बड़े गेंदबाजों से अभी मत कीजिए मयंक यादव की तुलना, प्लीज उन्हें उमरान मलिक … – भारत संपर्क

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बड़े गेंदबाजों से अभी मत कीजिए मयंक यादव की तुलना, प्लीज उन्हें उमरान मलिक … – भारत संपर्क

मयंक यादव आईपीएल की नई सनसनी बनकर उभरे हैं.
कुछ घंटे पहले की ही बात है. गुजरे जमाने के खतरनाक तेज गेंदबाज ब्रेट ली ने सोशल मीडिया में एक पोस्ट डाली. इस पोस्ट में उन्होंने जो लिखा उसका हिंदी तर्जुमा कुछ यूं है- भारत को अभी अभी उनका सबसे तेज गेंदबाज मिल गया है- मयंक यादव. रॉ पेस, बहुत ही प्रभावशाली. ब्रेट ली के सोशल मीडिया में करीब 25 लाख फॉलोवर्स हैं. इसमें बड़ी तादाद में हिंदुस्तानी भी होंगे. यानी कई लाख लोगों को मयंक यादव में एक बड़ा स्टार दिखने लगा है. वैसे भी भारतीय क्रिकेट फैंस तेज गेंदबाजी को लेकर थोड़ा ‘ऑब्सेस्ड रहते हैं. हमारे पास 150 किलोमीटर से ज्यादा की रफ्तार से गेंदबाजी करने वाले गेंदबाज इक्के दुक्के ही रहे हैं. इसलिए भारतीय फैंस की भावनाओं को भी समझा जा सकता है, फिर मयंक यादव ने तो कई ऐसी गेंद फेंक दी हैं जो 155 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ज्यादा की थीं.
इसी आईपीएल में सबसे तेज गेंद फेंकने का वो अपना ही रिकॉर्ड तोड़ चुके हैं. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के खिलाफ तो उन्होंने 156.7 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंक दी. उन्होंने इस शानदार रफ्तार के साथ गेंद ही नहीं फेंकी बल्कि रजत पाटीदार, ग्लेन मैक्सवेल और कैमरून ग्रीन का विकेट भी लिया. उनकी गेंदबाजी का आंकड़ा रहा- 4 ओवर में 14 रन देकर 3 विकेट. कैमरून ग्रीन को तो उन्होंने जिस तरह बोल्ड किया उसकी चर्चा अभी काफी दिन तक रहेगी. यही वजह है कि जिस मैच में क्विंटन डी कॉक ने 81 रन बनाए थे उसमें मयंक यादव को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया. लगातार दूसरे मैच में उन्हें ये खिताब मिला. आईपीएल करियर में पहले ही दो मैच में प्लेयर ऑफ द मैच हासिल करने वाले वो पहले खिलाड़ी भी बन गए. अब ये भी जान लीजिए कि मयंक यादव अभी सिर्फ 21 साल के हैं. उनकी गेंदबाजी में उनका कद और पैनापन लाता है. मयंक को ‘स्टीप बाउंस’ मिलता है. उनकी लाइन लेंथ शानदार है और उनके पास स्पीड के साथ स्विंग भी है.
मयंक यादव को लेकर किस बात का है खतरा?
अब आपको बताते हैं कि मयंक यादव की इस कामयाबी के बाद किस तरह की चर्चाएं हो रही हैं. मयंक यादव की तुलना बड़े बड़े गेंदबाजों से शुरू हो चुकी है. ये भी कहा जा रहा है कि अगर मयंक यादव अपनी गेंदबाजी में ‘फलां’ बदलाव कर लें तो वो शोएब अख्तर से भी तेज गेंदबाजी कर सकते हैं. चर्चाओं का दौर यहां तक पहुंच चुका है कि मिचेल स्टार्क को इतनी मोटी रकम दी जा रही है तो मयंक यादव को बेस प्राइस पर क्यों खरीदा गया? बात यहां तक पहुंच गई है कि मिचेल स्टार्क के प्रदर्शन के आंकड़े पेश करके यहां तक कहा जा रहा है कि उन्हें मयंक यादव से 123 गुना ज्यादा पैसा तो मिलता है लेकिन वो बेकार गेंदबाजी कर रहे हैं. उन्हें करियर के पहले दो मैच में लगातार दो प्लेयर ऑफ द मैच ट्रॉफी को इस बात से भी ‘कनेक्ट’ किया गया कि ये कारनामा तो सचिन, धोनी, विराट जैसे खिलाड़ी नहीं कर पाए. और तो और जून में अमेरिका और वेस्टइंडीज की साझा मेजबानी में होने वाले टी20 वर्ल्ड कप में उनकी जगह को लेकर भी चर्चा शुरू है.
अब ऐसी चर्चाओं को थोड़ी देर के लिए रोककर व्यवहारिक बात करते हैं. मयंक यादव की तारीफ करने में कोई दिक्कत नहीं है. इस बात पर किसी को शक नहीं है कि वो ये तारीफ ‘डिसर्व’ करते हैं. इन तारीफों से उनका हौसला और बढ़ेगा. वो और बेहतर प्रदर्शन के लिए ‘मॉटिवेट’ होंगे, लेकिन प्लीज, इन तारीफों के साथ बड़े-बड़े नामों को जोड़ना बंद करना चाहिए. वो ऐसे हैं, वो वैसे हैं, वो उसके जैसे बन सकते हैं की बजाए बेहतर होगा मयंक यादव को मयंक यादव ही रहने दिया जाए.
मयंक यादव को उमरान मलिक बनने से बचाना होगा
सबसे पहले तो ये बता दें कि उमरान मलिक का नाम हम सिर्फ एक उदाहरण के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं. उमरान मलिक अभी सिर्फ 24 साल के हैं. अगर वो अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो निश्चित तौर पर भारतीय टीम में वापसी कर सकते हैं. फिलहाल करीब 9 महीने से वो वनडे टीम से बाहर हैं और 13 महीने से टी20 टीम से. अब आपको बताते हैं कि उमरान मलिक का नाम हम क्यों ले रहे हैं, कुछ सीजन पहले उमरान मलिक बड़ी सनसनी के रूप में उभरे थे, तब उन्होंने करीब 156 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से गेंद भी डाली और टीम इंडिया में उनका सेलेक्शन भी हुआ. यानी कुछ ही महीनों में उन्हें सबकुछ मिल गया जिसका सपना एक क्रिकेटर देखता है. उमरान मलिक की तुलना भी शोएब अख्तर समेत दुनिया के कई तेज गेंदबाजों से की जाने लगी, लेकिन फिर क्या हुआ, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वो अपनी उपयोगिता साबित नहीं कर पाए. वो रॉ पेस और लाइन लेंथ के बीच ही लटके रह गए. एक वर्ग ने कहाकि उन्हें सिर्फ अपनी रफ्तार पर फोकस करना चाहिए.
दूसरे वर्ग ने कहा कि रफ्तार के साथ लाइन लेंथ जरूरी है। बहरहाल, उमरान अभी इसके बीच का रास्ता तलाश ही रहे हैं. स्पीड उमरान मलिक के पास भी थी, लेकिन वो लाइन लेंथ से भटक जाते थे. उनका कद थोड़ा कम था तो उन्हें स्पीड निकालने के लिए ताकत भी ज्यादा लगानी पड़ती थी. आज सोशल मीडिया का दौर है. पूरी दुनिया आपके मोबाइल में है। अब खबरें पढ़ने के लिए अखबार का इंतजार नहीं करना होता. मयंक यादव को लेकर जितनी बातचीत हो रही है उसकी आधी भी उनके पास तक पहुंची तो उनके लिए अपने आपको जमीन पर बनाए रखना मुश्किल होगा. भारतीय क्रिकेट में ऐसे दर्जनों उदाहरण हैं जो किसी एक खास ‘टैलेंट’ के लिए जाने गए लेकिन उनका करियर बहुत लंबा नहीं चला. मयंक को अभी सिर्फ परफॉर्म करने दीजिए.

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