परामर्श सिविल इंजीनियर्स एसोसिएशन (CCEA) ने नगर निगम के…- भारत संपर्क

0
परामर्श सिविल इंजीनियर्स एसोसिएशन (CCEA) ने नगर निगम के…- भारत संपर्क

बिलासपुर (छ.ग.)।
बिलासपुर नगर निगम द्वारा अवैध निर्माणों के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए दोषी आर्किटेक्ट्स के लाइसेंस रद्द करने की घोषणा के बाद अब इस फैसले पर सवाल उठने लगे हैं। इस निर्णय से आर्किटेक्ट्स ही नहीं, सिविल इंजीनियर्स भी नाराज हैं। परामर्श सिविल इंजीनियर्स एसोसिएशन (CCEA) ने इसे एकतरफा और भ्रामक बताया है तथा नगर निगम से आग्रह किया है कि अभियंता और आर्किटेक्ट, दोनों को समान अधिकार और सक्षमता के रूप में देखा जाए।

निगम की कार्रवाई सराहनीय, लेकिन तकनीकी भ्रम स्पष्ट होना जरूरी

CCEA के पदाधिकारियों ने नगर निगम आयुक्त और महापौर से मुलाकात कर अपना पक्ष स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि विगत कुछ दिनों में नगर निगम द्वारा अवैध निर्माण के खिलाफ की गई कार्रवाई सराहनीय है और एसोसिएशन इसका समर्थन करता है। लेकिन इस प्रक्रिया में तकनीकी सलाहकार को लगातार ‘आर्किटेक्ट’ कहकर संबोधित किया जाना भ्रामक है और इससे अभियंताओं की साख को नुकसान पहुँच रहा है।

अभियंता और आर्किटेक्ट दोनों हैं सक्षम: हाईकोर्ट में भी हुआ है स्पष्टीकरण

एसोसिएशन ने यह भी स्पष्ट किया कि तकनीकी रूप से आर्किटेक्ट और सिविल इंजीनियर दोनों अलग-अलग शैक्षणिक योग्यताएं रखते हैं, लेकिन नगर निगम की गाइडलाइन दोनों को समान रूप से तकनीकी सलाहकार के रूप में मान्यता देती है। वर्ष 2011 में इसी मुद्दे पर बिलासपुर कंसल्टिंग इंजीनियर्स संघ ने छत्तीसगढ़ शासन के आदेश के विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, और आदेश में संशोधन भी करवाया गया था। इसलिए यह कहना कि केवल आर्किटेक्ट ही भवन अनुज्ञा हेतु पात्र हैं, पूरी तरह अनुचित है।

पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी शपथपत्र पर निर्भर

CCEA ने यह भी दोहराया कि भवन निर्माण के दौरान पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी उस तकनीकी सलाहकार की होती है जिसने निगम को शपथपत्र दिया होता है – चाहे वह अभियंता हो, आर्किटेक्ट हो या अधिकृत पर्यवेक्षक। अतः किसी भी अवैध निर्माण के लिए संबंधित शपथकर्ता को ही जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, न कि समस्त वर्ग को।

दोहरे मानदंडों पर सवाल, रिसाली निकाय के निर्णय पर जताई चिंता

एसोसिएशन ने प्रदेश के अन्य निकायों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाया। उन्होंने बताया कि जहां एक ओर बिलासपुर नगर निगम अवैध निर्माण पर सख्ती दिखा रहा है, वहीं दूसरी ओर रिसाली नगर निगम, भिलाई द्वारा अवैध निर्माण को सशुल्क वैध करने का प्रस्ताव दिया जा रहा है। इससे अवैध निर्माण को अप्रत्यक्ष रूप से प्रोत्साहन मिलेगा और नागरिकों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न होगी। CCEA ने पूछा कि क्या प्रशासन अलग-अलग निकायों में अलग नीति अपनाकर दोहरा संदेश देना चाहता है?

अभियंताओं के व्यवसाय पर मंडरा रहा संकट

एसोसिएशन ने चिंता जताई कि यदि तकनीकी भ्रम को समय रहते दूर नहीं किया गया, तो नगर निगम में पंजीकृत सैकड़ों अभियंताओं और पर्यवेक्षकों के व्यवसाय पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। अतः प्रशासन से आग्रह किया गया है कि वह अभियंता और आर्किटेक्ट की सक्षमता को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करे, ताकि समाज में कोई असमंजस की स्थिति न बने।

सीसीईए प्रतिनिधिमंडल ने सौंपा ज्ञापन

इस अवसर पर परामर्श सिविल इंजीनियर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों – दीपक अग्रवाल, दीपक उपाध्याय, आलोक त्रिवेदी, वी. एस. शास्त्री, प्रवीण नायडू, सुजीत गुप्ता, शुभम् शर्मा, हेतराम श्रीवास, आओगेश सेन, गिरीश पाठक एवं अन्य सदस्यगण – ने नगर निगम प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए अपनी बात रखी।


Post Views: 8

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सड़कों पर धान रोपाई करने वाले कांग्रेसियों पर विधायक सुशांत…- भारत संपर्क| बिना इंटरनेट ऐसे भेजें लोकेशन, मुसीबत में ये ट्रिक आएगी आपके काम – भारत संपर्क| AIIMS Gorakhpur: एम्स गोरखपुर में MBBS छात्रों का बुरा हाल, इंटरनल एग्जाम में…| किसी मरीज या अस्पताल को नहीं हुआ गुणवत्ताहीन कैल्शियम…- भारत संपर्क| जांजगीर-चांपा में दिनदहाड़े 11.79 लाख की कथित लूट निकली…- भारत संपर्क