बिना टेंडर कबाड़ बिक्री का आरोप, जिला अस्पताल में विवाद ,…- भारत संपर्क



बिलासपुर, छत्तीसगढ़ | एस.भारत न्यूज़
बिलासपुर जिला अस्पताल में वर्षों से जमा कबाड़ की नीलामी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने बिना किसी वैध टेंडर प्रक्रिया को अपनाए कबाड़ को निजी ठेकेदार को बेच दिया। इस बीच रविवार को उस समय हड़कंप मच गया, जब कबाड़ ले जाने आए वाहन चालक से दस्तावेज मांगे गए, लेकिन वह कोई वैध कागजात नहीं दिखा सका और स्थिति बिगड़ती देख वाहन वहीं छोड़कर मौके से फरार हो गया।
पुनर्वास केंद्र के पास वर्षों से पड़ा था कबाड़
जिला अस्पताल परिसर में स्थित पुनर्वास केंद्र के पास स्ट्रेचर, व्हीलचेयर, पुरानी कुर्सियां, टेबल और अन्य उपकरणों का ढेर वर्षों से जमा था। बीते दो दिनों से इस कबाड़ को हटाने का कार्य किया जा रहा था। इस दौरान कुछ स्थानीय नागरिकों और अस्पताल कर्मियों ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए और दस्तावेज की मांग की।
वाहन चालक के पास नहीं थे दस्तावेज
स्थानीय लोगों ने जब वाहन चालक और कर्मचारियों से कबाड़ ले जाने की अनुमति और टेंडर की प्रति मांगी, तो शुरुआत में बहाने बनाए गए। लेकिन बाद में यह स्पष्ट हो गया कि चालक के पास कोई वैध कागजात नहीं हैं। इसी बीच विवाद बढ़ता देख चालक वाहन वहीं छोड़कर भाग निकला। यह देख मौके पर उपस्थित लोग और अधिक संदेह में आ गए।
सिविल सर्जन ने दी सफाई
विवाद के बाद जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. अनिल गुप्ता ने पूरे मामले पर सफाई देते हुए कहा,
“कबाड़ की नीलामी पूरी तरह से वैध प्रक्रिया के तहत की गई है। इसे टेंडर के माध्यम से ठेकेदार को सौंपा गया है। तौल के समय हमारे कर्मचारी भी उपस्थित थे। लेकिन कुछ लोगों द्वारा वाहन चालक और मजदूरों को अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा था, जिस कारण चालक वहां से चला गया।”
लेकिन सवाल बरकरार
हालांकि सिविल सर्जन ने प्रक्रिया को वैध बताया है, परंतु वाहन चालक के दस्तावेज न दिखा पाने और गाड़ी छोड़कर भागने की घटना ने पूरे मामले पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि प्रक्रिया पारदर्शी और कानूनी थी, तो फिर मौके पर संबंधित दस्तावेज क्यों उपलब्ध नहीं कराए गए?
जांच की मांग तेज
इस घटना के बाद कई सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने मामले की जांच की मांग की है। उनका कहना है कि सरकारी संपत्ति के निपटान में पारदर्शिता जरूरी है। यदि यह मामला वास्तव में वैध प्रक्रिया से हुआ है, तो दस्तावेज सार्वजनिक किए जाएं और यदि इसमें कोई अनियमितता है तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
यह विवाद जिला अस्पताल प्रबंधन की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है। कबाड़ जैसी सरकारी संपत्ति के निस्तारण में भी प्रक्रिया और पारदर्शिता उतनी ही जरूरी है, जितनी किसी भी अन्य सरकारी कार्य में। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में जांच कर सच्चाई सामने लाता है या यह विवाद यूं ही दबा दिया जाएगा।
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