खतरे में चीन का ‘भविष्य’! जिनपिंग के देश की ये कैसी हो गई हालत? | china cost of… – भारत संपर्क

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खतरे में चीन का ‘भविष्य’! जिनपिंग के देश की ये कैसी हो गई हालत? | china cost of… – भारत संपर्क
खतरे में चीन का 'भविष्य'! जिनपिंग के देश की ये कैसी हो गई हालत?

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग

हम दो हमारे दो. इसे कहते ही जनसंख्या नियंत्रण के तमाम बरसों पुराने पोस्टर्स जहन में कौंध जाते हैं. जनसंख्या नियंत्रण की ये पुरानी पॉलिसी रही है, जो आज भी जारी है. लेकिन इसी दौर में दुनिया का एक इकलौता देश है चीन, जिसका स्लोगन था- एक ही बच्चा काफी है. ये रूल इतना सख्त था कि किसी परिवार में अगर एक से ज्यादा बच्चे हो गए तो उसपर कानूनी कार्रवाई की जाती. फिर चीन की आबादी घटने लगी तो लोगों को कह दिया ज़्यादा बच्चे पैदा करो. बकायदा टू चाइल्ड पॉलिसी भी बना दी. इससे कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ा तो साल 2021 में कपल्स को तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति भी दे दी. लोगों को सपोर्ट करने के लिए थोड़ा बहुत खर्च भी उठाने की जिम्मेदारी ले ली. पर अब चीन अपने ही जाल में फंस गया है.

आबादी उल्टा रिकॉर्ड संख्या में घट ही रही है. बढे़गी भी कैसे? बच्चों के पालन-पोषण के लिए चीन दुनिया में सबसे महंगी जगहों में से एक में शुमार हो गया है. दुनिया में दूसरे नंबर पर. चीन ने अमेरिका और जापान को पीछे छोड़ दिया है. यह हम नहीं कह रहे, बल्कि बीजिंग में स्थित एक थिंक टैंक- YuWa पॉपुलेशन रिसर्च इंस्टीट्यूट ने अपनी रिपोर्ट में बताया है. रिपोर्ट के ही मुताबिक चीन में 18 साल की उम्र तक एक बच्चे की परवरिश करने में 538,000 युआन (63 लाख रुपये) है – जो GDP से 6.3 गुना ज्यादा है. इसकी तुलना में अमेरिका में 4.11 गुना या जापान में 4.26 गुना है. चीनी शहरों में पले-बढ़े बच्चों के लिए औसत लागत बढ़कर 667,000 युआन (78 लाख रुपये) हो जाती है.

बहुत से कपल्स बच्चे ही नहीं पैदा करना चाहते

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि बच्चे के जन्म के बाद ज्यादा जिम्मेदारियां मां के ही हिस्से ही आती है. 2010 और 2018 के बीच, बच्चों के होमवर्क में मदद करने पर खर्च किया जाने वाला साप्ताहिक समय 3.67 घंटे से बढ़कर 5.88 घंटे हो गया. बच्चों के पालन-पोषण में ज्यादा शामिल रहने से मां को अपने नौकरी में इसका नुकसान झेलना पड़ता है. वहीं पिताओं को सिर्फ ख़ाली समय का नुकसान होता है.

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चीन की ही नहीं दुनिया के ज्यादातर मुल्कों की सच्चाई है कि बहुत से जोड़े बच्चे ही नहीं पैदा करना चाहते. एक वजह यह भी है कि अब महिलाएं काफी ज्यादा उम्र में बच्चे पैदा कर रही हैं. कुछ महिलाएं बेहतर पढ़ाई करने और अपना करियर संवारने के लिए बच्चा न पैदा करने का भी फैसला ले रही हैं. कई रिसर्च में पहले ही कहा जा चुका है कि बच्चे पैदा करने में आने वाला खर्चा, महिलाओं के लिए परिवार और काम के बीच संतुलन बनाने में कठिनाई जैसे कारणों से, चीनी लोगों की औसत प्रजनन क्षमता दुनिया में लगभग सबसे कम है. दक्षिण कोरिया के बाद चीन दूसरे नंबर पर है.

लगातार घट रही है चीन की आबादी

नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के मुताबिक 2023 में चीन में सिर्फ 90.2 लाख बच्चे पैदा हुए, जो 2017 से आधे हैं. 2023 में देश में 2022 के मुकाबले लगभग पांच लाख मौतें ज्यादा हुईं. यानी 2023 में कुल आबादी में 20.8 लाख की कमी हुई. 2022 में यह गिरावट सिर्फ आठ लाख 50 हजार थी. 1959-61 के अकाल के बाद यह पहली बार है जब चीन में लगातार दो साल तक आबादी में कमी हुई हो. विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं कि ऐसा होना जारी रह सकता है. शंघाई अकैडमी ऑफ सोशल साइंसेज ने सबसे पहले कहा था कि 2022 में चीन की आबादी घटेगी. अब उसका कहना है कि 1.4 अरब की आबादी सदी के आखिर तक घटकर 52.5 करोड़ रह सकती है.

चीन आबादी बढ़ाने के पीछे क्यों पड़ा है?

चीन में बूढ़े लोगों की आबादी लगातार बढ़ रही है. अनुमान है कि 2050 तक एक-तिहाई लोग लेबर फ़ोर्स से बाहर हो जाएंगे. यानी वे प्रोडक्शन नहीं कर पाएंगे. हम जानते ही हैं कि चीन दुनिया का मैन्युफ़ैक्चरिंग हब बन चुका है. अगर युवाओं की आबादी घटी तो इसपर भी बड़ा असर पड़ेगा. इस बात में भी कोई संदेह नहीं है कि किसी भी देश को आगे बढ़ाने के लिए युवाओं की जरूरत होती है. लिहाजा चीन चाहता है कि उसके यहां युवाओं की कोई कमी ना हो.

2024 से कितनी उम्मीदें?

अंधविश्वासी नीति-निर्माताओं को 2024 से कुछ उम्मीदे हैं. उनका तर्क है कि चीनी ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक 2024 ड्रैगन का साल है, जो सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. हो सकता है कि कुछ परिवारों ने 2023 में बच्चा पैदा करना टाल दिया हो क्योंकि 2023 खरगोश का साल था, जो कम भाग्यशाली माना जाता है. आखिर में YuWa की रिपोर्ट कहती है कि घटती जन्मदर का चीन की आर्थिक विकास क्षमता, इनोवेशन, लोगों की खुशी सूचकांक और यहां तक ​​​​कि राष्ट्रीय कायाकल्प पर गहरा प्रभाव पड़ेगा. चीन में दुनिया में सबसे कम प्रजनन दर यानी बच्चे पैदा करने की दर के पीछे सबसे बड़ा कारण है कि दुनिया में सबसे अधिक प्रजनन लागत.

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