छत्तीसगढ़ बंगाली समाज ने बंग भवन में मनाया महालय पर्व- भारत संपर्क

बंगाल समेत बिलासपुर में रहने बंगाली समुदाय ने बुधवार को महालय का पर्व मनाया। महालय अर्थात देवी का महान निवास। सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध कर्म करने के बाद पूर्वज अपने लोक लौट जाते हैं और एक बार फिर धरती पर देवी देवता अपने स्थान पर वास करने लगते हैं। धरती पर देवी के आगमन को ही महालय कहते हैं। इसके बाद नवरात्रि की शुरुआत होती है। मान्यता है कि भूलोक में आने के लिए इसी दिन मां दुर्गा अपने निवास कैलाश से रवाना होती है। महालय पर अपने पितरों का पिंडदान और तर्पण किया जाता है ।इसी के साथ शक्ति की आराधना आरंभ होती है। बंगाल में दुर्गा पूजा का अपना ही विशिष्ट महत्व है, जिसका आरंभ महालय से होता है। इस दिन तड़के चंडी पाठ सुनने की प्राचीन परंपरा है। बिलासपुर में रहने वाले प्रवासी बंगालियों ने भी इसी परंपरा का पालन बुधवार को किया। महालय के विशिष्ट अवसर पर छत्तीसगढ़ बंगाली समाज द्वारा तोरवा स्थित बंग भवन में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया, जहां भक्ति पूर्ण गीत संगीत और नृत्य की प्रस्तुति दी गई।

इससे पहले प्रातः है तोरवा छठ घाट में पहुंचकर विधि विधान के साथ अपने पितरों को तर्पण और पिंडदान अर्पित किया गया । महालय के साथ के अलावा गणेश पूजा, दुर्गा पूजा ,छठ महापर्व जैसे आयोजनों के लिए छठ घाट की साफ सफाई के मद्दे नजर पिछले दिनों सर्व बंग समाज प्रतिनिधि मंडल ने महापौर से भी भेंट मुलाकात कर अपनी बात रखी थी। उसी का प्रभाव है कि इन दिनों छठ घाट में अरपा नदी में निर्मल जल प्रवाह दिखाई पड़ रहा है, साथ ही घाट पूरी तरह स्वच्छ नजर आ रहा है। सर्व बंग समाज द्वारा महापौर, नगर निगम आयुक्त, जिला अधिकारी से किया गया निवेदन सार्थक होता नजर आया, इसके लिए समर्पित समाज के लोगों का भी इस अवसर पर सम्मान किया गया, साथ ही संकल्प किया गया कि छठ घाट पर नदी को स्वच्छ रखने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।
इसी के साथ बंगाली समाज आगामी दुर्गा उत्सव के लिए जुट गया है। यह उनके लिए भक्ति के अलावा सबसे बड़ा सामाजिक उत्सव भी है, जिसकी खुशी सभी चेहरों पर स्पष्ट नजर आ रही है।
