बिहार: काली मंदिर को बचाने के लिए दंगाइयों के सामने लाठी लेकर खड़ा हो गया…

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बिहार: काली मंदिर को बचाने के लिए दंगाइयों के सामने लाठी लेकर खड़ा हो गया…
बिहार: काली मंदिर को बचाने के लिए दंगाइयों के सामने लाठी लेकर खड़ा हो गया था यह मुस्लिम परिवार, 36 साल पुरानी कहानी

भागलपुर के काली मंदिर की देखरेख करते हैं हाजी इलियास.

बिहार के भागलपुर में काली पूजा काफी मशहूर है. 31 अक्टूबर की रात 11 बजे मां काली की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी. 2 अक्टूबर की रात से विसर्जन के लिए प्रतिमा उठेंगी. जिले की काली पूजा काफी मशहूर है. यह आपसी भाईचारा की भी मिसाल है. भागलपुर में एक काली मंदिर ऐसा है, जिसकी देखरेख दशकों से मुस्लिम परिवार करता रहा है. भागलपुर में हुए दंगे के दौरान भी यह परिवार मंदिर की हिफाजत के लिए आगे आया था.

साल 1989 के अक्टूबर महीने में काली पूजा से कुछ दिन पहले पूरा भागलपुर दंगे की आग में धधक रहा था. शहर में आगजनी और मारकाट हो रही थी. जिसमें एक हजार से अधिक लोगों की मौत हो गयी थी. दंगा के दौरान असामाजिक तत्व आस्था पर चोट करते हुए धार्मिक स्थलों को क्षतिग्रस्त कर रहे थे. इस दौरान मुस्लिम समाज के कुछ लोगों ने गंगा-जमुनी तहजीब का बेहतर उदाहरण पेश कर दिया था.

दंगाइयों से बचाया था काली मंदिर

शहर के मोमिन टोला स्थित मां काली मन्दिर और प्रतिमा को खुद के दम पर सुरक्षित रखा था. तब से आज तक मुस्लिम समाज हिंदुओं के साथ मिलकर काली पूजा को शांतिपूर्ण माहौल में सम्पन्न कराता आ रहा है. भागलपुर के मोमिन टोला के हाजी मोहम्मद इलियास 1965 से काली मंदिर की सुरक्षा का ख्याल रखते हैं. 1989 में दंगा के दौरान जब कुछ असामाजिक तत्वों ने मंदिर को क्षतिग्रस्त करना चाहा तो हाजी इलियास हिंदुओं के साथ ढाल बनकर खड़े हो गए थे. हालाकिं इस वर्ष इलियास ज्यादा बीमार हैं, इसलिए उन्होंने अपने बेटे इश्तियाक को जिम्मेदारी दी है.

मंदिर की हिफाजत के लिए उठा लिया था डंडा

यह मन्दिर काफी पौराणिक बताया जाता है. इस वर्ष भी काली पूजा की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं. हाजी इलियास ने बताया कि जब दंगा शुरू हुआ था तो कुछ असामाजिक तत्व काली मंदिर को क्षतिग्रस्त करने पहुंचे, लेकिन हमने भी डंडा उठाया और सबको समझाकर शांत कराया. उसके बाद सबने मिलकर मंदिर को संरक्षित किया. 1965 से लगातार हम कार्यक्रम में शामिल होते हैं, सब कुछ हर साल शांतिपूर्ण तरीके से होता है.

दंगों के दौरान मुस्लिम समाज ने किया था सहयोग-पंडित

हाजी इलियास के बेटे इश्तियाक बताते हैं कि मन्दिर के आसपास हिंदुओं की आबादी नहीं है. पिताजी सभी को साथ लेकर चलते आ रहे हैं. युवाओं की एक कमेटी बनी है, जो काली मंदिर की हर पूजा में सहयोग करती है. जहां भी खामियां लगती है पूरा करते हैं. अभी तक यहां किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं है. पिछले 35 वर्षों से प्रतिमा का निर्माण कर रहे रंजीत पंडित ने बताया कि दंगा के दौरान प्रतिमा का निर्माण किया था. किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई. सबने मिलकर पूजा करवाया एक महीने बाद मां काली की प्रतिमा विसर्जित हुई थी. दंगा के दौरान मुस्लिम समाज ने सहयोग किया था.

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