इस वर्ष 7 नवंबर को छठ महापर्व, कार्यालय शुभारंभ के साथ आयोजन…- भारत संपर्क

बिलासपुर के तोरवा स्थिति स्थायी छठ घाट में विगत 24 वर्षों से छठ महोत्सव मनाया जा रहा है। पहले बिहार और उत्तर भारत से आकर बिलासपुर में बसने वाले प्रवासियों द्वारा इसे पूरी पवित्रता से मनाया जाता था लेकिन अब स्थानीय लोगों ने भी इसे अंगीकार कर लिया है। अब तो छठ पर सरकारी छुट्टी भी घोषित कर दी गई है। छत्तीसगढ़ वासियों के साथ अलग-अलग समाज के लोग हर वर्ष इस आयोजन से जुड़ते जा रहे हैं।

इस वर्ष 7 नवंबर को छठ महापर्व मनाया जाएगा , जिसकी शुरुआत 5 नवंबर से हो जाएगी। इससे पूर्व तैयारियो को गति देने के लिए गुरुवार संध्या छठ घाट में छठ पूजा कार्यालय का शुभारंभ किया गया। विधिवत पूजा अर्चना कर कार्यालय का फीता काटा गया। इस बार पांच सदस्यों की संचालन समिति का गठन किया गया है, जिसमें अध्यक्ष वीएन झा के नेतृत्व में पाटलिपुत्र संस्कृति विकास मंच, भोजपुरी समाज और सहजानंद समाज के पदाधिकारी और सदस्य छठ महापर्व की तैयारी को गति प्रदान करेंगे।

साफ सफाई आरंभ
आमतौर पर छठ कार्यालय शुभारंभ के साथ ही घाट पर साफ सफाई आरंभ कर दी जाती है, लेकिन इस बार इससे पहले ही यह कार्य आरंभ किया जा चुका है। प्रतिमा विसर्जन के बाद जिला प्रशासन द्वारा लगातार अरपा नदी से अवशेषों को बाहर निकाल कर उन्हें घाट से दूर ले जाया जा रहा है, तो वहीं घाट की भी लगातार सफाई की जा रही है। वर्तमान में नदी लबालब है , जिसका जलस्तर कम करा कर सीढ़ियों की सफाई की जाएगी।
छठ पूजा समिति द्वारा भी अपने स्तर पर सफाई आरंभ कर दी गई है। विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी पार्किंग को लेकर चिंता जताई जा रही है लेकिन पदाधिकारियो ने कहा कि जिला प्रशासन की मदद से समय रहते इसका भी समाधान निकाल लिया जाएगा।

कार्यालय शुभारंभ के साथ ही कार्यकारिणी का गठन कर जिम्मेदारियो का बंटवारा किया गया। घाट पर साफ सफाई के अलावा रंग रोगन, बिजली की सजावट और पूरे घाट को निष्कंटक किया जा रहा है ताकि नंगे पैर आने वाले व्रतियों के पैर में एक कंकड़ तक न चुभे।

इस वर्ष का कार्यक्रम
दीपावली के बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा की जाती है। यह छठी मैया के साथ प्रत्यक्ष देव सूर्य की आराधना का पर्व है । इस वर्ष 5 नवंबर मंगलवार को नहाए खाए के साथ इसका आरंभ होगा। इसी दिन संध्या छठ घाट पर 10,000 दीपकों के साथ अरपा मैया की महा आरती की जाएगी । अगले दिन यानी 6 नवंबर बुधवार को खरना का प्रसाद तैयार किया जाएगा। 7 नवंबर संध्या अस्ताचलगामी गामी सूर्य देव को दूध एवं जल से अर्घ्य प्रदान कर उनकी पूजा अर्चना की जाएगी, तो वही 8 नवंबर को उदित सूर्य देव की आराधना करते हुए उषा अर्घ्य प्रदान किया जाएगा।
इस वर्ष 7 नवंबर को सुबह 12:41 से षष्ठी तिथि आरंभ होगी जो 8 नवंबर सुबह 12:35 तक रहेगी। इसीलिए छठ पूजा 7 नवंबर को मनाया जाएगा।

पहला दिन नहाए खाये
इस दिन सूर्योदय सुबह 6:39 पर है तो वही सूर्यास्त शाम 5:41 मिनट पर है। इस दिन व्रती स्नान कर लौकी और चने की दाल की सब्जी ग्रहण करेंगे। दूसरे दिन खरना का प्रसाद पूरी परंपरा के साथ बनाया जाएगा। मीठा भट और लौकी की खिचड़ी बनाई जाएगी। तीसरे दिन शाम को बांस के सुपे में फल, गन्ना, चावल के लड्डू, ठेकुआ आदि सामग्री रखकर व्रती नदी तट पर पहुंचेंगे और शाम 5:29 पर सूर्य देव को अर्घ्य देंगे। अगले दिन सुबह 6:37 पर उदित सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाएगा ।

गुरुवार को कार्यालय शुभारंभ के अवसर पर पाटलिपुत्र संस्कृति विकास मंच के अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र कुमार दास ने कहा कि इस बार भले ही कार्यालय आरंभ करने में विलंब हुआ है लेकिन घाट की सफाई का काम पहले ही आरंभ कर दिया गया है। साथ ही जिला प्रशासन, नगर निगम और पुलिस विभाग की भी पूरी मदद ली जा रही है । उनसे भी अपेक्षित सहयोग मिल रहा है।

इस मौके पर मंच के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण झा ने कहा कि बिलासपुर का छठ घाट विश्व का सबसे बड़ा स्थायी छठ घाट है । इसकी लंबाई पर्याप्त बढ़ाई जा चुकी है। यहां हर वर्ष 50 हजार से अधिक श्रद्धालु पहुंचते हैं। इसके बाद भी सभी को पूजा के लिए स्थान प्राप्त हो जाता है। इसमें आयोजन समिति पूरा सहयोग करेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि समिति के सभी सदस्यों द्वारा आपसी समन्वय बनाकर इस वर्ष के आयोजन को नई ऊंचाई प्रदान की जाएगी।
कार्यालय शुभारंभ अवसर पर संरक्षक मंडल के एसपी सिंह, अध्यक्ष वी एन झा, डॉक्टर धर्मेंद्र कुमार दास, प्रवीण झा, अभय नारायण राय, सुधीर झा, डॉ कुमुद रंजन सिंह आदि उपस्थित रहे।