बीमा क्लेम के मामले में सुनाया गया फैसला- भारत संपर्क
बीमा क्लेम के मामले में सुनाया गया फैसला
कोरबा। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने बीमा क्लेम के मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। इस मामले में पीडि़ता की पैरवी युवा अधिवक्ता सौरभ अग्रवाल ने की है। फरियादी अनिता सिंह, 52 वर्ष पति स्व. अभय राज सिंह निवासी पवन गैस एजेंसी के पीछे, सुभाष ब्लाक के द्वारा उसके पति बीमाधारक स्व.अभयराज सिंह की मृत्यु बाद बीमा क्लेम किया गया। क्लेम पर विरोधी पक्षकार क्रमांक 2-एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, रामा पोर्ट, द्वितीय तल, व्यापार विहार रोड बिलासपुर व विरोधी पक्षकार क्रमांक 3– एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, 9वीं मंजिल, वेस्टपोर्ट, पैन कार्ड क्लब रोड, बानेर, पुणे (महाराष्ट्र) द्वारा कोई लाभ नहीं दिया गया। कारण बताया गया कि क्लेम की शर्त अवधि 28 दिन से पहले मौत हो जाने के करण उसे लाभ नहीं दिया जा सकता। उपभोक्ता आयोग ने दोषी पाए जाने पर भुगतान का निर्देश देने के साथ अर्थदण्ड भी आरोपित किया है। मामले में उपभोक्ता आयोग के समक्ष प्रतिवादियों (विरोधी पक्षकार) एसबीआई ने बताया कि बीमाधारक के हृदय रोग से ग्रस्त होने की जानकारी दिनांक 14.12.2022 को प्राप्त हुई जिसके पश्चात् दिनांक 18.12.2022 को उसकी मृत्यु उक्त रोग के कारण हो गई। इस प्रकार, बीमाधारक के रोग की जानकारी प्राप्त होने के पश्चात् वह बीमा पॉलिसी में नियत 28 दिवस की अवधि पर्यन्त जीवित नहीं रहा था। फलत: बीमा पॉलिसी की शर्तानुसार बीमा धारक की मृत्यु के संबंध में क्षतिपूर्ति देय नहीं होने के कारण परिवादिनी द्वारा तत्संबंध में प्रस्तुत दावा विरोधीपक्षकार बीमा कम्पनी के द्वारा विधिवत् निरस्त करते हुए तत्संबंधी लिखित सूचना पत्र दिनांक 29.08. 2023 के माध्यम से परिवादिनी अनिता सिंह को प्रदान की जा चुकी है। इस प्रकार, विरोधीपक्षकार द्वारा स्व. अभय राज सिंह एवं परिवादिनी को प्रदत्त बीमा सेवा में किसी प्रकार की कमी या त्रुटि नहीं की गई है। विरोधी पक्षकार क्षतिपूर्ति प्रदान करने के लिए दायित्वधीन नहीं है। विरोधी पक्षकार को निराधार रूप से परेशान करने के दुराशय से परिवादिनी द्वारा वर्तमान प्रकरण विधि विरूद्ध प्रस्तुत किया गया है। जिसके कारण विरोधीपक्षकार तथा उनके अधिकारियों को कारित मानसिक कष्ट हेतु परिवादिनी से 10,000/- रू. क्षतिपूर्ति स्वरूप दिलाते हुए प्रकरण सव्यय निरस्त किये जाने का निवेदन किया गया। अपने तर्क के समर्थन में विरोधीपक्षकार के द्वारा दस्तावेज प्रस्तुत किया गया।