बीवी की मस्जिद, आदिल शाह और बेगम शूजा का मकबरा… इन 3 ऐतिहासिक इमारतों से … – भारत संपर्क

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बीवी की मस्जिद, आदिल शाह और बेगम शूजा का मकबरा… इन 3 ऐतिहासिक इमारतों से … – भारत संपर्क

मुगलकालीन संपत्ति
जबलपुर हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड के खिलाफ एक याचिका की सुनवाई करते हुए एक आदेश जारी किया है. हाई कोर्ट के आदेश में बताया गया कि बुरहानपुर जिले की तीन मुगलकालीन संपत्तियां, जिसमें बीवी की मस्जिद, आदिल शाह मुबारक शाह का मकबरा और बेगम शूजा का मकबरा पर वक्फ बोर्ड का अधिकार नहीं है. ये मुगलकालीन संपत्तियां वक्फ बोर्ड की नहीं हैं.
हाई कोर्ट ने आदेश में कहा कि इन मुगलकालीन संपत्तियों पर आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया का अधिकार है. वहीं हाई कोर्ट के इस फैसले पर बुरहानपुर के वक्फ बोर्ड अध्यक्ष शेख फारूक का कहना है कि हम इस फैसले के खिलाफ पुनः डबल बेंच में अपील करेंगे. वही इतिहासकार कमरुद्दीन फलक ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला बहुत अच्छा है और इसका स्वागत किया जाना चाहिए.
जबलपुर हाई कोर्ट में दायर की गई थी याचिका
बुरहानपुर में स्थित मुगलकालीन तीन संपत्तियों में से दो बीबी की मस्जिद और आदिल शाह मुबारक शाह का मकबरा फारुकी वंश काल से संबंधित है. वहीं तीसरा बेगम शूजा का मकबरा जो कि मुमताज और शाहजहां की बहू हैं और औरंगजेब की बड़ी भाभी हैं. इन तीनों ऐतिहासिक स्मारकों को वक्फ बोर्ड ने अपनी संपत्ति बताया था. जिस पर जबलपुर हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी.
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वक्फ बोर्ड ने इन तीनों को अपनी संपत्ति घोषित की थी
याचिका में कहा गया था कि साल 2013 में मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड ने इन स्मारक को अपनी संपत्ति घोषित कर दिया था, लेकिन प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत इन्हें प्राचीन और संरक्षित स्मारक की श्रेणी में रखा गया था. ऐसे में इन्हें वक्फ बोर्ड की संपत्ति नहीं माना जा सकता, जिस पर जबलपुर हाई कोर्ट ने बीते गुरुवार को फैसला सुनाया कि वक्फ बोर्ड की अधिसूचना विवादित संपत्ति पर आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया का अधिकार या केंद्र सरकार का स्वामित्व नहीं छीन सकती. अब इन प्राचीन स्मारकों पर वक्फ बोर्ड का कोई अधिकार नहीं है.
हाई कोर्ट का फैसला संतोषजनक- इतिहासकार कमरुद्दीन फलक
जबलपुर हाईकोर्ट के इस फैसले पर इतिहासकार कमरुद्दीन फलक ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला संतोषजनक है और इसका स्वागत किया जाना चाहिए. यह तीनों प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक हैं. इन स्मारकों को ऐसे ही विभाग को देना चाहिए, जो इसे संभाल कर रख सके, क्योंकि उस विभाग के पास इसके एक्सपर्ट और अनुभवी लोग हैं. वक्फ बोर्ड के पास अगर यह स्मारक चले जाते तो वह स्मारकों की जो वास्तविकता है, उसे कम समझ पाते.
वहीं जबलपुर हाई कोर्ट के फैसले पर बुरहानपुर वक्फ बोर्ड के जिलाध्यक्ष शेख फारूक ने कहा कि वक्फ बोर्ड के खिलाफ और पुरातत्व विभाग के पक्ष में एक फैसला आया है, जिस पर हम हमारे वकीलों की टीम से चर्चा कर फैसले के खिलाफ जबलपुर हाई कोर्ट की डबल बेंच में अपील करेंगे.

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