देश की जीडीपी हाई, अब जान लीजिए कब कम होगी आपकी Loan EMI? |…- भारत संपर्क

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देश की जीडीपी हाई, अब जान लीजिए कब कम होगी आपकी Loan EMI? |…- भारत संपर्क
देश की जीडीपी हाई, अब जान लीजिए कब कम होगी आपकी Loan EMI?

जानकारों का कहना है कि आम लोगों की लोन ईएमआई अक्‍टूूबर में कम होती दिखाई दे सकती है.

सरकार ने जीडीपी के मोर्चे पर बड़ी सफलता हासिल कर ली है. तीसरी तिमाही में देश की जीडीपी के आंकड़ें साफ तौर पर पूरी कहानी बयां कर रहे हैं. साथ ही उन अनुमानों को भी धता बता रहे हैं जो कह रहे थे कि देश की इकोनॉमी 7 फीसदी से नीचे रह सकती है. इसलिए एसबीआई से लेकर तमाम इकोनॉमिक इंस्टीट्यूशंस ने मौजूदा वित्त वर्ष के जीडीपी अनुमान में इजाफा कर दिया है. लेकिन आम लोगों से जुड़ा सवाल अभी भी अनसुलझा है. देश की हाई पर पर आ गई है, लेकिन आम लोगों की ईएमआई कब कम होगी? क्या देश में महंगाई अभी भी इतनी ज्यादा है कि पॉलिसी रेट को ऊंचा रखना जरूरी है?

कुछ जानकारों ने तो यहां तक कह दिया है कि देश के बेहतर इकोनॉमिक आंकड़ों ने सरकार को महंगाई कम करने के लिए दो से तीन महीने की विंडो और दे दी है. इसका मतलब है आम लोगों की ईएमआई कम होने का इंतजार अक्टूबर तक बढ़ सकता है. इससे पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि दूसरी तिमाही यानी सितंबर तिमाही में आरबीआई ब्याज दरों में एक फीसदी तक की कटौती कर सकता है. लेकिन अब ऐसा होता बिल्कुल भी दिखाई नहीं दे रहा है. जानकारों का कहना है कि दिसंबर तिमाही में यानी अक्टूबर में होने वाली मीटिंग में ब्याज दर में कटौती देखने को मिल सकती है जो कि 0.50 फीसदी की हो सकती है. आाइए आपको भी बताते हैं कि आखिर इस मामले में जानकारों की का क्या कहना है?

अक्टूबर में ब्याज दर होगी कम

डीबीएस बैंक की सीनियर इकोननॉमिस्ट राधिका राव कहती हैं कि वित्त वर्ष 2025 में साल-दर-साल 7 फीसदी की ग्रोथ का अनुमान और 4.5 फीसदी से ऊपर महंगाई के साथ हमें उम्मीद है कि आरबीआई अक्टूबर में होने वाली पॉलिसी मीटिंग में रेपो रेट में 0.50 फीसदी की कटौती कर सकती है. इससे पहले बैंक का अनुमान अप्रैल 2025 में 1 फीसदी की कटौती करने का था. उन्होंने कहा कि आगे की राह में 2024 की दूसरी तिमाही के अंत में रुख में बदलाव देखने को मिल सकता है, जिसके बाद दूसरी छमाही में नरमी आएगी, जो ब्रोडर मैक्रो और ग्लोबल डेवलपमेंट पर निर्भर करेगी.

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अगले 6 महीने में कोई बदलाव नहीं

एक्यूइट रेटिंग्स एंड रिसर्च के चीफ इकोनॉमिस्ट सुमन चौधरी ने कहा कि अनुमान से बेहतर जीडीपी आंकड़ों के आने के बाद आरबीआई लंबी अवधि के लिए सख्त मॉनेटरी पॉलिसी को अपना सकता है और मौजूदा रुख में अगले छह महीने किसी भी तरह के बदलाव की संभावना नहीं है. एनएसओ ने पहली और दूसरी तिमाही के डाटा को भी रिवाइज्ड कर क्रमशः 7.8 फीसदी और 7.6 फीसदी से बढ़ाकर 8.2 फीसदी और 8.1 फीसदी कर दिया है.

आरबीआई महंगाई पर रहेगा सख्त

बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा कि आरबीआई महंगाई के आंकड़ों पर सख्ती से अमल करेगा. केंद्रीय बैंक ने अनुमान लगाया है कि महंगाई केवल दूसरी तिमाही में 5 फीसदी से कम होगी. ऐसे में कोई भी ब्याज दरों के कम होने की उम्मीद कर सकती है बशर्ते कि मानसून की स्थिति ठीक हो. उन्होंने कहा कि महंगाई मानसून के झटकों और ऊंची खाद्य कीमतों से अधिक निर्देशित होगी.

आरबीआई के महंगाई का अनुमान

फरवरी की पॉलिसी मीटिंग में आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024 के लिए सीपीआई द्वारा मापी गई महंगाई 5.4 फीसदी और मार्च तिमाही में 5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. अगले वित्त वर्ष में सामान्य मानसून की धारणा पर, आरबीआई को उम्मीद है कि पहली तिमाही में 5 फीसदी, दूसरी तिमाही में 4 फीसदी, तीसरी में 4.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 4.7 फीसदी रहेगी.

कोई संभावना नहीं

बंधन बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट सिद्धार्थ सान्याल ने कहा कि आने वाली तिमाहियों में महंगाई प्रिंट में नरमी के अनुमान के साथ मजबूत ग्रोथ पॉलिसी मेकर्स को काफी मदद करेगी. उन्होंने कहा कि हालांकि हमारा मानना है कि आने वाले कुछ महीनों में पॉलिसी रेट में कोई बदलाव होने की कोई संभावना नहीं है.

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