30 मार्च से 6 अप्रैल तक चैत्र नवरात्रि पर्व, सरकंडा श्री…- भारत संपर्क


श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर, सुभाष चौक, सरकण्डा, बिलासपुर में रजत जयंती महोत्सव चैत्र नवरात्र उत्सव एवं श्रीमद् देवी भागवत का भव्य आयोजन 30 मार्च से प्रारंभ होकर 6 अप्रैल तक निरंतर चलेगा
नगर एवं छत्तीसगढ़ प्रदेश के अद्वितीय त्रिदेव मंदिर श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर, सुभाष चौक, सरकण्डा, बिलासपुर में रजत जयंती महोत्सव एवं चैत्र वासंत्र नवरात्र उत्सव के शुभ अवसर पर श्रीमद् देवी भागवत का संगीतमय भव्य आयोजन किया जा रहा है। यह धार्मिक आयोजन रविवार, 30 मार्च 2025 से रविवार, 06 अप्रैल 2025 तक चलेगा।
भगवान भूतनाथ, शूलपाणि, भवानीपति, कैलाशवासी, चन्द्रमौलेश्वर, आशुतोष, विश्वेश्वर की कृपा और परमाराध्य सद्गुरुदेव परमश्रद्धेय प्रातः स्मरणीय शिवस्वरूप ब्रह्मलीन परमपूज्य श्री 108 श्री स्वामी शारदानन्द सरस्वती जी महाराज की कृपाछाया एवं शुभ आशीर्वाद से यह पावन कार्यक्रम विश्व शांति एवं जनकल्याणार्थ आयोजित किया जा रहा है।

पीठाधिश्वर आचार्य डॉ दिनेश जी महाराज ने बताया कि इस नौ दिवसीय महोत्सव में धर्मप्रेमी श्रद्धालु भक्तजन श्रीमद् देवी भागवत कथा का श्रवण कर सकेंगे। साथ ही, चैत्र वासंत नवरात्र के पावन अवसर पर श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी, श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव, परमब्रह्म मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी, श्री गणेशजी, श्री भैरव जी, श्री हनुमान जी और श्री मनोकामना अखण्ड घृत ज्योति कलश के दर्शन का लाभ प्राप्त कर सकेंगे। श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर ने सभी धर्मप्रेमी श्रद्धालुओं से अधिक से अधिक संख्या में सपरिवार एवं इष्ट मित्रों सहित भाग लेने का विनम्र अनुरोध किया है, ताकि वे देव-दुर्लभ मानव जीवन को सफल बना सकें।

महोत्सव के प्रथम दिन, 30 मार्च 2025 को प्रातः 9.00 बजे चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के अवसर पर कलश यात्रा निकाली जाएगी। इसी दिन श्री मनोकामना घृत अखण्ड ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किया जाएगा। साथ ही, ध्वजारोहण, श्री दुर्गासप्तशती पाठ एवं श्रीमद् दैवी भागवत पाठ का शुभारंभ होगा।
इस अवसर पर प्रतिदिन ब्रह्म शक्ति बगलामुखी देवी का देवी के विभिन्न स्वरूपों में पूजन श्रृंगार किया जाएगा इसी कड़ी में प्रातः कालीन श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का रुद्राभिषेक, श्री महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती देवी का श्रीसूक्त षोडश मंत्र द्वारा दूधधारियापूर्वक अभिषेक, परमब्रह्म मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का श्रृंगार,पूजन, सिद्धिविनायक जी का पूजन श्रृंगार किया जाएगा।प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी श्री मनोकामना घृत ज्योति कलश 108 प्रज्वलित किए जाएंगे जो की अभिजीत मुहूर्त में 11:36 से 12:36 के मध्य किया जाएगा।
महोत्सव के दौरान संगीतमय श्रीमद् दैवी भागवत कथा का आयोजन प्रतिदिन अपराह्न 2.00 बजे से भगवती इच्छा तक किया जाएगा। सुप्रसिद्ध कथा व्यास आचार्य श्री मुरारीलाल त्रिपाठी ‘राजपुरोहित’ कटघोरा-कोरबा (छत्तीसगढ़) मधुर वाणी से कथा का रसपान कराएंगे। परायण आचार्य के रूप में आचार्य श्री चन्द्रहास त्रिपाठी कटघोरा-कोरबा (छत्तीसगढ़) उपस्थित रहेंगे।प्रतिदिन संध्या काल में संत-सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा, जिसमें विभिन्न आध्यात्मिक विषयों पर प्रवचन होंगे।
महोत्सव के महत्वपूर्ण दिनों में, 05 अप्रैल 2025, शनिवार को चैत्र शुक्ल पक्ष महाअष्टमी के अवसर पर कन्या पूजन किया जाएगा। इसके पश्चात, 06 अप्रैल 2025, रविवार को चैत्र शुक्ल पक्ष महानवमी पर कन्या पूजन, विशाल भण्डारा एवं प्रसाद वितरण का आयोजन होगा। इसी दिन श्रीमद् दैवी भागवत कथा का विश्राम होगा और नवरात्रि महोत्सव का समापन होगा।
सभी माताओं से विशेष अनुरोध है कि वे कलश यात्रा में भारतीय पारंपरिक परिधान में ही शामिल हों।
पीठाधिश्वर आचार्य डॉ दिनेश जी महाराज ने बताया कि मां दुर्गा की हाथी पर सवारी से आएगी सुख-समृद्धि इस साल चैत्र नवरात्रि का पवित्र पर्व रविवार, 30 मार्च 2025 से शुरू हो रहा है, जो एक अत्यंत शुभ और मंगलकारी संयोग लेकर आ रहा है। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, इस वर्ष मां दुर्गा की सवारी हाथी होगी और वे सोमवार, 7 अप्रैल 2025 को नवरात्रि के समापन पर भी हाथी पर सवार होकर ही प्रस्थान करेंगी। धार्मिक शास्त्रों और ज्योतिषीय मान्यताओं में मां दुर्गा का हाथी पर सवार होकर आना एक अत्यंत शुभ और सकारात्मक संकेत माना जाता है। हाथी को सुख, समृद्धि, शांति और ऐश्वर्य का प्रतीक माना गया है। मान्यता है कि जब जगत जननी मां भगवती हाथी पर विराजमान होकर धरती पर आती हैं, तो यह लोगों के जीवन में धन-धान्य की वृद्धि और देश की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक सुधार का सूचक होता मां दुर्गा की हाथी की सवारी विशेष रूप से कृषि क्षेत्र के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। यह संकेत देता है कि इस वर्ष अच्छी वर्षा होगी और फसलों की पैदावार भी भरपूर होगी, जिससे किसानों को लाभ मिलेगा और कृषि उन्नति की ओर अग्रसर होगी। इस शुभ संयोग के साथ आरंभ हो रहे चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की आराधना और उपासना का विशेष महत्व है। सभी श्रद्धालु भक्तजन माता की भक्ति में लीन होकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना कर सकते हैं।
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