लोहे के फेफड़े में 70 साल तक जीने वाले शख्स की मौत, जानिए क्यों बितानी पड़ी नर्क जैसी… – भारत संपर्क

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लोहे के फेफड़े में 70 साल तक जीने वाले शख्स की मौत, जानिए क्यों बितानी पड़ी नर्क जैसी… – भारत संपर्क
लोहे के फेफड़े में 70 साल तक जीने वाले शख्स की मौत, जानिए क्यों बितानी पड़ी नर्क जैसी जिंदगी

‘पोलियो पॉल’ की 78 साल में मौत

ये बात 1940 की है जब अमेरिका में पोलियो का कहर था. यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक उस वर्ष अमेरिका में 21,000 से अधिक पोलियो के मामले दर्ज किए गए थे. महामारी के उस दौर में 1946 में एक बच्चे का जन्म हुआ. नाम पॉल एलेक्जेंडर. 1952 में महज 6 साल की उम्र में ही पोलियो की चपेट से पॉल भी नहीं बच पाए. कम उम्र में पोलियो हो जाने की वजह से आगे का जीवन गुजारने के लिए करीब 7 दशक तक उन्हें आयरन लंग यानी लोहे के फेफड़े की मदद लेनी पड़ी. कुछ दिनों पहले ही ”पोलियो पॉल” के नाम से मशहूर पॉल एलेक्जेंडर ने 78 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

क्यों लेनी पड़ी लोहे के फेफड़ों की मदद

अमेरिका से ताल्लुक रखने वाले पॉल अलेक्जेंडर की बिमारी का पता लगने के बाद उनके माता पिता उन्हें टेक्सास स्थित अस्पताल में ले गए. यहां इलाज के दौरान पता चला कि उनका फेफड़ा पूरी तरह से खराब हो गया है. हाल ये हो गया था कि 1952 में उनके गर्दन के निचले हिस्से ने काम करना बंद कर दिया. जिसकी वजह से उन्हें सांस लेने में परेशानी होने लगी. पॉल की स्थिति को देख डॉक्टरों ने पहले तो कहा कि उनकी जान नहीं बच पाएगी, मगर तभी एक दूसरे डॉक्टर ने उनके लिए लोहे की मशीन से आधुनिक लंग का अविष्कार किया. पॉल के शरीर का पूरा हिस्सा मशीन में हुआ करता था, जबकि महज उनका चेहरा बाहर दिखाई देता था. मार्च 2023 में, उन्हें गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की तरफ से दुनिया में सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले आयरन फेफड़े का मरीज घोषित किया गया था.

हालात के सामने नहीं झुके, किताब भी लिखी

पॉल की महत्वाकांक्षाओं ने उनकी हालात के सामने घुटने नहीं टेके. उन्होंने साँस लेने की तकनीक सीखी जिससे उन्हें एक समय में कुछ घंटों के लिए उस मशीन को छोड़ने की अनुमति मिलती थी. उन्होंने इस दौरान अपनी ग्रैजुएशन पूरी की, कानून की डिग्री हासिल की और 30 सालों तक कोर्ट रूम वकील के रूप में काम किया. आप हैरान होंगे लेकिन पॉल ने अपनी आत्मकथा भी लिखी. किताब का नाम है- थ्री मिनट्स फॉर ए डॉग: माई लाइफ इन ए आयरन लंग. वो दूसरी किताब पर भी काम कर रहे थे. पॉल ने कीबोर्ड पर मुंह में रखी प्लास्टिक की छड़ी से जुड़े पेन का इस्तेमाल करके अपनी लेखन प्रक्रिया का प्रदर्शन किया था.

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पोलियो वैक्सीनेशन के थे समर्थक

इस साल जनवरी में पॉल ने “पोलियो पॉल” टिकटॉक अकाउंट बनाया था जहां वो लोहे के फेफड़ों में जीवलन गुजारना कैसा होता है बताते थे. उनकी मृत्यु के समय उनके 300,000 फॉलोअर्स और 4.5 मिलियन से ज्यादा लाइक्स थे. पॉल पोलियो टीकाकरण के भी समर्थक थे. अपने पहले टिकटॉक वीडियो में उन्होंने कहा था कि लाखों बच्चे पोलियो से सुरक्षित नहीं हैं. इससे पहले कि कोई और महामारी फैले, उन्हें ऐसा करना ही होगा.

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