देबू पावर प्लांट के लिए अधिग्रहित भूमि वापसी की मांग,…- भारत संपर्क
देबू पावर प्लांट के लिए अधिग्रहित भूमि वापसी की मांग, ग्रामीणों ने कलेक्टर जनदर्शन में लगाई गुहार
कोरबा। देबू पावर प्लांट के लिए अधिग्रहित भूमि वापसी की मांग संयंत्र के लिए जमीन देने वाले ग्रामीणों ने की है। मामले में कलेक्टर जनदर्शन में गुहार लगाई गई है। ज्ञापन में कहा गया है कि भू-स्वामियों की निजी जमीन सन् 1998 में 500X2 मेगावाट पावर संयंत्र के निर्माण करने हेतु तत्कालीन शासन द्वारा भूमि अधिग्रहण कर मेसर्स देबू पावर इंडिया लिमिडेट कंपनी के आधिपत्य में दिया गया था। यह संपूर्ण अधिग्रहित भूमि वर्तमान छ.ग राज्य के जिला-कोरबा, ग्राम-रिसदी में स्थित है। जिसमें लगभग 300 किसानों की 260.53 एकड निजी स्वामित्व की भूमियों का भी अधिग्रहण किया गया था, जो खसरा नं 1/7 से क्रमानुसार खसरा नं 333/2 (पी) तक अधिग्रहित है। उपरोक्त समस्त अधिग्रहित भूमियों का अधिग्रहण भू-अधिग्रहण अधिनियम 1894 के कानून के तहत किया था तथा भू-अधिग्रहण अधिनियम 1894 में यह स्पष्ट प्रावधान है कि जिस प्रयोजन के लिए भूमियों का अधिग्रहण किया जाता है यदि उस प्रयोजन हेतु उस अधिग्रहित भूमि का उपयोग भूमि अधिग्रहण के 6 वर्षों के अन्तराल में नहीं किया जाता है तो मुआवजे के बतौर भुगतान की गई अधिनिर्णय राशि के एक चौथाई राशि शासन को वापस करने पर अधिग्रहित भूमि मूल भू-स्वामियों को वापस कर दिया जावेगा। यह प्रावधान 1894 भू-अधिग्रहण अधिनियम में है। इस प्रकरण के पूर्व भी न्यायालय द्वारा भू-अधिग्रहण अधिनियम 1894 के तहत अधिग्रहित भूमियों के मामले में फैसला लेते हुए अधिग्रहित भूमियों को मूल भू-स्वामियों को वापस लौटाया गया है। जबकि वर्तमान समय अभी तक लगभग 28 वर्षों से ज्यादा समय गुजर जाने के बाद भी आज तक मेसर्स देबू पावर इंडिया लिमिटेड कंपनी द्वारा उपरोक्त अधिग्रहित भूमि पर कोई उद्योग स्थापित नहीं किया जा सका है। भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 में भी भूमि उपयोग की समय सीमा के बारे में स्पष्ट प्रावधान है कि यदि पुराने अधिनियम 1894 के अनुसार अधिग्रहित भूमि पर 5 वर्षों तक कार्य शुरु नहीं होता है तो भूमि के पुन अधिग्रहण के लिए नये अधिनियम के अनुसार भू-विस्थापितों / भू-स्वामियों को मुआवजा देना होगा। भूमि अधिग्रहण अधिनिमय 2013, भाग-4, धार-24 में यह स्पष्ट प्रावधान है। न्यायालय अतिरिक्त तहसीलदार के द्वारा पारित सीमांकन करने बाबत् आदेश दिनांक 23/02/2022 का वर्तमान पदस्थ अतिरिक्त तहसीलदार किशोर शर्मा द्वारा संज्ञान लेते हुए वर्तमान पदस्थ आर.आई. योगेन्द्र बैस को सीमांकन करने हेतु आदेशित किया गया। जिस पर आर.आई. योगेन्द्र बैस के द्वारा दिनांक 08/01/2025 को सीमांकन करने बाबत् पेपर प्रकाशन एवं सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर सीमांकन कार्य कर मूल खसरा में 282, रकबा 1.58 एकड़ की भूमि का चतुर्थसीमा चिन्हाकिंत कर सभी उपस्थित पक्षकारों को अवगत कराया गया। परन्तु मौके पर चौहद्दी काश्तकार मुरित राम साहू पिता बमरू साहू उक्त सीमांकन कार्य में आपत्ति दर्ज करते हुए मौखिक तौर पर यह बोला गया कि आवेदित भूमि एवं आस-पास की भूमि देबू पॉवर इंडिया लिमिटेड द्वारा अधिग्रहित किया जा चुका है एवं सीमांकन, नामांतरण, बटांकन आदि पर रोक लगाया गया है। उपरोक्त कथन के समर्थन में आर. आई. योगेन्द्र बैस के द्वारा जब मुरित राम साहू से इस बाबत् प्रशासनिक आदेश की दस्तावेज मांगा गया तो मुरित राम साहू के द्वारा कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया। योगेन्द्र बेस के द्वारा अपने उच्च अधिकारी तहसीलदार कोरबा से उक्त संबंध में उचित मार्गदर्शन प्रदान करने का स्व लिखित निवेदन दिनांक 30/03/2025 को तहसीलदार कोरबा को किया गया। इस बाबत् जब अतिरिक्त तहसीलदार दीपक पटेल से जानकारी भू-स्वामि विनोद कलवडे के द्वारा मौखिक तौर पर जानकारी मांगा गया तो अतिरिक्त तहसीलदार दीपक पटेल ने उन्हें कहा सभी दस्तावेज पटवारी संजू निषाद के पास भेज रहा हूँ, जांचकर जो रिपोर्ट मुझे देगें उस हिसाब से मैं कार्यवाही करूंगा। परन्तु आज 03 माह गुजर जाने के बाद भी कोई कार्यवाही अतिरिक्त तहसीलदार के द्वारा नहीं किया गया है। निरंतर टाल-मटोल का रवैया अपनाया जा रहा है। भू-स्वामियों ने आग्रह किया है कि उपरोक्त भूमि अधिग्रहण को निरस्त करते हुए हमारी भूमि विधिक तौर पर उन्हें शासन से वापस दिलवाया जाये, जो सभी किसानों के आजीविका का मूल साधन है। चूंकि मेसर्स देबू इंडिया लिमिटेड कंपनी द्वारा सभी भू-स्वामियों के साथ लिखित इकरारनामा किया गया था कि अधिग्रहित भूमि के एवज में सभी भू-स्वामियों को लगने वाले पावर संयंत्र में योग्यतानुसार नौकरी दिया जावेगा। इसी शर्त पर सभी भू-स्वामियों ने अपनी भूमियों को दिया था, परन्तु 28 वर्ष से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी कोई संयंत्र उक्त भूमियों पर नहीं लगाया जा सका है और अब हम लोगों को भी कोई संयंत्र मेसर्स देबू इंडिया लिमिटेड कंपनी से स्थापित किये जाने की कोई उम्मीद नहीं है, और न ही छ.ग शासन से उपरोक्त भूमि पर कोई उद्योग लगाने की उम्मीद है।