जातीय जनगणना पर जबरदस्ती श्रेय लेने का कांग्रेस और RJD कर रही पाखंड, जदयू…

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जातीय जनगणना पर जबरदस्ती श्रेय लेने का कांग्रेस और RJD कर रही पाखंड, जदयू…
जातीय जनगणना पर जबरदस्ती श्रेय लेने का कांग्रेस और RJD कर रही पाखंड, जदयू का बड़ा हमला

जदयू नेता विजय चौधरी सहित अन्य.

जातीय जनगणना पर केंद्र सरकार की तरफ से दी गयी हरी झंडी के बाद से राज्य में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है. कांग्रेस और राजद की तरफ से इसका श्रेय लेने पर सत्तारूढ़ जदयू ने सीधा हमला बोला है. पार्टी ने कहा है कि ये दाेनों दल पाखंड कर रहे हैं.

गुरुवार को प्रदेश जदयू कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार सरकार के वरिष्ठ मंत्री और जदयू नेता विजय चौधरी ने सीधे-सीधे कांग्रेस और राजद पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से, मुख्यमंत्री की तरफ से और हमारी पार्टी के साथियों को तरफ से और करीब-करीब सभी दलों ने इसका स्वागत किया है.

उन्होंने कहा कि जब केंद्र सरकार ने अपनी इच्छा जाहिर कर दी है, तब जो विपक्ष की पार्टियां हैं, चाहे वह कांग्रेस हो या आरजेडी या अन्य कोई दल, यह जबरदस्ती श्रेय लेने का पाखंड कर रहे हैं. विजय चौधरी ने कहा कि उनकी भूमिका केवल इतनी ही थी कि जब सीएम नीतीश कुमार ने इस दिशा में बहस लिया तो वह भी साथ में लग गए. किसी चीज को समर्थन देना और किसी चीज की शुरुआत करना, इसमें अंतर होता है.

पहल और फैसला नीतीश कुमार और एनडीए सरकार ने किया

विजय चौधरी ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम को देखने पर पता चलेगा कि बिहार में जो 2021 में जनगणना होने वाली थी, जो अभी तक नहीं हो पाई है. 2019-20 में सबसे पहले देश में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार की तरफ से यह आवाज गई थी कि 2021 वाली जनगणना जाति पर आधारित हो. मैं उस समय बिहार विधानसभा का अध्यक्ष था. मेरी अध्यक्षता में बिहार विधानसभा में 2019 और 20 में मुख्यमंत्री के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया था और केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया था.

उन्होंने कहा कि बिहार में जब एनडीए की सरकार में विधानसभा में इसे पारित किया था, तब 2021 में प्रतिनिधि मंडल प्रधानमंत्री से मिला था. तब भी एनडीए की सरकार में शामिल था.

विजय चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार में अपने स्तर पर जातीय सर्वे किया. जून 2022 में पहली बार मंत्री परिषद की बैठक में निर्णय हुआ कि बिहार में जाति आधारित गणना कराई जाएगी. यह तारीख भी इसलिए अहम है कि बिहार में तब एनडीए की सरकार थी, जबकि अगस्त में राजद हमारे साथ आई थी. इसलिए कोई ऐसा फैसला या मामला ऐसा नहीं था कि उनकी जोर लगाने से हुआ. सारा फैसला और पहल सीएम नीतीश कुमार ने किया और सरकार एनडीए की थी.

जातीय जनगणना पर तेज हुई सियासत

विजय चौधरी का कहना था कि हम लोगों ने कानून भी बनाया था, जिसे हाई कोर्ट में निरस्त किया था. इसके बाद हम लोग सुप्रीम कोर्ट में गए हैं. बिहार सरकार मुस्तैदी से उसपर काम कर रही है. हम आस लगाए हुए बैठे हैं कि मामला का निर्णय हमारे पक्ष में आए.

विजय चौधरी ने कहा कि जहां तक इसे संविधान की नौवीं अनुसूची में डालने की बात होती है तो यह भी जानना चाहिए कि संविधान की नाैंवी अनूसूची में अधिनियम या कानून को डाला जाता है. आज की तारीख में जब हमारा कानूनी अस्तित्व में नहीं है. कानून न्यायालय में गया है तो ऐसे में नौंवीअनुसूची में किसे डाला जाएगा? सरकार ने अपना कमिटमेंट बता दिया है कि हम उच्चतम न्यायालय से अपने हक में फैसला चाहते हैं. वह फैसला आ जाता है तो इसको अनुसूची में डालने की पहल की जाएगी.

उन्होंने बड़ी जानकारी देते हुए कहा कि जब हम लोग इंडिया ब्लॉक में थे, जब नीतीश कुमार ने जातीय आधारित गणना की बात कही थी, तब राहुल गांधी और ममता बनर्जी ने हमारे नेता के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. 2014 तक देश में इनकी ही सरकार थी. अगर यह चाहते तो करा लेते. आज नरेंद्र मोदी ने इसका फैसला लिया है. बिहार में सफलतापूर्वक जाति आधारित गणना पूरा करने और उसे अंजाम तक पहुंचाने का श्रेय हमेशा नीतीश कुमार के नाम पर ही दर्ज रहेगा.

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