चीन ने अपनी डूबती इकोनॉमी को सुधारने के लिए लिया बड़ा फैसला,…- भारत संपर्क

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चीन ने अपनी डूबती इकोनॉमी को सुधारने के लिए लिया बड़ा फैसला,…- भारत संपर्क
चीन ने अपनी डूबती इकोनॉमी को सुधारने के लिए लिया बड़ा फैसला, ऐसे होगा असर

चीन की इकोनॉमी को बूस्‍ट करने के लिए एक अहम फैसला लिया गया है. Image Credit source: Getty Image

चीन की डूबती इकोनॉमी को किनारे पर लगाने के लिए बडा फैसला लिया गया है. चीन के सेंट्रल बैंक ने मंगलवार को प्रमुख ब्याज दरों में कटौती की है. मौजूदा समय में चीन की इकोनॉमिक ग्रोथ दुनिया की बाकी इकोनॉमी के मुकाबले काफी धीमी है. जिसे बूस्ट करने के लिए चीन के सेंट्रल बैंक की ओर से फैसला लिया गया है. पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने घोषणा की कि पांच साल की लोन प्राइम रेट यानी एलपीआर को 4.2 से घटाकर 3.95 कर दिया गया है.

एक साल की एलपीआर, जो कॉर्पोरेट लोन के लिए एक बेंचमार्क के रूप में कार्य करती है, 3.45 फीसदी के साथ बदलाव नहीं किया गया है. एक साल की ब्याज दर आखिरी बार अगस्त में कम की गई थी, जबकि पांच साल की एलपीआर पहले जून में कम की गई थी. मौजूदा समय में दोनों तरह की लेंडिंग अपने हिस्टोरिकल लोअर लेवल पर हैं.

1990 के बाद सबसे खराब ग्रोथ रेट

चीन के सेंट्रल बैंक की ओर से लिया गया ये फैसला इन इकोनॉमीज के बिल्कुल विपरीत हैं जो महंगाई को कम करने के लिए ब्याज दरों में इजाफा कर रहे हैं. पिछले साल की ग्रोथ रेट 1990 के बाद से सबसे खराब देखने को मिली थी. जिससे 2022 के अंत में सख्त कोविड प्रतिबंधों को खत्म करने के बाद आर्थिक सुधार की उम्मीदें कम हो गईं. अधिकारियों ने इकोनॉमिक ग्रोथ को गति देने के लिए महीनों तक संघर्ष किया है. चीन कई प्रकार की विपरीत परिस्थितियों से जूझ रहा है, जिसमें लंबे समय तक प्रोपर्टी सेक्टर में संकट, युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी और वैश्विक मंदी शामिल है, जिसने चीनी प्रोडक्ट्स की डिमांड को कम कर दिया है.

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क्यों लिया गया फैसला

जनवरी में, कंज्यूमर प्राइस 14 वर्षों से अधिक समय में सबसे तेज दर से गिरीं, जिससे सरकार पर देश की जर्जर इकोनॉमी को दोबारा से जिंदा करने के लिए और अधिक आक्रामक कदम उठाने का दबाव बढ़ गया. डिस्फ्लेशन कंपनियों की प्रोफिटिबिलिटी पर ब्रेक लगा सकती है और लॉन्ग टर्म में रोजगार और डिमांड को कम कर सकती हैं. पिछले महीने, बीजिंग ने घोषणा की थी कि वह बैंकों द्वारा रिजर्व में रखी जाने वाली राशि में कटौती करेगा, जिसे रिजर्व आवश्यकता अनुपात (आरआरआर) के रूप में जाना जाता है.

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