लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में बिहार के सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र, ऐसे रचा…

भारतीय कला इतिहास में पहली बार समकालीन युवा रेत कलाकर मधुरेंद्र कुमार ने सात समुंदर पार प्रतिष्ठित लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स का सम्मान प्राप्त कर पूरे भारत और बिहार को गौरवान्वित किया है. उन्हें यह सम्मान ब्रिटिश पार्लियामेंट लंदन में आयोजित समारोह के दौरान दिया गया. समारोह में लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अविनाश डी. सकुंडे व यूरोपीय संघ के प्रमुख डॉ. इवान गैसीना ने संयुक्त रूप से प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र के साथ मैडल पहनाकर रिकॉर्ड होल्डर इंटरनेशनल सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र को सम्मानित किया.
लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अविनाश डी. सकुंडे ने कहा कि मधुरेंद्र एक उज्ज्वल क्षितिज का नेतृत्व करने की नई भावना के साथ सामाजिक जागरूकता के लिए रेत और पत्ती कला की रचनात्मकता का नया कीर्तिमान स्थापित कर सराहनीय रिकॉर्ड कायम किया है. मधुरेंद्र का नाम लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के प्रमाणन संख्या: LBOWRE401990 में शामिल किया गया है.
मधुरेंद्र कुमार ने रचा इतिहास
लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए एक टीम ने जून 2025 के सर्वे में मधुरेंद्र कुमार का नाम चयनित किया था. जिसमें उन्हें 95% अप्रूवल रेटिंग मिली है. यह सर्वे 10 जून से 17 जून के बीच एक दर्जन से ज्यादा देशों में किया गया था. इस रिपोर्ट में सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने लगभग 5000 से अधिक अपनी बेमिसाल कलात्मक रचनाओं को नये-नये तकनीकों के माध्यम से समाज को सकारात्मक संदेश देने का रिकॉर्ड बनाकर यूएसए, चाइना, यू एन, रसिया, श्रीलंका और कनाडा जैसे बड़े देशों के कलाकारों को पीछे छोड़ते हुए ग्लोबल आर्टिस्टों की सूची में पहला स्थान हासिल किया है.
सफलता पर लगा बधाइयों का तांता
भारत के लिए यह गर्व की बात है. यह पल पहली बार भारतीय कला इतिहास में बिहार के 31 वर्षीय समकालीन युवा सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र कुमार की लोकप्रियता को साबित करता है. वहीं बिहार के लाल मधुरेंद्र की इस सफलता के लिए देश और दुनियाभर में राजनैतिक हस्तियों, शिक्षाविदों व प्रबुद्ध लोगों द्वारा सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से खुले दिल से बधाई व शुभकामनाएं भी मिल रही है.