ईडी ने अभी जनपद पंचायत सीईओ जैसे छोटी मछलियों को पकड़ा है,…- भारत संपर्क
ईडी ने अभी जनपद पंचायत सीईओ जैसे छोटी मछलियों को पकड़ा है, बड़ी मछली जैसे पूर्व कलेक्टर पर कब कसेगा शिकंजा? 100 करोड़ से अधिक की राशि का भ्रष्टाचार करके बैठे हैं पूर्व कलेक्टर, आखिर उनके गिरेबान तक कब पहुंचेगी जांच एजेंसी के हाथ?
कोरबा। जिले के अंतर्गत डीएमएफ और सीएसआर में पूर्व कलेक्टर, पूर्व जिला पंचायत सीईओ एवं डिप्टी कलेक्टर की संरक्षण में जिस तरह से भ्रष्टाचार को जानबूझकर करवाया गया है। आने वाले दिनों में इनका बड़ा खुलासा होने पर जांच एजेंसियों को चौंकाने वाला है। मार्च माह के पहले दिन ही ईडी की टीम फुल एक्शन में रही। प्रदेश के कई जिलों में छापामार कार्रवाई की गई। वही कोरबा में पदस्थ रहे पूर्व सीईओ राधेश्याम मिर्झा व वीके राठौर इन दोनों अधिकारियों के कोरिया और जशपुर स्थित आवास में जांच एजेंसी ने दबिश दी है। वही इन अधिकारियों के तार जिला कोरबा से जुड़ना अपने आप में पूर्व कलेक्टर व जिला पंचायत सीईओ को संदेह के दायरे में लाता है। इनकी शह पर छोटे प्यादों ने भ्रष्टाचार का खेल करवाया है। यह आने वाले दिनों में सब कुछ शासन, प्रशासन एवं जनता को भी दिखाई देगा। जिस तरह से पूर्व कलेक्टर और पूर्व जिला पंचायत सीईओ ने कोरबा जिला के डीएमएफ और सीएसआर फंड में भ्रष्टाचार करके या करवा कर लूटा हैं, वह अपने आप में किसी प्रशासनिक डकैती से काम नहीं है? वही शुक्रवार को जनपद पंचायतों के सीईओ के घर में ईडी के अफसरों ने दबिश दे दी। ईडी के अधिकारियों ने जनपद पंचायत सीईओ के घर की तलाशी ली है। और उनसे पूछताछ जारी है। वही शुक्रवार की सुबह छह बजे चार गाड़ियों में दो अलग-अलग जगह में ईडी के अफसर पहुंचे थे। कोरबा जिले में भी जेपी अग्रवाल के घर दबिश देकर जांच कर रहे हैं। अभी वह स्पष्ट नहीं हो पाया है। व अन्य संदेह के घेरे में है। लेकिन इतना जरूर पता चला है कि पूरा मामला डीएमएफ और सीएसआर से संबंधित बताया जा रहा है। वही जानकारों की माने तो जनपद पंचायत सीईओ को जांच एजेंसी अपने साथ ले गई है। जबकि कोरबा जिले की पूर्व सीईओ पर कार्यवाही के बाद कोरबा जिले में पदस्थ रहे पूर्व कलेक्टर व पूर्व जिला पंचायत सीईओ के हाथ पैर फूलने लगे हैं। क्योंकि इन दोनों अधिकारियों ने 100 करोड़ से अधिक की राशि का वारा-न्यारा कर दिया हैं।
इन अधिकारियों की करतूत देखिए?
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार निहारिका क्षेत्र के एक बैंक में 8 करोड़ डाला गया और उसके 1 घंटे बाद उस 8 करोड़ की राशि को दूसरे बैंक में बिना कोई वजह ट्रांसफर कर दिया गया है। उसके बाद उस राशि का क्या हुआ,यह हमें जानकारी नहीं मिला है,यह सारा खेल पूर्व कलेक्टर के इशारों में हुआ है। एक ही भवन निर्माण के लिए एक से अधिक क्रियान्वयन एजेंसी बनाया गया। जोकि संभव ही नहीं है। वहीं सूत्रों की मानें तो डीएमसी कार्यालय से 100 करोड़ के अधिक की फाइल गायब है। लेकिन वर्तमान डीएमसी अपनी कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं। और पूर्व डीएमसी को बचाने में लगे हुए हैं। वही यह सबकुछ पूर्व कलेक्टर के इशारों में हो रहा है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि अभी तक इस पूरे प्रकरण में शासन व प्रशासन ने एफआईआर तक नहीं लिखवाई है। जबकि संबंधित अधिकारी जिला छोड़ चुके हैं तो वह अपने साथ विभागीय फाइल क्यों ले गए हैं? अभी आने वाले दिनों में और भी बड़ी जानकारी के साथ बड़ा खुलासा होने की पूरी संभावना है। सूत्र बताते हैं कि कोरबा जिले में पदस्थ रहे पूर्व जनपद पंचायत सीईओ जोकि डिप्टी कलेक्टर भी हैं, वही उनकी शामत आना तय है? जनपद पंचायतों के सीईओ वाले इस पूरे प्रकरण में पूर्व कलेक्टर ने मास्टरमाइंड की भूमिका निभाया है, जिसके चलते जनपद पंचायतों में पदस्थ रहे पूर्व तीन सीईओ आज ईडी के रडार में चल रहे हैं? अब देखना बाकी है कि जांच एजेंसी उस बड़ी मछली जो पूर्व में कलेक्टर रहते हुए इन अधिकारियों से गलत कार्य कराए हैं। वही प्रवर्तन निदेशालय जैसी जांच एजेंसी के घेरे से कब तक बच पाते हैं? क्योंकि यह छोटी मछलियां अब सारे राज उगलने लगेंगे, तो उनके जैसे बड़ी मछलियों को ईडी के जाल में आकर फंसना तय माना जा रहा है।