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दिसंबर में मंदिरों में पूजा करने उमड़ेंगे श्रद्धालु, गिरिजाघरों में प्रार्थना सभा सहित कैरोल सांग की रहेगी गूंज, विवाह पंचमी, मोक्षदा एकादशी और सोमवती अमावस्या सहित क्रिसमस पर्व की रहेगी धूम

कोरबा। दिसंबर माह की शुरुआत रविवार को मार्गशीष अमावस्या से हुई। इस महीने में विवाह पंचमी, गीता जयंती और क्रिसमस जैसे खास पर्व भी आएंगे। इसके साथ ही इस महीने में एकादशी और प्रदोष का व्रत भी रखा जाएगा। मोक्षदा एकादशी के व्रत का शास्त्रों में बहुत अधिक महत्व है। पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। इसे ‘मौना एकादशी’ या ‘मौन ग्यारस’ भी कहा जाता है। इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत 11 दिसंबर को रखा जाएगा। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप पूजा की जाती है। ये व्रत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। इस साल विवाह पंचमी का पर्व 6 दिसंबर को मनाया जाएगा। ज्योतिष गणना के अनुसार इस दिन ध्रुव योग का निर्माण होगा, जो रात 10 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। इस दिन राम-सीता की जोड़ी की आराधना करने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। इसी महीने में त्रिपुर भैरवी जयंती, धनु संक्रांति भी मनाई जाएगी। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मार्गशीर्ष माह भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। इस माह में आने वाली अमावस्या तिथि को मार्ग शीर्ष अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। यह तिथि धार्मिक अनुष्ठान, व्रत, और पितरों के तर्पण के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
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ये हैं प्रमुख तिथियां
0 6 दिसंबर विवाह पंचमी
0 7 दिसंबर चम्पा षष्ठी
08 दिसंबर भानु सप्तमी
11 दिसंबर मोक्षदा एकादशी गीता जयंती और गुरुवार
12 दिसंबर मत्स्य द्वादशी
14 दिसंबर दत्तात्रेय जयंती
15 दिसंबर अन्नपूर्णा जयंती व त्रिपुर भैरवी जयंती, धनु संक्रांति, मार्गशीर्ष पूर्णिमा
25 दिसंबर क्रिसमस डे
26 दिसंबर सफला एकादशी
30 दिसंबर सोमवती अमावस्या
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सोमवती अमावस्या 30 को दान-पुण्य का बड़ा महत्व
पौष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि दिसंबर 30 को सुबह 04.01 बजे से प्रारंभ होगी। ये तिथि अगले दिन सुबह 03.56, दिसंबर 31 को समाप्त होगी। यानि इस साल का अंत अमावस्या तिथि के साथ होगा। सोमवार के दिन अमावस्या तिथि पडऩे के कारण इसे सोमवती अमावस्या कहा जाएगा। इस दिन दान-पुण्य का महत्व है।

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