भारत को खटकता है चीन का जो प्रोजेक्ट, उसमें जिनपिंग को मिला एक और देश का साथ | china… – भारत संपर्क

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भारत को खटकता है चीन का जो प्रोजेक्ट, उसमें जिनपिंग को मिला एक और देश का साथ | china… – भारत संपर्क
भारत को खटकता है चीन का जो प्रोजेक्ट, उसमें जिनपिंग को मिला एक और देश का साथ

चीन का बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव जिसे वन बेल्ट वन रोड और न्यू सिल्क रोड भी कहा जाता है.

चाइना ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में एक और देश को शामिल कर लिया है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सोमवार को बीजिंग में नाउरू के राष्ट्रपति विड एडियांग से मुलाकात की. इस मुलाकात में दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया, बैठक दौरान शी जिनपिंग ने कहा कि नाउरू के बेल्ट एंड रोड पहल में शामिल होने के लिए हम उसका स्वागत करते हैं.

बता दें जनवरी में चीन के दुश्मन माने जाने वाले देश ताइवान से नाउरू ने संबंध तोड़ दिए थे और इसके तुरंत बाद चीन के साथ राजनयिक संबंध फिर से शुरू किए थे. राजनयिक संबंधों की बहाली के बाद नाउरू राष्ट्रपति की यह पहली चीन यात्रा है. राजनयिक संबंध बहाल करने के नाउरू के इस फैसले पर शी ने कहा, “राजनयिक संबंध बहाल करने का नाउरू का राजनीतिक निर्णय एक ऐसा कदम है जो इतिहास और समय की मांग के अनुरूप है.” शी ने ये भी कह कि दोस्ती जब भी शुरू की जाए उसका भविष्य उज्ज्वल होना चाहिए. संबंधों आकार कितना भी हो, तब तक फाएदेमंद रहेगा जब तक वह ईमानदार है.

“चीन-नाउरू संबंध एक नया अध्याय”

राष्ट्रपति शी ने कहा कि चीन-नाउरू संबंधों ने इतिहास में एक नया अध्याय खोला है. चीन-नाउरू संबंधों का बेहतर भविष्य बनाने और दोनों देशों के लोगों को ज्यादा से ज्यादा फाएदा पहुंचाने के लिए चीन नाउरू के साथ काम करने के लिए तैयार है. नाउरी के राष्ट्रपति ने भी इस मुलाकात के बाद दोनों देशों के भविष्य में साथ काम करने और रिश्तों को मजबूत करने की बात कही.

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क्या है बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव?

चीन का बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव जिसे वन बेल्ट वन रोड और न्यू सिल्क रोड भी कहा जाता है. ये प्रोजेक्ट कई देशों से होके गुजर रहा है, इसको शी जिनपिंग की विदेश नीति का केंद्रबिंदु माना जाता है. इसके लिए चीन सरकार 2013 से 150 से ज्यादा देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में निवेश कर रही है. इसके जरिए चाइना खुदको दुनिया के कई देशों के साथ जोड़ना चाहता है. अगर ये प्रोजेक्ट कामयाब होता है तो इससे चीन की अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा होगा.

भारत क्यों करता है विरोध

चीन का ये विवादास्पद प्रोजेक्ट पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होके गुजर रहा है, जिसके उपर भारत ने कई बार आपत्ती जताई है. भारत पहले से कहता आया है कि चीन का ये प्रोजेक्ट छोटे देशों को चीन के कर्ज में डूबा देगा. भारत हमेशा से कहता आया कि बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव अतंराष्ट्रीय कानूनों को ध्यान में रख कर और सभी देशों की सहमती के साथ पूरा हो. भारत लगातार इस प्रोजेक्ट से दूरी बनाता रहा है. अंतरराष्ट्रीय लेवल पर 2017, 2019 और 2023 में इस विषय पर बैठकें हो चुकी हैं, जिनसे भारत ने खुद को अलग रखा है.

भारत के विदेश मंत्रालय ने 2017 में इस प्रोजेक्ट पर आपत्ति जाहिर करते हुए कहा था कि कनेक्टिविटी परियोजनाओं को इस तरह से आगे बढ़ाया जाना चाहिए कि संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान हो.

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