ChatGPT निकला ‘झोला छाप डॉक्टर’, बच्चे को बताई गलत बीमारी, अस्पताल में सच्चाई… – भारत संपर्क


Chatgpt MisdiagnoseImage Credit source: Unsplash
AI पर आंख बंद कर भरोसा करना बहुत भारी पड़ सकता है, हाल ही में ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने भी कहा है कि चैटजीपीटी पर पूरी तरह से भरोसा नहीं करना चाहिए. एक सेकेंड में आपके सवाल का जवाब देने वाला चैटजीपीटी हर मामले में सही जवाब दे, ये जरूरी नहीं है. एक 14 वर्षीय स्कूली बच्चे ने पेट में तेज दर्द की शिकायत की और उसके माता-पिता उसे अपोलो अस्पताल (मुंबई) ले गए, अभी टेस्ट में बीमारी का सही कारण नहीं पता लग पाया है.
लड़के की मां ने बताया कि अस्पताल ले जाने से पहले उन्होंने ChatGPT से लक्षणों के बारे में पूछा और एआई ने उन्हें बच्चे को गैस्ट्रिक इंफेक्शन होने का संकेत दिया, जिसके बाद तुरंत माता-पिता बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचे. लेकिन अस्पताल पहुंचकर डॉक्टर ने माता-पिता को जो बताया उससे जानने के बाद आपके भी होश उड़ जाएंगे और आप सोच में पड़ जाएंगे कि क्या चैटजीपीटी पर भरोसा करना चाहिए या नहीं.
क्या थी बीमारी?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चे को देख रही डॉक्टर ने बताया कि चैटजीपीटी ने बच्चे के लक्षणों को गलत तरीके से माता-पिता को समझाया. मैंने बच्चे से बात की, वो नजर नहीं मिला रहा था और बात करने में भी हिचकिचा रहा था. थोड़ा प्यार से पूछने के बाद बच्चे ने बताया कि सीनियर बच्चे को मजाक उड़ाते थे जिस वजह से वह स्कूल जाने से डर रहा था. उसका दर्द मेडिकल नहीं इमोशनल था. बच्चे को असल में Anxiety Attack आया था और चैटजीपीटी ने कुछ का कुछ ही बता दिया.
क्यों AI की लोग कर रहे रुख?
मेडिकल सलाह के लिए लोग क्यों एआई टूल्स की ओर स्विच हो रहे, इस सवाल के जवाब में डॉक्टर ने बताया कि लोगों को तुरंत जवाब मिल जाता है, कोई उन्हें जज नहीं करता है, कोई सवाल नहीं पूछता है और न ही बीमारी का पता लगने पर लेबल दिया जाता है.
डॉक्टर ने बताया कि वह कई मानसिक स्वास्थ्य रोगियों को देख रही हैं, जिन्हें चैटजीपीटी द्वारा गलत बीमारी का बताया गया. डॉक्टर का कहना है कि चैटजीपीटी आपको सुझाव दे सकता है लेकिन वह आपको जानता नहीं है, आपके इमोशन को सामने से देख नहीं रहा तो वह इस वजह से बीमारी को सही से पकड़ नहीं पाता है. एआई टूल्स भावनात्मक रूप से सहायक हो सकते हैं लेकिन वह थेरेपी की जगह नहीं ले सकता है क्योंकि वह आपको सामने से देख नहीं रहा होता है, आपके इमोशन को समझता नहीं है. वह केवल डेटा इनपुट के आधार पर आपको जानकारी देता है.