क्रिकेट की कहानियां: जब Lalit Modi ने IPL के लिए करियर को दांव पर लगाया, कि… – भारत संपर्क

ललित मोदी ने कैसे शुरू किया था आईपीएल?
डॉन ब्रैडमैन, क्रिकेट का वो नाम जो ना जाने कितनी रिकॉर्ड्स बुक में सबसे ऊपर लिखा जाता है. उनके साथ ही ऑस्ट्रेलिया के लिए खेलने वाले Arthur Morris से एक बार सवाल हुआ, आपने अपने देश के लिए हज़ारों रन बनाए हैं, इतने लंबे वक्त तक क्रिकेट खेला है लेकिन क्रिकेट से आपको क्या मिला. उनका जवाब सिर्फ एक लाइन का था, क्रिकेट ने सिर्फ गरीबी दी है.
पुराने क्रिकेटर्स से पूछेंगे या फिर इतिहास में जाएंगे तो क्रिकेट तब एक शौक ही था, जिसे जीने के लिए आप को कमाई की कुर्बानी देनी पड़ती थी क्यूंकि क्रिकेट में पैसा नहीं मिलता था. लेकिन समय बदला, आगे बढ़ा और फिर एक लीग आई जिसे हम इंडियन प्रीमियर लीग कहते हैं जहां आज खिलाड़ी सिर्फ दो महीने क्रिकेट खेलने के करोड़ों रुपये लेते हैं, जहां एक बॉल मैच का हाल और खिलाड़ी की किस्मत दोनों ही बदल देती है. लेकिन इस बड़ी लीग के बनने के पीछे भी कई पापड़ बेले गए थे, क्यूंकि हिन्दुस्तान जैसे मुल्क में इस तरह का बड़ा प्रयोग करना इतना आसान भी नहीं होता है.
आईपीएल के शुरुआत का जिक्र होते ही सबसे पहला नाम जो आता है वो ललित मोदी का ही आता है. हर किसी को मालूम है कि ललित मोदी ने किस तरह आईपीएल को शुरुआत करने की तैयारी की, यहां तक कि अपना करियर भी दांव पर लगा दिया. लेकिन ललित मोदी की कहानी पर आएं, उससे पहले इस खेल में एक और ट्विस्ट है. दरअसल, बीसीसीआई को मालूम चल गया था कि क्रिकेट में पैसा ब्रॉडकास्टिंग से ही बनाया जा सकता है और इसी के दमपर वो दुनिया का सबसे अमीर बोर्ड बन भी रहा था.
अब कई कंपनियां चाहती थीं कि उन्हें भी क्रिकेट के मीडिया राइट्स मिल जाएं, साल 2004 में Zee Entertainment की ओर से इसके लिए अप्लाई किया गया. लेकिन राइट्स नहीं मिले, 2006 में भी कोशिश हुई तब भी नहीं मिले. उसके बाद ज़ी एंटरटेनमेंट के मालिक सुभाष चंद्रा ने साल 2007 में अपनी ही एक लीग चालू करने का फैसला कर लिया, नाम था इंडियन क्रिकेट लीग. ये सिर्फ दो सीजन चली और इसी एक तरह से बागी लीग का नाम दिया गया, बीसीसीआई को इतना गुस्सा आया कि इस लीग से जुड़े हुए क्रिकेटर्स, कमेंटेटर्स या किसी भी अन्य अधिकारी पर बैन की धमकी दे डाली. रिजल्ट ये हुआ कि सिर्फ दो साल में ही ये लीग बंद हो गई.
सुभाष चंद्रा ने शुरू किया था ICL
अब वापस ललित मोदी और आईपीएल की कहानी पर आते हैं. ललित मोदी करीब 2002-03 के बाद से ही बीसीसीआई में अपनी पैठ बनाने की कोशिश में लगे हुए थे. शुरुआत हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन से हुई, वहां वो पूरी तरह सफल नहीं हुए, फिर राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन और पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन में भी गए. राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन में ललित मोदी का दबदबा बढ़ने लगा था, क्यूंकि तब राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे थीं और वो ललित मोदी की दोस्त थीं ये कहा जाता है कि इस वजह से ललित मोदी को काफी सपोर्ट मिला था.
साल 2006-07 में ललित मोदी ने पहली बार इंडियन प्रीमियर लीग का सपना देखा. उन्होंने बोर्ड में इसकी बात की और तब कुछ सदस्यों ने इसका मज़ाक भी उड़ाया. पत्रकार बोरिया मज़ूमदार ने ललित मोदी और आईपीएल को लेकर एक किताब लिखी, जिसमें ये दावा किया गया कि बीसीसीआई के कई अधिकारी ये चाहते थे कि ललित मोदी का ये प्रोजेक्ट फेल हो जाए, ताकि बोर्ड में उनकी बढ़ती ताकत घट सके. ललित मोदी उस वक्त तक बीसीसीआई के उपाध्यक्ष बन गए थे, राजस्थान क्रिकेट बोर्ड में उनकी ताकत थी और तब के बोर्ड अध्यक्ष शरद पवार समेत अन्य लोगों से उनके संबंध बेहतर हो चुके थे.
ललित मोदी विदेश में खेले जाने वाली एनबीएल या ईपीएल जैसी लीग से प्रभावित थे, आईपीएल को लेकर उन्होंने इसी की केस स्टडी भी की थी. उनको भरोसा था कि ये सफल हो जाएगा, लेकिन कैसे? ये किसी को मालूम नहीं था, ललित मोदी आईपीएल के लिए माहौल तैयार कर ही रहे थे तभी उनके लिए एक अच्छी खबर आई कि टीम इंडिया ने साल 2007 का टी-20 वर्ल्ड कप जीत लिया. इससे भारत में इस फॉर्मेट के लिए एक भरोसा-सा जग गया.
ललित मोदी कैसे अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट को बेच रहे थे, इसका अंदाज़ा इसी बात ले लगाया जा सकता है कि टी-20 वर्ल्ड कप 2007 में भारत इंग्लैंड का जो मैच हुआ, जहां युवराज सिंह ने वो 6 छक्के जमाए थे उस मैच में ललित मोदी स्टैंड्स में एक टी-शर्ट पहने हुए थे जिसपर IPL लिखा था और ये आईपीएल शुरू होने से करीब 8 महीने पहले की कहानी है.
ललित मोदी सब तैयारी कर रहे थे, लेकिन सवाल ये था कि आईपीएल में पैसा कौन लगाएगा और क्यों लगाएगा. ललित मोदी ने जिन लोगों को टीम खरीदने के लिए पिच किया, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आखिर पैसा देकर मिलेगा क्या, क्योंकि यहां ना कोई प्रॉपर्टी मिलने वाली थी, ना कोई स्टेडियम मिल रहा था. तो ललित मोदी को ये समझाने में काफी वक्त लगा कि आखिर अगर कोई आईपीएल में पैसा लगाएगा तो आखिर उसे मिलेगा क्या, क्यूंकि ललित मोदी के कनेक्शन बिजनेस से लेकर बॉलीवुड और बाकी फील्ड में थे ही तब उन्होंने उन कनेक्शन का इस्तेमाल करके शुरुआती इन्वेस्टर्स को इकट्ठा किया.
और इस तरह शाहरुख खान से लेकर शिल्पा शेट्टी, मुकेश अंबानी, प्रीति जिंटा समेत अन्य कई बड़े नाम आईपीएल के इस इवेंट में हिस्सा लेने के लिए तैयार हुए और क्रिकेट इतिहास की सबसे बड़ी लीग का जन्म हुआ. 18 अप्रैल, 2008 को आईपीएल का पहला मैच खेला गया था. उससे पहले खिलाड़ियों की बोली लगी थी, जिसको लेकर भी काफी बवाल हुआ था.