धमाके में बिखर गए थे शरीर के अंग, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से 9 टुकड़ों में मिला … – भारत संपर्क

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धमाके में बिखर गए थे शरीर के अंग, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से 9 टुकड़ों में मिला … – भारत संपर्क

ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में ब्‍लास्‍ट

मध्यप्रदेश जबलपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री खमरिया में ब्लास्ट मंगलवार (22 अक्टूबर) को हुए ब्लास्ट में दो लोगों की मौत हो गई. वहीं वहीं 13 अन्य कर्मचारी घायल हो गए है. मृतकों की पहचान एलेक्जेंडर टोप्पो और रणवीर कुमार की रूप में हुई है. पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक एलेक्जेंडर टोप्पो की मौके पर मौत हो गई, जबकि रणवीर कुमार ने प्राइवेट अस्पताल में दम तोड़ दिया. पुलिस ने बताया कि एलेक्जेंडर का शव 9 हिस्सों में मिला है. एसे में घटनास्थल को देख सभी की रूह कांप गई.
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक हादसे में घायल श्यामलाल ठाकुर और चंदन कुमार की हालत चिंताजनक बताई जा रही है, और उन्हें एयरलिफ्ट कर बड़े अस्पताल में शिफ्ट करने की योजना बनाई जा रही है. इसके अलावा घायल हुए लोगों में उमेश मौर्य, प्रवीण दत्ता, कृष्ण पाल, एसके मंडल, रिपु कुमार, साइमन एंथोनी, गौतम कुमार, रामबिहारी, प्रदीप साहू, अभिषेक आनंद, और राहुल सिंह शामिल हैं.
उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन
घटना की गंभीरता को देखते हुए एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन किया गया है. ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया के महाप्रबंधक आरके गुप्ता की अध्यक्षता में यह कमेटी हादसे के कारणों की जांच करेगी. इस हादसे के मद्देनजर एम्युनिशन इंडिया लिमिटेड (MIL) के सीएमडी देवाशीष बनर्जी भी जबलपुर पहुंच रहे हैं, जहां वे अधिकारियों के साथ सुरक्षा और सतर्कता से संबंधित बैठक करेंगे.
क्या है मामला?
F6 सेक्शन के बिल्डिंग 200 में मंगलवार 22 अक्टूबर सुबह करीब 10 बजे रशियन पिकोरा बम को खाली करते समय धमाका हुआ. धमाके के वक्त बिल्डिंग में करीब 25 से 30 किलो बारूद भरा हुआ था. धमाका इतना भयानक था कि F6 सेक्शन की बिल्डिंग के साथ-साथ 200 और 200-A बिल्डिंग भी धराशायी हो गईं. हादसे के वक्त दोनों बिल्डिंगों में 15 कर्मचारी मौजूद थे जिसमें बिल्डिंग 200 में चार कर्मचारी तो वही 200 ए में 11 कर्मचारी काम कर रहे थे.
कब हुई थी फैक्ट्री की स्थापना?
ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया (OFK), जबलपुर, भारत की प्रमुख रक्षा उत्पादन यूनिट्स में से एक है. फैक्ट्री रक्षा सेवाओं के लिए गोला-बारूद निर्माण करती है. 1943 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसकी स्थापना मित्र देशों की सेनाओं की गोला-बारूद आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए की गई थी. फैक्ट्री 259 हेक्टेयर में फैली है, और इसका विस्फोटक डिपो 303 हेक्टेयर और एस्टेट 1430 हेक्टेयर का है.

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