न किसी तरह का प्रोजेक्ट चलाया ही जाता है. पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोन नगर-मोहम्मद गंज के बीच तीसरी रेल लाइन का उद्घाटन किया, जबकि सासाराम-अनुग्रह नारायण रोड के बीच ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम की शुरुआत की. इसके अलावा पटना के हार्डिंग पार्क में 5 नए टर्मिनल प्लेटफार्मों का शिलान्यास किया.
इन अहम रेलवे प्रोजेक्ट के जरिए बिहार में रेल कनेक्टिविटी में तेजी लाना, ट्रांसपोर्टेशन में सुधार करना और यात्रियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है. इनमें से सोन नगर और मोहम्मद गंज के बीच जो तीसरी रेल लाइन शुरू हुई है उससे ट्रांसपोर्टेशन में काफी सहुलियत होगी. कोयले समेत कई तरह की खनिजों का आसानी से ढुलाई हो सकेगी.
1300 करोड़ की लागत, 65 km लंबी रेल लाइन
सोन नगर और मोहम्मद गंज के बीच तीसरी रेल लाइन बिहार के औरंगाबाद से लेकर झारखंड के पलामू के बीच चलेगी. इसे करीब 1338 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है. इस रेल लाइन की लंबाई 65 किलोमीटर है. इसके शुरू होने से बगहा बिशुनपुर स्टेशन यार्ड तक कनेक्टिविटी से खनिजों का आसानी से ढुलाई हो सकेगा. इस नई रेल लाइन के खुलने से ग्रैंड कॉर्ड मार्ग को जाम से बचाना और झारखंड से बिहार के बिजली प्लांट्स जैसे अंकोरहा और नबी नगर तक कोयले की सप्लाई में सुधार करना है.
सासाराम और औरंगाबाद जिलों के बीच सासाराम- अनुग्रह नारायण रोड के बीच ऑटोमैटिक सिग्नलिंग को 43 करोड़ रुपये में तैयार किया गया है. इस लाइन की लंबाई 25 किलोमीटर है. इस नई दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग पर 160 किमी प्रति घंटा की स्पीड से ट्रेन चलाई जा सकेगी.
कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे में होगा सुधार
साथ ही अंकोरहा और नबी नगर पावर प्लांट्स के लिए कोयले का तेज और कुशल परिवहन भी हो सकेगा. इसके अलावा डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर लाइन के लिए फीडर रूट और भारी मालगाड़ियों की आसानी से आवाजाही होगी. इसके अलावा बिहार की राजधानी पटना के हार्डिंग पार्क में 95 करोड़ रुपये की लागत में 2.273 किलोमीटर लंबी 5 प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा. इससे ट्रेनों का संचालन अच्छे से हो सकेगा. साथ ही पटना जंक्शन पर यात्री क्षमता का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा.
बिहार में इन 3 बेहद अहम रेल प्रोजेक्ट्स के शुरू होने से राज्य में कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे में काफी बदलाव आने की उम्मीद है. माल ढुलाई से जुड़े गलियारों को बढ़िया करने, ऑटोमैटिक सिग्नलिंग शुरू करके और टर्मिनल क्षमता का विस्तार करके, भारतीय रेलवे इस क्षेत्र में अधिक कुशल, यात्री-अनुकूल और आर्थिक रूप से सशक्त भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रहा है.