शहर में बढ़े ई रिक्शा पर नहीं बने चार्जिंग प्वाइंट, चार्ज…- भारत संपर्क
शहर में बढ़े ई रिक्शा पर नहीं बने चार्जिंग प्वाइंट, चार्ज करने घरेलू बिजली का हो रहा उपयोग
कोरबा। शहर में ई-रिक्शा की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन ई-रिक्शा को चार्ज करने की समस्या से चालकों से रोज जूझना पड़ रहा है। ई रिक्शे को बढ़ावा देने के लिए एक तरफ सरकार सब्सिडी दे रही है। तो दूसरी तरफ इसकी चार्जिंग के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई। शहर में अभी तक एक भी चार्जिंग प्वाइंट नहीं बनाया गया है। जिसके कारण ई रिक्शा मालिक घरों पर ही इन्हें चार्ज कर रहे हैं। घरों में चार्जिंग के दौरान शार्ट सर्किट की संभावना अधिक रहती है। शहर में चार्जिंग प्वाइंट नहीं होने से रिक्शा चालक अपनी गाडिय़ां कई बार समय से पहले ही लेकर घर लौट जाते हैं। बैटरी लो होते ही चार्जिंग के लिए सीधे घर जाना पड़ता है। कई बार रास्ते में ही रिक्शा बंद पड़ जाती है।
केंद्र और राज्य सरकार ई-रिक्शा को बढ़ावा देने की नीति पर काम कर रहीं हैं। गाडिय़ों को लोग आसानी से खरीद सकें, इसके लिए सब्सिडी भी प्रदान की जा रही है। इसका असर हुआ है कि शहर में ई-रिक्शा और ई-बाइक के साथ-साथ इलेक्ट्रिकल कारों की संख्या भी धीरे-धीरे बढ़ रही है। शहर में ई- गाडिय़ों की संख्या तीस हजार के करीब पहुंच गई है मगर अभी तक एक भी चार्जिंग प्वाइंट नहीं है। लोगों को अपना वाहन घरों में ही चार्ज करना पड़ता है। सबसे ज्यादा परेशानी ई-रिक्शा को लेकर है। यह घरेलू बिजली से चार्ज हो रहे हैं, जिससे हर साल लाखों की चपत विद्युत वितरण कंपनी को लग रही है।
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रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड में चार्जिंग प्वाइंट बनाना जरूरी
ई-रिक्शा संचालित करने वाले चालकों की मांग है कि रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड में चार्जिंग प्वाइंट बनाया जाए। जहां एक साथ छह से आठ वाहनों को चार्ज किया जा सके। बड़े शहर में कई जगह चार्जिंग प्वाइंट बनाया जा चुका है। शहर में अगर ये बन जाए तो रिक्शा संचालकों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। चार्जिंग फुल करने के बाद 70 से 80 किमी तक चलता है यह रिक्शा में उपयोग की गई बैट्री पर निर्भर करता है। अगर बैट्री लैड की है तो ये 60 से 70 किमी तक चलता है। वहीं अगर लीथियम बैट्री है तो इसकी क्षमता बढ़ जाती है और ये 70 से 80 किमी तक ही चलता है।