Bihar Voter List Revision: तेजस्वी की खुली धमकी और SIR पर प्रहार… वोटर…


आरजेडी नेता तेजस्वी यादव.Image Credit source: PTI
बिहार वोटर लिस्ट रिवीजन का मुद्दा गरमाया हुआ है. दिल्ली से लेकर पटना तक गुरुवार को वोटर लिस्ट रिवीजन के मुद्दे पर विपक्ष ने हंगामा किया. संसद नहीं चल पाई. बिहार विधानसभा में तीखी नोकझोंक हुई. आरोप लगाया कि लोकतंत्र की हत्या की जा रही है. दिल्ली में संसद भवन के बाहर पोस्टर भी दिखाए गए, जिसमें लिखा था स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR लोकतंत्र पर वार है. खास बात ये थी कि इस प्रदर्शन में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी भी शामिल हुईं.
दिल्ली से करीब 1000 किलोमीटर दूर पटना में भी विपक्ष ने विधानसभा में SIR का मुद्दा उठाया. इस दौरान बीजेपी और RJD नेताओं के बीच मौखिक युद्ध भी हुआ, जिसके बाद तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि उनके माता-पिता और परिवार को अपशब्द कहे गए. इस बीच बड़ा सवाल है- क्या महागठबंधन बिहार विधानसभा चुनाव का बहिष्कार कर सकता है? क्या महागठबंधन बिहार चुनाव से दूरी बनाने पर विचार कर रहा है?
ये सवाल इसलिए क्योंकि बिहार में महागठबंधन के बड़े नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि अगर चुनाव आयोग की तरफ से SIR में पारदर्शिता नहीं बरती गई तो ‘महागठबंधन’ बिहार चुनाव का बहिष्कार करने पर विचार कर सकता है. इसके बाद से इस पर चर्चा शुरू हो गई और लोगों के मन में सवाल है कि क्या बिहार का चुनाव बिना विपक्ष के होगा.
सिर्फ 12 मिनट चल सकी लोकसभा की कार्यवाही
बिहार वोटर लिस्ट रीविजन के मुद्दे पर कांग्रेस और RJD ही नहीं बल्कि पूरा विपक्ष एकजुट दिख रहा है. संसद के मानसून सत्र का आज चौथा दिन है. सुबह 11 बजे लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सांसद बिहार वोटर वेरिफिकेशन मामले पर हंगामा करने लगे. कांग्रेस समेत कई विपक्षी सांसद वेल में आकर पोस्टर लहराने लगे. हंगामे के बीच लोकसभा की कार्यवाही आज सिर्फ 12 मिनट चल सकी. इसे शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.
वहीं राज्यसभा की कार्यवाही सिर्फ 1 मिनट 45 सेकंड चल पाई. उधर संसद के बाहर मकर द्वार पर बिहार वोटर वेरिफिकेशन मामले पर लगातार तीसरे दिन प्रदर्शन किया गया. सोनिया गांधी भी इसमें शामिल हुईं. प्रियंका गांधी ने खतरे में लोकतंत्र लिखा पोस्टर लहराया. नेता विपक्ष राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर हमला किया. उन्होंने कहा कि वो चुनाव आयोग को एक मैसेज देना चाहते हैं. अगर उन्हें लगता है कि आप इससे बच निकलेंगे, तो ये आपकी गलतफहमी है. हम आपको बच के जाने नहीं देंगे.
चुनाव आयोग का लंबा-चौड़ा बयान
विपक्ष के तीखे हमले के बीच चुनाव आयोग ने एक लंबा-चौड़ा बयान जारी किया है, आयोग ने अपने आलोचकों को जवाब देते हुए कहा है, भारत का संविधान भारतीय लोकतंत्र की जननी है तो क्या इन बातों से डरकर, निर्वाचन आयोग को कुछ लोगों के बहकावे में आकर, संविधान के खिलाफ जाकर, पहले बिहार में, फिर पूरे देश में, फर्जी वोट डालने का रास्ता बनाना चाहिए?
आयोग ने ये भी सवाल किया कि क्या निर्वाचन आयोग की ओर से पारदर्शी प्रक्रिया से तैयार की जा रही प्रामाणिक मतदाता सूची निष्पक्ष चुनाव और मजबूत लोकतंत्र की आधारशिला नहीं है? आयोग ने कहा कि इन सवालों पर कभी न कभी हम सभी को और भारत के सभी नागरिकों को राजनीतिक विचारधाराओं से हटकर आवश्यक चिंतन करना चाहिए.
इसलिए चुनाव के बहिष्कार की बात कर रहा महागठबंधन
28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में बिहार SIR के मुद्दे पर सुनवाई है. उससे पहले ये मुद्दा लगातार बड़ा बनता जा रहा है और अब बात चुनाव बहिष्कार तक पहुंच चुकी है. सूत्रों के मुताबिक बिहार में वोटर लिस्ट रीविजन के बाद करीब 52 लाख वोटरों के नाम काटे जा सकते हैं. इनमें वो लोग हैं जिनके दो जगहों पर नाम है, जिनकी मृत्यु हो चुकी है या फिर वो अपना प्रमाण नहीं दे पाए हैं.
2020 के चुनाव में NDA और महागठबंधन के बीच सिर्फ 12 हज़ार वोटों का अंतर था. कांग्रेस को पिछली बार 40 लाख वोट मिले थे, इस बार 52 लाख वोट कटते हैं तो ये संख्या कांग्रेस को मिले 40 लाख वोटों से भी 12 लाख ज़्यादा है. अगर प्रतिशतों में देखें तो NDA को 37.3% और महागठबंधन को 37.2% वोट मिले थे, यानी सिर्फ दशमलव एक कम वोट. अगर इस बार 52 लाख वोट कट गए तो ये बिहार के पूरे चुनावी गणित को बदल देगा. शायद इसलिए महागठबंधन चुनाव के बहिष्कार जैसी बातें कह रहा है.