चॉकलेट खाना और कॉफी पीना पड़ेगा महंगा, क्राइसिस में आई…- भारत संपर्क

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चॉकलेट खाना और कॉफी पीना पड़ेगा महंगा, क्राइसिस में आई…- भारत संपर्क
चॉकलेट खाना और कॉफी पीना पड़ेगा महंगा, क्राइसिस में आई इंडस्ट्री

चॉकलेट खाना और कॉफी पीना पड़ेगा महंगा, क्राइसिस में आई इंडस्ट्री

अगर आप भी चॉकलेट खाने या कॉफी पीने के शौकीन हैं तो इस खबर से आपको झटका लग सकता है. दरअसल, आपकी फेवरेट चॉकलेट और कॉफी पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है, जिस कारण जल्द ही आपको इसके लिए बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है. भारी डिमांड और कमजोर सप्लाई के कारण कोको की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिसका सीधा असर चॉकलेट और कॉफी पर पड़ेगा. जानकारों का मानना है कि इस समय कोको इंडस्ट्री क्राइसिस में है जिसका असर डिमांड पर पड़ सकता है.

लगातार बढ़ रही हैं कीमतें

इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इसकी वजह है कि कोको, कॉफी, पाम ऑयल और चीनी की कीमतें पिछले क्वॉर्टर में बढ़ी हैं. इस समय कोको और कॉफी की कीमतें ऑल टाइम हाई पर हैं. पाम ऑयल की कीमत में भी सालाना आधार पर 10% की बढ़ोतरी हुई है. कोको की कीमतों में इस तेज बढ़ोतरी के पीछे की वजह दुनिया के सबसे बड़े कोको उत्पादक आइवरी कोस्ट से सप्लाई को लेकर चिंता बताई जा रही है. पश्चिम अफ्रीका में विपरीत मौसम की वजह से यह स्थिति और भी गंभीर हो गई है, जिससे फसल की पैदावार कम होने की आशंका पैदा हो गई है.

इस साल की शुरुआत से कोको की कीमतों में 40% की वृद्धि देखी गई है, जो एक दशक से भी अधिक समय में अपने हाई पर पहुंच गई है. कोको की कीमतें रेकॉर्ड बढ़कर 10,000 डॉलर प्रति टन से अधिक हो गई हैं. कोको की कीमतें जनवरी-मार्च क्वॉर्टर में इससे पहले की तिमाही से दोगुनी हो गई हैं.

क्राइसिस में है इंडस्ट्री

लगातार कोको की कीमतें बढ़ने से चॉकलेट निर्माता कंपनियां मिल्क चॉकलेट का प्रोडक्शन रोक रहे हैं. साथ ही डार्क चॉकलेट की कीमतें बढ़ा रहे हैं. कोको की कीमतें 45 वर्षों में अपने हाई लेवल पर हैं. केवल एक वर्ष के दौरान इस कमोडिटी की कीमतों में150% से अधिक की बढ़ोतरी हो गई हैं. जबकि कोको बटर की कीमत तो 300% से ऊपर है. कोको किसानों के लिए भी ये समय काफी मुश्किल भरा है, डिमांड में तेजी और सप्लाई में अभूतपूर्व कमी से उनको काफी नुकसान हो रहा है.

कोको इंडस्ट्री के सामने ये है चुनौतियां

  • कोको की बढ़ती मांग और घटती आपूर्ति
  • कोको के पेड़ों को कोको तैयार करने में एक साल लगना
  • पुराने पेड़ों से कम कोको का उत्पादन होना
  • दुनिया के ज़्यादातर कोको बागानों में उत्पादन की क्षमता कम होना
  • कोको उद्योग संकट में होना
  • दुनिया भर में चॉकलेट निर्माताओं के संयंत्रों को बंद होना

कहां-कहां होता है कोको का प्रोडक्शन

  • पूरी दुनिया में हर साल कोको का प्रोडक्शन करने वाले किसान लगभग पांच मिलियन टन कोको बीन्स का उत्पादन करते हैं.
  • अगर सबसे बड़े कोको उत्पादक की बात करें तो Côte d’Ivoire और घाना इसमें सबसे आगे हैं, जो दुनिया भर में कोको प्रोडक्शन का लगभग 60% पैदा करते हैं.
  • इसके बाद 9% के साथ इक्वाडोर का नंबर आता है. वहीं एशिया में इंडोनेशिया सबसे बड़ा उत्पादक है.
  • वर्तमान में 70% से अधिक कोको की खेती पश्चिमी अफ्रीका में की जाती है.
  • कोको की 3 किस्में – फोरास्टेरो, क्रिओलो और ट्रिनिटारियो हैं. फोरास्टेरा सबसे ज्यादा मिलने वाली किस्म है.

क्या है कमोडिटी बाजार में कोको का हाल?

इस हफ्ते वायदा रिकॉर्ड $11,126 प्रति मीट्रिक टन पर पहुंच गया, एक ऐसा स्तर जो पहले अधिकांश व्यापारियों के लिए अकल्पनीय रहा होगा और 1970 के दशक में निर्धारित पिछले शिखर से लगभग दोगुना है. इस रैली से पहले, 1980 के दशक से न्यूयॉर्क बाज़ार मोटे तौर पर $3,500 से नीचे बना हुआ था.

सिटीग्रुप इंक को अगले कुछ महीनों में कीमतें 12,500 डॉलर तक चढ़ने की उम्मीद है. एंडुरैंड ने अनुमान लगाया है कि इस साल वायदा $20,000 तक टूट जाएगा. इस मामले से परिचित एक व्यक्ति ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि तेल व्यापारी के हेज फंड ने मार्च की शुरुआत में कोको में एक छोटे आकार की लंबी स्थिति ली थी.

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