TV9 Education Conclave में बोले शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान- ज्ञान शक्ति से…


शिक्षा मंत्री धमेंद्र प्रधान
TV9 Education Conclave : केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने टीवी 9 एजुकेशन कॉन्क्लेव में कहा कि पीएम मोदी ने देश को प्रेरित किया है. भारत पिछले तीनों शीर्ष अर्थव्यवस्था वाले देशों की सूची में शामिल हुआ है, लेकिन 2047 तक विकसित भारत बनाने का लक्ष्य है. इतना बड़ा लक्ष्य है, इतनी बड़ी उपलब्धि के लिए हमारी योजना क्या होनी चाहिए, इसके टूल क्या होंगे. इसको लेकर विचार करते हैं.
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आगे कहा कि जब हम इसकी समीक्षा करते हैं तो पाते हैं कि भारत अपनी ज्ञान शक्ति के दम पर ही 2047 तक विकसित राष्ट्र बनेगा. देश की ज्ञान शक्ति विकसित राष्ट्र का लक्ष्य हासिल करने के लिए लंबी छलांग लगा सके. इसके लिए भारतीय शिक्षा को पराधीनता से मुक्त करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2020 में नई शिक्षा नीति लागू की गई है. इस दौरान उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में भारत की ताकत कैसे मेक इन इंडिया बना इसका भी जिक्र किया.
मैकाले शिक्षा पद्धति का अंत
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आगे बोलते हुए कहा कि अंग्रेजाें के शासनकाल मैकाले ने लिखा था कि जब तक भारत की मूलभूत शिक्षा नीति के ढांचे को खत्म नहीं करते हैं, तब तक हम भारत को अर्थनीति और राजनीतिक तौर पर गुलाम नहीं बना सकते थे.
उन्होंने कहा कि इसी के अनुरूप मैकाले की शिक्षा पद्धति लागू की गई और उसी मैकाले नीति काे भारत में आजादी के बाद भी चलाए रखा गया. प्रधान ने आगे कहा कि 34 साल बाद पहली बार शिक्षा में मूलभूत परिवर्तन करते हुए नई शिक्षा नीति 2020 लाई गई, जिसका उद्देश्य देश को भारतीय शिक्षा प्रणाली की तरफ ले जाना है. आज हम भारतीय बच्चों को आत्मनिर्भर, निडर, स्वाभिमानी बनाने के लिए नई शिक्षा नीति की कई सिफारिशों को प्रयोग कर रहे हैं.
मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा
नई शिक्षा नीति में ये सिफारिश की गई थी कि अगर बच्चे की प्रारंभिक शिक्षा की पढ़ाई यानी पहले पांच साल मातृभाषा में पढ़ाया जाए तो अगर मातृभाषा में हो तो उसकी मौलिक चिंतन की स्पष्टता बढ़ेगी, नवाचार के लिए अगृणी रहेगा. उससे नया सृजन रहेगा. उन्हाेंने कहा कि भारत में नौजवानों के अंदर क्षमता है, उन्हें अपने हिसाब से विकसित होने के लिए हम संस्थानों को तैयार कर रहे हैं.
भारत में अभी 11 विदेशी यूनिवर्सिटी भारत आएंगी
शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा कि विश्व एक छोटा गांव हो चुका है, इंटरनेट के कारण हम चंद सेकेंड में किसी की खबर को दुनिया या भारत के किसी भी दूरंत इलाके में खबर पा सकते हैं. हमें शिक्षा के अंतरराष्ट्रीय करण की आवश्यकता है, इसीलिए भारत के संस्थान बाहर जा रहे हैं और विदेशों की यूनिवर्सिटीज भारत आ रही हैं. ऑस्ट्रेलिया और यूके की चार यूनिवर्सिटी भारत आ चुकी हैं, इसी सत्र में विदेश की 11 और यूनिवर्सिटियों को भारत लाया जा सकता है.
मेक इन इंडिया से भारतीय सेना के हाथ मजबूत हुए
कॉन्क्लेव में शिक्षा मंत्री प्रधान ने देश की वैज्ञानिक पराकाष्ठा से जुड़ा हुआ अपना अनुभव भी साझा किया. उन्होंने चंद्रयान 2 को लेकर इसरो के निदेशक के संबोधन का जिक्र करते हुए कहा कि इसरो के निदेशक ने कहा कि वे कम खर्च में इस प्रोजेक्ट को चलाएंगे. जिसके तहत वे आईआईटी पास आउट्स को ना लेकर भारत की इंजीनियर क्षमताओं वाली प्रतिभाओं से इस प्रोजेक्ट को चलाएंगे.
उन्हाेंने कहा कि भारत में प्रतिभा की कमी नहीं है. आईआईटी में भारत की अत्यधिक प्रतिभा पढ़ती है, जो दुनिया को प्रभावित करती है. लेकिन भारत की सामान्य इंजीनियरिंग क्षमता भी कम प्रतिभावान नहीं हैं. उन्होंने कहा कि अभी ऑपरेशन सिंदूर में प्रयाेग की गई ब्रह्मोस और आकाश जैसी मिसाइल मेक इन इंडिया से बनी हैं. इस बार युद्ध में भारतीय सेना को हाथों को मेक इन इंडिया से बने हथियारों ने मजबूत किया. ये प्रमाणित करता है कि अगर याेजना बनेगी तो नतीजे भी सामने आएंगे.
नई शिक्षा नीति में काेई भाषा थोपी नहीं गई
त्रिभाषा फार्मूले पर उपजे विवाद को लेकर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि देश के तीन राज्य राजनीतिक कारणों से इसका विरोध कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल ने भारतीय सरकार की तरफ से मिलने वाले फंड में गड़बड़ी की थी. पीएम पोषण के फंड को बंगाल सरकार ने कार्यकर्ता को दे दिया. इस पर केंद्र सरकार ने सवाल किया तो इससे नाराजगी बढ़ी.
तमिलनाडु ने बहाना बनाया कि हमने त्रिभाषा का विरोध किया. संसद में मैंने इसकाे उजागर किया. तमिलनाडु के स्कूलों में तीन भाषा पढ़ाई जाती है, जिसके तहत तमिल, अंग्रेजी के साथ तेलूगु, उर्दू भी पढ़ाया जाता है. वे 60 के दशक की अपनी हिंदी विरोधी विचारधारा को लागू करना चाहते हैं. केरल के शिक्षा मंत्री मुलाकात में सहमत थे. वापस लौटे तो पलट गए. प्रधान ने कहा कि नई शिक्षा नीति में किसी भाषा को थोपा नहीं किया गया है. छात्र जो पढ़ना चाहते हैं वह पढ़ाया जा रहा है.
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