CM योगी ने EWS कोटे से बाची का कराया था दाखिला, अब वह ड्रेस-किताबों के लिए…


जनता मिलन कार्यक्रम में बाची ने सीएम योगी से मुलाकात की थीImage Credit source: सोशल मीडिया
बीते दिनों लखनऊ में हुए मुख्यमंत्री जनता मिलन कार्यक्रम में बाची नाम की एक छोटी बच्ची ने सीएम योगी से मुलाकात की थी. अपने परिजनों के साथ मुरादाबाद से आई बाची ने अपनी शिकायत में कहा था कि उसका नाम दाखिला के लिए निम्न आय वर्ग (EWS) कोटे से एक प्राइवेट स्कूल में आ गया है, लेकिन उसके बाद भी स्कूल दाखिला नहीं दे रहा है. इस मामले में बाची और उसके परिजनों ने सीएम योगी से हस्तक्षेप करने की मांग की थी.
नतीजतन 3 घंटे के बाद ही बाची का फ्री दाखिला मुरादाबाद के एक महंगे प्राइवेट स्कूल में हो गया, लेकिन बाची और उसके परिजनों की मुश्किलें अभी तक बनी हुई हैं. EWS कोटे से दाखिला होने पर बाची और उसके परिजनों को स्कूल फीस से तो राहत मिल गई है, लेकिन बाची के परिजन स्कूल ड्रेस और किताबों को लेकर परेशान हैं. आइए जानते हैं कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) 2009 के तहत EWS कोटे से दाखिला होने पर स्कूल ड्रेस और किताबों की व्यवस्था कौन करता है?
‘ड्रेस और किताबें बहुत महंगी’
EWS कोटे से प्राइवेट स्कूल में दाखिला होने पर ड्रेस और किताबों की व्यवस्था कौन करता है, इसे जानने से पहले बाची के पिता की परेशानी को समझते हैं. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बाची के पिता अमित कुमार का कहना है कि ड्रेस और किताबें बाजार में उपलब्ध नहीं हैं. किताबें और ड्रेस स्कूल की तरफ से उपलब्ध कराई जा रही है, जिसकी कीमत 14 हजार रुपये तक है, जिसे जुटाना उनके लिए चुनौतीपूर्ण बना हुआ है. अमित कुमार का कहना है कि अगर बाजार में ड्रेस और किताबें उपलब्ध होती तो शायद थोड़ा कम खर्च करना पड़ता. बाची के पिता अमित कुमार रैपिडो चलाते हैं.
ड्रेस और किताबों पर क्या कहता है RTE का नियम
शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) 2009 के तहत प्राइवेट स्कूलों की 25 फीसदी EWS कोटे के बच्चों के लिए आरक्षित हैं, जिसके तहत प्रारंभिक कक्षाओं में इन सीटों पर दाखिला दिया जाता है. वहीं RTE 2009 के नियम के तहत EWS कोटे से दाखिला देने वाले बच्चों को स्कूल ड्रेस और किताबें भी फ्री में देने का प्रावधान है. कानून में इसके लिए राज्य सरकार को अधिकृत किया है. हालांकि कई राज्यों में इसका पालन नहीं हो रहा है तो वहीं कई राज्यों में स्कूल की तरफ से ये सुविधा EWS बच्चों को उपलब्ध कराई जाती है, जिसका भुगतान राज्य सरकार बाद में करती है.
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