DU VC ने कहा, बिना सूचना डीयू पहुंचकर राहुल गांधी ने तोड़ा प्रोटोकाल, ऐसी परंपरा…


डीयू के कुलपति ने कहा कि अगर राहुल गांधी डीयू आने की सूचना देते तो हम उनका स्वागत करने की तैयारी करते
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय राहुल गांधी का दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) दौरे पर शुरू हुआ घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीते दिनों इस मुद्दे पर एक बार फिर एबीवीपी और एनएसयूआई आमने-सामने आ गए थे. अब इस मुद्दे को लेकर एक बार फिर डीयू प्रशासन का बयान सामने आया है. डीयू के कुलपति प्रो योगेश सिंह ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि बिना सूचना डीयू पहुंचकर राहुल गांधी ने प्रोटोकाल तोड़ा. उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि ऐसी परंपराएं ना अपनाई जाएं, इससे गलत मिसाल कायम होगी.
सूचित करते तो राहुल गांधी का स्वागत करते
डीयू के कुलपति प्रो योगेश सिंंह ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि राहुल गांधी विपक्ष के नेता हैं और प्रमुख राजनीतिक दल के शीर्ष नेता भी हैं. कुलपति ने आगे कहा कि बेहतर होता कि वह डीयू दौरे की योजना बनाते और विवि प्रशासन को पहले से सूचित करते. इससे हमें उनके स्वागत की तैयारी करने का समय मिल जाता.
प्रोटोकाल का पालन करना सबके लिए जरूरी
न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में डीयू कुलपति प्रो याेगेश सिंह ने राहुल गांधी के अचानक कैंपस में आने पर आपत्ति जताते हुए कह कि डीयू में कई उच्च-स्तरीय गणमान्य व्यक्ति आते हैं. इसका एक मानक प्रोटोकॉल है, जिसका सभी को पालन करना चाहिए. अन्यथा यह गलत संकेत देता है. उन्होंने कहा कि राहुल ने पहले भी प्रशासन को सूचित किए बिना परिसर का दौरा किया था.
गोबर विवाद पर क्या बोले डीयू कुलपति
डीयू के लक्ष्मीबाई कॉलेज में प्रिंसिपल और डूसू अध्यक्ष रौनक खत्री के बीच गोबर को लेकर हुए विवाद पर भी कुलपति ने बेबाकी से अपनी बात रखी. कुलपति प्रो योगेश सिंह ने कहा कि अगर शिक्षक को गर्मी से बचने के लिए दीवारों पर गोबर लगाने का प्रयोग करना था, तो वह पहले अपने घर या अपने कार्यालय से इसकी शुरुआत कर सकती थी. वहीं उन्होंने कहा कि डूसू अध्यक्ष रौनक खत्री भी स्वतंत्रता-पूर्व युग से चली आ रही विरोध तकनीक को अपनाकर समान रूप से गलत थे.
कुलपति ने कहा कि डूसू अध्यक्ष का वहां जाना और प्रिंसिपल के कमरे को गोबर से गंदा करना पूरी तरह से अशोभनीय बात है, जिससे बचना चाहिए था. डीयू वीसी ने कहा कि प्रिंसिपल के कमरे में गोबर लगाया गया. यह किसी डूसू अध्यक्ष के लिए उचित नहीं है. उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था, क्योंकि विरोध करने के और भी सभ्य तरीके हैं. उन्होंने दोनों पक्षों को आत्मनिरीक्षण करने का सुझाव दिया.
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