छत्तीसगढ़ बंगाली समाज द्वारा धूमधाम से मनाया गया काली पूजा…- भारत संपर्क
इस बार दीपावली का पर्व 2 दिन मनाया गया। प्रथम दिवस अमावस्या तिथि आरंभ होने पर बंगाली समाज द्वारा विधि विधान के साथ मां काली की उपासना की गई। बिलासपुर रेलवे क्षेत्र और आसपास के उन सभी दुर्गा पंडालो में मां काली की पूजा हुई जहां दुर्गा पूजा की गई थी। इसके अलावा कालीबाड़ी में भी विधि विधान के साथ देवी की उपासना की गई।
अमावस की रात तंत्र साधना और शक्ति पूजा के उद्देश्य से मां काली की पूजा की जाती है। मां काली शक्ति का उग्र स्वरूप है जो अज्ञानता, बुराई और अंधकार का नाश करती है। रक्तबीज के संहार के लिए शक्ति ने यह स्वरूप धरा था। दीपावली की रात सज धज कर बंगाली समाज के लोग मां काली की पूजा के लिए पहुंचे। देर रात तक पूजा अर्चना हुई, जिसके बाद भोग प्रसाद का वितरण किया गया।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ बंगाली समाज द्वारा विगत वर्षों की भांति इस बार भी बांग्ला समाज भवन में मां काली पूजा का तीन दिवसीय आयोजन किया गया।
देश भर में जहां दीपावली के अवसर पर लक्ष्मी- गणेश की उपासना की जाती है तो वहीं बंगाल, असम, उड़ीसा में यह रात मां काली की उपासना का अवसर है। बिलासपुर में भी बड़ी संख्या में प्रवासी बंगालियों की बसाहट की वजह से दीपावली पर यहां भी धूमधाम से मां काली की पूजा की जाती है। विगत 7 वर्षों से छत्तीसगढ़ बंगाली समाज द्वारा तोरवा स्थित बांग्ला भवन में मां काली की पूजा अर्चना की जा रही है। दीपावली अमावस की महानिशा की रात पर यहां बंगाली पुरोहित द्वारा विधि विधान के साथ मां काली की पूजा अर्चना की गई।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में समाज के लोग जुटे, जिन्होंने उपवास रखकर पुष्पांजलि अर्पित की। हर वर्ष की भांति इस बार भी इस आयोजन में बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल भी सम्मिलित हुए जिन्होंने छत्तीसगढ़ में रहने वाले बंगभाषियों द्वारा सांस्कृतिक विरासत को सहेजने की परंपरा की मुक्त कंठ से सराहना की। पूजा के पश्चात यहां भोग वितरण किया गया
प्रथम दिवस यहां मां काली की पूजा अर्चना की गई। शुक्रवार को सुबह दधि कर्म पूजा हुई तो वहीं संध्या भजन कीर्तन का कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें सम्मिलित होकर समाज के लोग भजनों के साथ झूमते रहे। शाम को भोग भंडारे का वितरण किया गया।शनिवार को देवी प्रतिभा का विसर्जन किया जाएगा।