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विष्णु के सुशासन पर जिला प्रशासन लगा रहा ग्रहण, तबादले के बाद भी विवादित उप संचालक जिला पंचायत जूली तिर्की को बना दिया सहायक रिटर्निग आफिसर

 

 

कोरबा। जनहितकारी योजनाओं को प्राथमिकता और जीरो टॉलरेंस की नीति पर भाजपा सरकार कार्य करते हुए विष्णु के सुशासन का नारा दे रही है। दूसरी ओर कोरबा में विष्णु के इस सुशासन पर जिला प्रशासन ग्रहण लगाने का काम कर रहा है। तबादले के बाद भी विवादित उप संचालक जिला पंचायत जूली तिर्की को सहायक रिटर्निग आफिसर का जिम्मा सौंपा गया है। जूली तिर्की का सहायक संचालक, कार्यालय उप संचालक, पंचायत, जिला बिलाईगढ़-सारंगढ़ ट्रांसफर भी हो गया है पर अब तक रिलीव नहीं किया जा रहा है। शासन के आदेशानुसार तबादले के एक सप्ताह के अंदर जिला मुख्यालय छोड़ना है, शासन के आदेश का पालन नहीं हो रहा है। जिला प्रशासन भी इस मामले में शासन के आदेश का पालन कराने तनिक भी गंभीर नहीं है, उल्टे दूसरी ओर रिटर्निग आफिसर नियुक्त करते हुए जिला प्रशासन ने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। स्थानांतरण के बाद भी सुश्री जूली तिर्की को भारमुक्त न कर शासन के आदेश की अवहेलना की जा रही है। सुश्री तिर्की का विवादों से नाता रहा है। पूर्व विधायक व आदिवासी कद्दावर नेता ननकी राम कंवर भी पंचायत उप संचालक के खिलाफ शिकायत कर जांच की मांग कर चुके हैं। मगर भाजपा के राज में भी पार्टी के वरिष्ठ नेता की सुनवाई नहीं हुई। शासन के आदेश का जिला प्रशासन को कड़ाई से पालन करवाना है। इसके विपरीत जिला प्रशासन शासन के आदेश की धज्जियां उड़ाने में लगा हुआ है। कांग्रेस राज में कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की करतूत के कारण कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में करारी हार मिली थी। कहीं जिला का यह कुशासन विष्णु के सु शासन पर भारी ना पड़ जाए।

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आदेश की कंडिका का किया जा रहा पालन: नाग

इस मामले में जिला पंचायत सीईओ दिनेश नाग का कहना है कि शासन के स्थानांतरण आदेश की कंडिका का पालन किया जा रहा है। त्रि स्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर काम ज्यादा है। ऐसे में जिम्मेदारी दी गई है। ज्ञात रहे कि आदेश की कंडिका 6 के अनुसार अनुसूचित क्षेत्र से गैर अनुसूचित क्षेत्र में स्थानांतरित किसी भी अधिकारी / कर्मचारी को उसके कार्यालय प्रमुख या नियंत्रण अधिकारी द्वारा तब तक कार्यमुक्त न किया जाए, जब तक कि उसका एवजीदार कार्य पर उपस्थित न हो जाए, तथापि अत्यावश्यक परिस्थितियों में यदि संबंधित कार्यालय में दो तिहाई पद यदि भरे हों तो सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्थानांतरित शासकीय सेवक को कार्यमुक्त करने पर विचार किया जा सकता है।

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