हो गई भारत ईरान के बीच चाबहार पोर्ट की डील, अब चीन और…- भारत संपर्क


चाबहार पोर्ट
भारत ने ईरान के चाबहार में स्थित शाहिद बेहश्ती बंदरगाह टर्मिनल के मैनेजमेंट को संभालने के लिए 13 मई को दोनों देशों ने एक नई डील साइन की, जो अगले 10-वर्ष के लिए वैलिड होगी. इससे भारत को मध्य एशिया के साथ कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी. चाबहार बंदरगाह ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है. इस बंदरगाह को भारत और ईरान मिलकर विकसित कर रहे हैं. आइए समझते हैं कि यह डील भारत के लिए कितना फायदेमंद है और इससे भारत चीन और पाकिस्तान पर कैसे पैनी निगाह रख पाएगा.
भारत करेगा इतने करोड़ का निवेश
बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की उपस्थिति में इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) और ईरान के पोर्ट्स एंड मेरिटाइम ऑर्गेनाइजेशन ने इस कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए. एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, आईपीजीएल करीब 12 करोड़ डॉलर का निवेश करेगा, जबकि 25 करोड़ डॉलर की राशि कर्ज के रूप में जुटाई जाएगी. यह पहला मौका है जब भारत विदेश में स्थित किसी बंदरगाह का मैनेजमेंट अपने हाथ में ले रहा है.
ये है सरकार का प्लान
इस अवसर पर सोनोवाल ने कहा कि इस कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर के साथ हमने चाबहार में भारत की लंबे समय तक जारी रहने वाली भागीदारी की नींव रखी है. इस कॉन्ट्रैक्ट से चाबहार बंदरगाह की क्षमता में कई गुना विस्तार देखने को मिलेगा. आईएनएसटीसी परियोजना भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल-ढुलाई के लिए 7,200 किलोमीटर लंबी एक बहुस्तरीय परिवहन परियोजना है. विदेश मंत्रालय (एमईए) ने ईरान के साथ संपर्क परियोजनाओं पर भारत की अहमियत को रेखांकित करते हुए 2024-25 के लिए चाबहार बंदरगाह के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए थे.
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भारत को क्या होगा फायदा?
इस बंदरगाह को अफगानिस्तान, मध्य एशिया और बड़े यूरेशियन क्षेत्र के लिए भारत की प्रमुख कनेक्टिविटी लिंक के रूप में देखा जाता है, जो पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के साथ-साथ चीन की बेल्ट एंड रोड पर नजर बनाए रखने में मदद करेगा. चाबहार को अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) से जोड़ने की योजना है जो भारत को ईरान के जरिए रूस से जोड़ता है. बता दें कि यह बंदरगाह भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंचने के लिए सक्षम बनाएगा. इसके लिए अब पाकिस्तान की जरूरत नहीं पड़ेगी.