बिहार का मिर्च वाला गांव, जहां ‘लौंगिया मिर्च’ उगा रहे किसान कर रहे लाखों…
बिहार के बेगूसराय जिले में किसान मिर्च की खेती करके लाखों की कमाई कर रहे हैं. वहीं जिले के चमथा गांव की पहचान भी मिर्च की खेती की वजह से ही है. पंचायत के मुखिया ने कहा कि मिर्च की खेती करने से किसानों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार हो रहा है. बेहतर बचत और कमाई के कारण किसान पारंपरिक खेती से हटकर मिर्च की खेती कर रहे हैं.
दरअसल बेगूसराय जिले का चमथा गांव मिर्च उत्पादन करने वाले किसानों के लिए स्वर्ग साबित हो रहा है. इस गांव के मुखिया का नाम संजय राय है. उनके गांव से प्रतिदिन कम से कम 5 ट्रक हरी मिर्च की सप्लाई होती है. इनमें चमथा एक पंचायत से कम से कम तीन पिकअप वाहन और चमथा दो से कम से कम तीन पिकअप वाहन और चमथा के ही बिशनपुर से पिकअप जाते हैं. इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रतिदिन कितने क्विंटल मिर्च यहां से सप्लाई होता है. पंचायत में करीब 15 हजार की आबादी है. मिर्च की खेती से कम से कम दो सौ से ज्यादा किसान जुड़े हुए हैं.
बिहार के अलावा इन राज्यों में होती है सप्लाई
पंचायत के मुखिया संजय ने कहा कि चमथा में उत्पादित होने वाली मिर्च पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, झारखंड के अलावा बिहार के करीब सभी जिलों में सप्लाई होती है. जहां से डिमांड होती है, वहां सप्लाई की जाती है. उन्होंने कहा कि मिर्च की खेती से इलाके के किसानों की आर्थिक हालात में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है. बाढ़ आने की वजह से किसानों को नुकसान होता है. अगर बाढ. का कहर न हो तो मिर्च का उत्पादन भरपूर होता है. जिससे किसानों की आर्थिक हालत बेहतर हो जाएगी.
मिर्च की खेती से लाखों कमा रहे किसान
चमथा के किसानों ने पहले लंबे आकार वाली हरी मिर्च की खेती की. इसके बाद लौंगिया मिर्च की खेती शुरू कर दी है. बाजार में इसकी डिमांड भी है. थोक के साथ खुदरा खरीदार लौंगिया मिर्च को पसंद कर रहे हैं. इसकी बाजार में डिमांड और बेहतर आमदनी के कारण किसान मिर्च की खेती कर रहे हैं. कभी-कभी इतनी डिमांड हो जाती है कि थोक में ही सौ रुपए प्रति किलो तक का दाम मिल जाता है. हालांकि थोक में कभी भी 30 रुपए प्रति किलो से नीचे दाम नहीं आता है. इस इलाके में हाइब्रिड, देशी, हरे व काले रंग वाली मिर्च की खेती होती है. हालांकि किसानों ने कहा कि सरकारी स्तर पर फिलहाल कोई मदद अब तक नहीं मिली है.
पंचायत के मुखिया संजय राय ने कहा कि गांव के किसानों ने पहले कम स्तर पर मिर्च की खेती की शुरुआत की थी. लेकिन धीरे-धीरे मिर्च की खेती से ही गांव की पहचान बन रही है. दूर दूर तक मिर्च जा रही है. किसान पारंपरिक खेती से हटकर मिर्च की खेती की तरफ जुड़तेजारहेहैं.