कान पकड़कर मुर्गा बने छात्र! डीएलएड छात्रों का प्रदर्शन बना चर्चा का विषय, मगर…

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कान पकड़कर मुर्गा बने छात्र! डीएलएड छात्रों का प्रदर्शन बना चर्चा का विषय, मगर…
कान पकड़कर मुर्गा बने छात्र! डीएलएड छात्रों का प्रदर्शन बना चर्चा का विषय, मगर नहीं बढ़ी भीड़

प्रयागराज में कान पकड़कर प्रोटेस्ट करते अभ्यर्थी.

यूपी में नई शिक्षक भर्ती को लेकर आंदोलन कर रहे डीएलएड छात्रों का प्रदर्शन नौंवे दिन भी जारी रहा. छात्र यहां कान पकड़कर मुर्गा बने और सरकार से डीएलएड करने के लिए माफी मांगी. प्रदर्शन का यह अनूठा तरीका चर्चा का विषय बना, हालांकि छात्रों की लगातार कम होती संख्या आंदोलन के लिए एक चुनौती भी बनती नजर आई.

प्रयागराज में यूपी शिक्षा चयन आयोग के सामने तिरपाल बिछाकर पेड़ की छाया के नीचे अपनी मांगों को लेकर 28 मई से आंदोलन कर रहे छात्रों की संख्या कम होती जा रही है. आंदोलन के पहले दिन जोश और उत्साह से लबरेज छात्रों में तीन से चार सौ के बीच छात्रों की संख्या ने आंदोलन कर रहे छात्रों को जो उम्मीद जगाई थी. मगर दो दिन बाद यह संख्या आधी हो गई है. इसी बीच आयोग के उप सचिव ने छात्रों से बात कर यह आश्वासन दिया कि दस दिन में कोई न कोई रास्ता निकल आएगा. छात्र भी उम्मीद के सहारे टिके रहे, लेकिन एक हफ्ता गुजरने के बाद छात्रों की सिमटती भीड़ ने आंदोलन कर रहे छात्रों के लिए चुनौती पेश कर दी.

कोचिंग संस्थान और डेलीगेसी ने निराश किया

छात्र आंदोलन की लंबी खिंचती लड़ाई उसके बैक अप से मिल रहे सहयोग से मिलती है. इसमें पहला सहयोग मिलता है उन छात्रों से शहर में इससे जुड़कर इसकी धार तेज करते हैं. आंदोलन की अगुवाई कर रहे रजत सिंह कहते हैं कि उनकी तरफ से डेलीगेसी में निरंतर छात्रों से संपर्क किया गया लेकिन गर्मियों की छुट्टी में कुछ छात्रों के अपने घर जाने से अपेक्षाकृत संख्या नहीं जुट पाई लेकिन उनके हौसले मजबूत हैं वह वैकेंसी लेकर ही यहां से उठेंगे. आंदोलन को दूसरा सहयोग मिलता है इस परीक्षा की तैयारी करने वाले कोचिंग संस्थान से लेकिन एक दो कोचिंग संस्थान को छोड़कर कोचिंग के लोग भी अपने एसी चैंबर्स से बाहर नहीं आए. एक कोचिंग संस्थान से जुड़े पवन मिश्रा कहते हैं कि अति सक्रियता में प्रशासन की तरफ से उन्हें चिन्हित किया जा सकता है ऐसे में बहुत से कोचिंग संस्थान विवश हैं.प्रयागराज में एक दर्जन से अधिक कोचिंग संस्थान इस परीक्षा की तैयारी कराते हैं.

सियासी दलों की कम दिलचस्पी

सियासी दलों ने भी इस आंदोलन को लेकर बहुत दिलचस्पी नहीं दिखाई. अपने मीडिया हैंडल से ट्वीट कर एसी से वर्चुअल समर्थन देने से सियासी दलों के कार्यकर्ता भी यहां नहीं दिखे. अपना वोट बैंक यहां न देखकर प्रलाप करने वाले सियासी दलों ने भी भौतिक दूरी बनाए रखी.

हनुमान चालीसा के पाठ से लेकर मुर्गा तक बनना पड़ा

आंदोलन कर रहे छात्रों का एक वीडियो और सोशल मीडिया में वायरल हुआ. इसमें अभ्यर्थियों ने कान पकड़कर मुर्गा बनकर एक जुलूस निकाला. जुलूस में छात्र सीएम योगी से माफी मांगते हुए यह कहते हुए दिखे कि हमसे गलती हो गई जो मास्टर बनने के लिए डीएलएड प्रशिक्षण किया. अगर डीएलएड नहीं किया होता तो दर-दर की ठोकरें नहीं खानी पड़ती. रात में हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ भी हुआ, लेकिन सारी कवायद वह भीड़ नहीं खींच पाई जो आंदोलन को जन आंदोलन के रूप में खड़ा कर सके. फिर भी छात्रों को उम्मीद है कि उन्हें इंसाफ मिलेगा. भर्ती तो वह लेकर जाएंगे. इसके लिए वह 6 तारीख के बाद नई रणनीति बना रहे हैं.

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