डिग्री की भी हो एक्सपायरी डेट, हर 10 साल में होना चाहिए वैलिडेशन, NETF अध्यक्ष…

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डिग्री की भी हो एक्सपायरी डेट, हर 10 साल में होना चाहिए वैलिडेशन, NETF अध्यक्ष…
डिग्री की भी हो एक्सपायरी डेट, हर 10 साल में होना चाहिए वैलिडेशन, NETF अध्यक्ष ने ऐसा क्यों कहा, समझें इसके मायने

NETF अध्यक्ष ने कहा कि डिग्री का वैलिडेशन होना चाहिए.
Image Credit source: getty images

किसी परीक्षा को पास करना किसी जंग जीतने से कम नहीं होता, लेकिन यदि आपको यह बोल दिया जाए कि फिर से आपको वही परीक्षा देनी होगी क्योंकि आपकी डिग्री एक्सपायर हो चुकी है. ऐसे में आप क्या करेंगे. देश के शिक्षाविद की राय यह है कि हमें जो परीक्षा के बाद डिग्री दी जाती है. उसका भी वैलिडेशन होना चाहिए. राष्ट्रीय शिक्षा प्रोद्योगिकी फोरम (एनईटीएफ) के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धे ने टीवी9 भारतवर्ष से खास बातचीत में कहा कि बेहतर रोजगार के अवसर के लिए समय- समय पर आपकी डिग्री का वैलीडेशन होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि देश, समाज और तकनीक हर कुछ बहुत तेजी से बदल रहा है. इस बदलाव का असर डिग्री पर भी दिखना चाहिए. यही वजह है कि उन्होंने कहा कि हर 10 साल में किसी भी डिग्री का वैलिडेशन होना चाहिए. आइए जानते हैं कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा और इसके मायने क्या हैं.

क्यों जरूरी है डिग्री का वैलिडेशन?

प्रोफेसर अनिल ने कहा कि हम कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर डिग्री प्राप्त करते हैं. उसका जो करिकुलम है. वह कई बार आउटडेटेड हो जाता है. कई बार जब अप टू डेट भी करते हैं, तो तीन या चार साल के प्रोग्राम के बाद छात्र जब डिग्री प्राप्त कर लेता है और बाहर आता है तब तक कई चीज बदल जाती हैं.

ऐसे समय में हमारी जो इंडस्ट्री है वह कहती है कि जो ग्रेजुएट होकर आ रहे हैं. वह रोजगार के योग्य नहीं है क्योंकि आज के दिन की जो जरूरतें हैं. उसकी जानकारी उन्हें नहीं है. ऐसे समय पर यदि अपडेटेड करिकुलम के साथ जाते हैं तो उसका रेलीवेंस हो सकता है कि वह बरकरार रहे . उसके साथ बहुत सारा बदलाव और होता रहेगा फिर उस डिग्री का क्या महत्व है.

स्किलिंग, रीस्किलिंग और अपस्किलिंग

प्रोफसर अनिल ने कहा कि हमारी इंडस्ट्री में दो-तीन भाषा का प्रयोग सबसे ज्यादा हो रहा है. जिसमें स्किलिंग, री स्केलिंग और अपस्किलिंक है. ऐसे में यदि हम जीवन पर्यंत तक इस बदलाव के साथ नहीं रहेंगे तो उस डिग्री का ज्यादा महत्व नहीं रहेगा. उन्होंने कहा जो डिग्री यूनिवर्सिटी ने दिया है वह तो जीवन पर्यन्त रहेगी लेकिन उसमें बदलाव नहीं हो रहा है, नया नहीं सीख रहे हैं. उसमें कोई कुछ नहीं कर रहे हो तो आपकी वैल्यू कम हो जाती है.

तेजी से हो रहा बदलाव

प्रोफेसर ने कहा कि टेक्निकल एजुकेशन में तो बहुत कुछ चीज बदलती है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ टेक्निकल एजुकेशन में समझ में अनेक परिवर्तन होते हैं. सोशियोलॉजी और इकोनॉमिक्स का विषय है. इसमें भी बदलाव हो रहा है. मसलन हमारे देश की इकोनॉमिक्स जो 11 से 5वें स्थान पर शिफ्ट हुई है. अब तीसरे स्थान की दौड़ में है. ऐसे में बदलते इकॉनोमिक्स के हिसाब से डिग्री जरूरी है.

समाजशास्त्र और साइकोलॉजी में भी तरह- तरह के बदलाव हो रहे हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आज सारे ज्ञान कॉलेज और स्कूल से नहीं मिलते हैं बल्कि ऑनलाइन से भी ही मिलता है. आई चैट गप्प जैसे माध्यम से भी बहुत सारी चीज मिलती है, तो इन सब का उपयोग यदि करना हम नहीं सीखेंगे तो हम मार्केट में रेलीवेंट नहीं रह पाएंगे.

स्किल देखकर नौकरियां दें रही कंपनियां

उन्होंने कहा कि बड़ी-बड़ी कंपनियां आजकल डिग्री देखकर नौकरी नहीं दे रही है. वह छात्रों की स्किल देखकर नौकरी दे रही हैं. अगर आपको सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के लिए एक दो लैंग्वेज में एक्सपर्टीज है तो बीटेक कंप्यूटर साइंस नहीं चाहिए. एप्पल हो, माइक्रोसॉफ्ट हो यह सब कर रहे हैं. अब डिग्री के साथ स्किल का महत्व ज्यादा है.

ऐसी जगह में जब अगर आपके पास स्किल नहीं रहेगी अपडेटेड डिग्री नहीं होगी तो उसका कोई अर्थ नहीं है. माइक्रोसॉफ्ट अपना एक सर्टिफिकेशन कर रहा है, गूगल अपना सर्टिफिकेशन कर रहा है और शायद वह सर्टिफिकेशन भी आज वैलिड है, हो सकता है 10 साल के बाद माइक्रोसॉफ्ट में भी काफी बदलाव हो जाए.

तो क्या 10 साल बाद एक्सपायर हो जाएगी डिग्री?

प्रोफेसर अनिल ने कहा कि डिग्री का हर 10 साल पर वैलिडेशन होना चाहिए. नई-नई चीज जो भी मार्केट में आई हैं. उसके बारे में जानकारी होनी चाहिए. दसवीं में जो आपने सीखा उसमें अगर कोई नए विषय आ गए हैं, जिनको दसवीं में आज पढ़ने की जरूरत है. ऐसा कुछ अगर आप करते हैं. नई भाषा सीखेंगे उसका सर्टिफिकेशन करने की जरूरत है.

क्या है एनईटीएफ?

राष्ट्रीय शिक्षा प्रोद्योगिकी फोरम का मुख्य उद्देश्य विद्यालय स्तर पर शैक्षिक प्रौद्योगिकी विशेषत: जनसंचार माध्यम को एकल रूप अथवा संयोजन (मल्टी मीडिया पैकेज) में शैक्षिक अवसरों के विस्तार और शैक्षिक प्रक्रियाओं की गुणवत्ता में सुधार करना है. प्रौद्योगिकी के विकास, विकास और प्रभावी उपयोग के लिए विचारों के मुक्त आदान-प्रदान के लिए एक मंच प्रदान करना, सुविधा, क्षमता निर्माण, नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देने और वैश्विक नेता के रूप में उभरने के लिए मानक और बेंचमार्किंग निर्धारित करके सीखने, मूल्यांकन, योजना और प्रशासन को बढ़ाना है. शैक्षिक प्रौद्योगिकी अध्ययन का वह क्षेत्र है, जो शिक्षण और अधिगम में सुधार के लिए अनुदेशात्मक वातावरण, शिक्षण सामग्री, शिक्षार्थियों और अधिगम प्रक्रिया के विश्लेषण, डिजाइन, विकास, कार्यान्वयन और मूल्यांकन की प्रक्रिया की जांच करता है.

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