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ब्रेकिंग न्यूज़…..उपसंचालक पंचायत विभाग के विवादित अधिकारी का कमाल, पांच साल में प्रिंटर टोनर / रिफिलिंग के लिए खर्च नहीं किया कोई भी राशि, सूचना के अधिकार में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
कोरबा। जमाना कंप्यूटर का है। शासकीय विभागों में काम भी कंप्यूटरीकृत हो रहा है।ऑनलाइन काम से लेकर विभागों में प्रिंटर से प्रिंट निकालकर हार्ड कॉपी रखी जाती है। मगर जिले का एक ऐसा विभाग भी है, जिसने पिछले 5 साल में पर प्रिंटर टोनर / रिफिलिंग के नाम पर एक फूटी कौड़ी भी खर्च नहीं की है। सूचना के अधिकार के तहत मिले दस्तावेज में इसका खुलासा हुआ है। खुलासे के साथ ही जिला पंचायत कोरबा के अंतर्गत उपसंचालक पंचायत विभाग और विवादित उपसंचालक पंचायत अधिकारी सुर्खियों में है। यह खुलासा कहीं न कहीं बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहे हैं। अगर भ्रष्टाचार नहीं हैं तो फिर ऐसे अधिकारी को राज्यपाल और राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए नामित किया जाना चाहिए ताकि अन्य अधिकारियों के लिए यह मिसाल बन सके। सूचना के अधिकार के तहत जिला पंचायत कोरबा के अंतर्गत उपसंचालक पंचायत, कोरबा के द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 से कार्यालय में उपयोग हेतु खरीदे गये नये प्रिंटर टोनर / रिफिलिंग में खर्च किये गये राशि की जानकारी मांगी गई थी। जन सूचना अधिकारी द्वारा जिसका जवाब दिया गया कि जिला पंचायत कोरबा के अंतर्गत उप संचालक पंचायत, कोरबा के द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-2021 से आज दिनांक(21 अक्टूबर 2024) तक जिला पंचायत कार्यालय में उपयोग हेतु नये प्रिंटर टोनर / रिफलिंग की खरीदी नहीं की गयी है। सूचना के अधिकार में यह बड़ा खुलासा हुआ है। जिला पंचायत कोरबा के अधीनस्थ उप-संचालक पंचायत विभाग में लगभग 5 साल में एक भी रुपया टोनर/रिफिलिंग पर खर्च नहीं हुआ है। यह पूर्ववर्ती कांग्रेस के भूपेश बघेल सरकार की बड़ी उपलब्धि है। यह जानकारी उप संचालक पंचायत विभाग के अधिकारी ने स्वयं लिखित में दिया है। सवाल उठता है कि बिना टोनर और रिफिलिंग खरीदे आखिर विभाग में काम कैसे हो रहा है। यह एक चौंकाने वाला खुलासा है। कहीं ऐसा तो नहीं सही जानकारी देने के बजाय छिपाया गया हो। कहीं यह लगभग 5 साल से उपसंचालक पंचायत विभाग में बैठे अधिकारी के भ्रष्टाचार को छिपाने का प्रयास तो नहीं है। सवाल उठता है कि अगर बिना टोनर और रिफिलिंग से जिले के पांचों जनपद पंचायत अंतर्गत 412 ग्राम पंचायत में सचिवों का काम कैसे हो रहा है, क्योंकि आज के जमाने में बिना कंप्यूटर, टोनर, रिफिलिंग सरकारी विभाग में काम संभव प्रतीत नहीं होता। अगर ऐसा हुआ है तो संबंधित विभाग के अधिकारी को राष्ट्रपति और राज्यपाल पुरस्कार के लिए नामित करना चाहिए। जिनके द्वारा सरकारी कामकाज को हवा हवाई में कर दिए गया है। ऐसे अधिकारी छत्तीसगढ़ के पूरे जिले में खोजने से भी नहीं मिलेगा। अब देखना होगा कि प्रशासन जिले से स्थानांतरित हो चुके विवादित अधिकारी की करनी पर पर्दा डालने का काम करता है फिर सुशासन राज में जीरो टारलेंस नीति पर जांच सुनिश्चित करती है।