सावन की झमाझम बारिश से खेती किसानी ने पकड़ा जोर, सूखे आषाढ़ की…- भारत संपर्क

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सावन की झमाझम बारिश से खेती किसानी ने पकड़ा जोर, सूखे आषाढ़ की सावन ने की भरपाई

कोरबा। पिछले एक पखवाड़े से हो रही लगातार झमाझम बारिश से किसानों के चेहरे पर कृषि कार्य को लेकर दिख रही चिंता की लकीरें अब मुस्कान में बदल गई है। कृषि कार्य में तेजी आ गई है। आषाढ़ लगने के बाद बारिश होने की उम्मीद लेकर कृषि कार्य किसानों ने शुरू कर दी थी। सूखा बोआई तथा रोपाई के लिए थरहा दिये गये थे। आषाढ़ में दो-तीन दिन बारिश होने से सूखा बोआई व थरहा के लिए लगाए गए बीज पौधे के रूप में निकल आए लेकिन रोपाई बियासी के लिए फसल तैयार होने के दौरान एन वक्त पर बारिश थम गई। तेज धूप निकलने व गर्मी पड़ने से खेतों के पानी सूखने के साथ दरारें पड़ने लगी। इससे फसल व थरहा मुरझाने लगे थे। किसान खेतों में लगे धान को बचाने तथा नुकसान की चिंता के साथ कृषि कार्य में पिछड़ने की चिंता सताने लगी थी। जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन हैं वे बोर, डीजल पंप के सहारे कृषि कार्य में लगे रहे लेकिन जो किसान बारिश पर निर्भर हैं उनके लिए चिंता और परेशानी बढ़ गई। सावन लगते ही लगातार झमाझम बारिश होने से कृषि कार्य में तेजी तो आई परन्तु रोपा लगाने में पिछड़ने से उत्पादन में कमी आने की सभांवना बढ़ गई है। कृषि कार्य में विलंब होने से क्षेत्र के किसान 60 दिन में होने वाले धान की फसल की बोआई और रोपाई कर रहे है। क्षेत्र के किसानों का कहना है छत्तीसगढ़ का त्यौहार हरेली तक सारे कृषि कार्य हो जाने से फसल उत्पादन अ’छी होती है परंतु प्रकृति में दिनों दिन बदलाव आने व बारिश कम होने लगी है। पहले जेठ के अंतिम में आषाढ़ लगते-लगते अ’छी बारिश होती थी, अधिकतर किसान धान बोआई व थरहा देने का कार्य शुरू कर देते थे और सावन तक छोटे किसान कृषि कार्य पूरा कर लेते थे। परंतु अब भादो तक धान रोपाई किया जाता है, जिसके कारण कम दिनों में होने वाले धान लगाए जा रहे हैं।
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रात में हुई झमाझम बारिश
गुरुवार को दिन भर रुक-रुक कर बारिश होती रही। देर रात आसमान में छाए बादल जोर से बरसे और थोड़ी देर के लिए शहर की सड़कों पर पानी भर गया। सावन के महीने में मानसून काफी सक्रिय है और जिले में बारिश हो रही है। इसका असर खेती-किसानी पर भी पड़ा है। बारिश होने से धान की बोआई में तेजी आई है। सावन से पहले बारिश बहुत कम हो रही थी, इससे खेती-किसानी पिछड़ गई थी। कई क्षेत्रों में धान की बोआई शुरू नहीं हुई थी। अब जब मानसून सक्रिय हुआ है तो खेती-किसानी के कार्यों में तेजी आई है। कोरबा के अलावा कलतला, रामपुर क्षेत्र में धान की बोआई ने रफ्तार पकड़ ली है। जिले में सबसे अधिक सिंचाई के साधन करतला ब्लॉक में ही मौजूद हैं।

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