नकल पेपर लीक की घटनाओं पर लगेगी ब्रेक! केंद्र सरकार कल लोकसभा में पेश करेगी बिल…


केंद्र सरकार नकल रोकने को लेकर सख्त हुई. (सांकेतिक)
केंद्र सरकार प्रवेश परीक्षाओं में होने वाली नकल और पेपर लीक जैसी घटनाओं को रोकने को लेकर सख्त हो गई है. इस तरह की घटनाओं पर लगाम कसने के लिए केंद्र सरकार सोमवार को लोकसभा में बिल पेश करने जा रही है. बिल का नाम सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक 2024 (The Public Examinations (Prevention of Unfair Means) Bill, 2024) है. केंद्रीय मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह लोकसभा में यह बिल पेश करेंगे. इस बिल के जरिए सख्त से सख्त सजा देने का प्रावधान किया गया है.
बिल का मकसद नकल और पेपर लीक जैसी घटनाओं पर अंकुश लगाना है ताकि इस वजह से बड़ी संख्या में छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो सके. साथ ही सार्वजनिक परीक्षा प्रणाली में अधिक पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता भी लाना है जिससे देश के युवाओं को भरोसा हो कि उनकी ईमानदार मेहनत बेकार नहीं जाएगी और उनका भविष्य सुरक्षित है. बिल का मकसद UPSC, SSC, रेलवे, NEET, JEE और CUET सहित कई सार्वजनिक परीक्षाओं में धोखाधड़ी को रोकना है.
10 साल की जेल, 1 करोड़ जुर्माना
इस बिल के जरिए केंद्र सरकार अपनी प्रवेश परीक्षाओं में कदाचार रोकने के साथ ही परीक्षाओं में नकल को बढ़ावा देने वाले व्यक्तियों, समूहों या संस्थानों पर भी नकेल कसना चाहती है. दरअसल, पिछले कुछ महीनों में राजस्थान, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, गुजरात और झारखंड समेत अलग- अलग राज्यों में पेपर लीक जैसे कई मामलें सामने आए. इस वजह से परीक्षाओं को भी रद्द करना पड़ा और प्रशासन को युवाओं की नाराजगी भी झेलनी पड़ी.
बिल में नकल और पेपर लीक रोकने के लिए कड़े कानूनी प्रावधान किए गए हैं. बिल के प्रावधान के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक में शामिल लोगों को 10 साल तक की जेल और कम से कम एक करोड़ रुपये तक जुर्माना हो सकता है. इसके साथ ही उत्तर पुस्तिका में छेड़छाड़, मेरिट लिस्ट के दस्तावेजों में हेराफेरी या किसी और की जगह परीक्षा देने जैसे अपराध को शामिल किया गया है.
संलिप्त पाए गए तो परीक्षा का खर्चा भी वसूलेंगे
अगर जांच में कोई व्यक्ति पेपर लीक, नकल या किसी और की जगह परीक्षा देने में शामिल पाया जाता है तो इस बिल में 3 से 5 साल तक की जेल और 10 लाख रुपये तक के जुर्माना का प्रावधान किया गया है. बिल के अनुसार, अगर जांच में यह बात सामने आती है कि लोगों ने संगठित अपराध (Organised Crime) किया है, तो ऐसे अपराध के लिए बिल में कम से कम 5 साल और अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान और साथ ही कम से कम एक करोड़ रुपए के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है.
विधेयक के अनुसार, अगर जांच में कोई संस्थान ऐसे में अपराध में संलिप्त पाया जाता है तो उस संस्थान ये प्रवेश परीक्षा आयोजित कराने का खर्च वसूलने के साथ ही उसकी संपत्ति भी जब्त करने का प्रावधान किया गया है. विधेयक में जांच किसी ऐसे अधिकारी से कराने का प्रावधान किया गया है जो पुलिस उपाधीक्षक या सहायक पुलिस आयुक्त स्तर से नीचे का न हो. केंद्र सरकार के पास जांच को किसी भी केंद्रीय एजेंसी को सौंपने का भी अधिकार होगा. भविष्य में ये बिल राज्यों के लिए भी एक मॉडल ड्राफ्ट का काम करेगा.