ऑटिस्टिक बच्चों की देखभाल के जरूरी टिप्स – autestic bacho ki dekhbhal ke…

ऑटिस्टिक बच्चों की देखभाल केवल माता-पिता तक ही सीमित नहीं है, आस-पड़ोस के लोग, स्कूल, कॉलेज में टीचर्स यहां तक कि ऑटिज्म ग्रुप के लोगों को ऐसे बच्चों के व्यवहार से जुड़ी जरूरी जानकारी होनी चाहिए। ताकि बच्चे एक सुरक्षित और बेहतर वातावरण एंजॉय कर सकें।
ऑटिज्म एक प्रकार का जेनेटिक डिसऑर्डर है, जो बच्चों में जन्म के साथ आता है। यह बच्चों के व्यवहार, ग्रोथ और बोलचाल के तरीकों को प्रभावित करता है। ऑटिज्म कोई जानलेवा बीमारी नहीं है, यह मस्तिष्क से जुड़ी एक प्रकार की समस्या है, जिसमें लोगों का व्यवहार और उनके ग्रोथ की क्षमता सामान्य लोगों से काफी अलग होती है। वहीं इसका कोई निश्चित इलाज नहीं है, ऑटिज्म की स्थिति में समय के साथ सही देखभाल देकर स्थिति को इंप्रूव किया जा सकता है। वहीं प्रेगनेंसी के दौरान सही देखभाल की जाए तो बच्चों में इस तरह की समस्या नहीं होती।
ऑटिज्म (Autism) से ग्रसित बच्चों के माता-पिता को उनकी देखभाल के प्रति बेहद सावधान रहने की आवश्यकता होती है। परंतु देखभाल केवल माता-पिता तक ही सीमित नहीं है, आस-पड़ोस के लोग, स्कूल, कॉलेज में टीचर्स यहां तक कि ऑटिज्म ग्रुप के लोगों को ऐसे बच्चों के व्यवहार से जुड़ी जरूरी जानकारी होनी चाहिए। ताकि बच्चे एक सुरक्षित और बेहतर वातावरण एंजॉय कर सकें।
अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल, चिराग एन्क्लेव, दिल्ली की सीनियर कंसल्टेंट, काउंसिल एंड साइको थेरेपी, डॉ. नीलशा भेरवानी ने वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे के मौके पर ऑटिस्टिक बच्चों की देखभाल से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारी शेयर की है। ताकि ऐसे बच्चों को अधिक सुरक्षित महसूस करने में मदद मिल सके, साथ ही केयर टेकर को भी ज्यादा परेशानी न हो तो आईए जानते हैं, इस बारे में अधिक विस्तार से।
वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे (World Autism Awareness Day)
यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली ने 2 अप्रैल को वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे के रूप में मनाने की घोषणा की है। इसका मुख्य मकसद ऑटिज्म से ग्रसित व्यक्ति के जीवन गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए लोगों के बीच बेहतर जागरूकता बढ़ाना और लोगों को उनके मदद के लिए आगे आने के लिए प्रेरित करने से जुड़ा है।



ऑटिज्म क्या है?
ऑटिज्म एक न्यूरोडेवलपमेंटल स्थिति है, जो कम्युनिकेशन और व्यवहार को प्रभावित करती है और इसकी गंभीरता अलग-अलग हो सकती है। इस स्थिति में व्यक्ति के बोलचाल का तरीका और दूसरों के प्रति व्यवहार अलग हो सकता है। इसे लाइफ़लोंग कंडीशन कहा जाता है, जिसमें व्यक्ति को सरवाइव करने के लिए सपोर्ट की आवश्यकता होती है। वहीं कुछ व्यक्ति ऑटिज्म के साथ भी अकेले सरवाइव कर लेते हैं। एएसडी पीड़ित बच्चों के सीखने, आगे बढ़ने या ध्यान देने का तौर तरीका भी अलग होता है। ऐसी स्थिति में देखभाल, स्वीकृति और समर्थन बेहद महत्वपूर्ण है।
धैर्य से करें ऑटिस्टिक बच्चों की देखभाल
डॉ. नीलशा भेरवानी के अनुसार “ऑटिस्टिक बच्चे की देखभाल में धैर्य और प्यार सबसे जरूरी है। ऐसे बच्चों को समझने और उनकी जरूरतों के अनुसार व्यवहार करने से उन्हें सुरक्षित और खुशी महसूस होती है। उनकी दिनचर्या को नियमित रखना, उनके साथ खेलना और उनकी रुचियों को प्रोत्साहित करना फायदेमंद साबित हो सकता है।”
“माता-पिता को बच्चे के इशारों और प्रतिक्रियाओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि वे अपनी भावनाएं सामान्य तरीके से व्यक्त नहीं कर पाते। संचार के वैकल्पिक तरीकों, जैसे चित्रों या इशारों का उपयोग करना मददगार हो सकता है। बच्चे को हल्के-फुल्के शब्दों में समझाना और अधिक शोर-शराबे से बचाना जरूरी होता है।”

“पोषण का ध्यान रखना, उन्हें नियमित व्यायाम कराना और पर्याप्त आराम देने से उनकी सेहत बेहतर रहती है। डॉक्टर और विशेषज्ञों से समय-समय पर परामर्श लेना, उनकी विशेष जरूरतों को समझने में मदद करता है। सामाजिक और भावनात्मक विकास के लिए उन्हें प्यार भरे माहौल में रखना आवश्यक है, जिससे वे आत्मविश्वास महसूस करें और अपनी क्षमताओं को बेहतर बना सके।”
एक्सपर्ट बता रहे हैं ऑटिस्टिक बच्चों की देखभाल के लिए जरूरी टिप्स (How to take care of autistic kids)
1. पॉजिटिविटी पर ध्यान दें
किसी और की तरह, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार वाले बच्चे अक्सर पॉजिटिव प्रक्रिया पर अच्छी प्रतिक्रिया देते हैं। इसका मतलब है कि जब आप उनके अच्छे व्यवहार के लिए उनकी प्रशंसा करते हैं, तो इससे उन्हें अच्छा महसूस होगा और वे भविष्य में अच्छे व्यवहार करने की कोशिश करेंगे।
स्पष्ट रहें, ताकि उन्हें पता चल सके कि आपको उनके व्यवहार में क्या पसंद आया। उन्हें एप्रिशिएट करने के तरीके खोजें, आप उनके साथ खेलने जा सकते हैं, या उन्हें कुछ छोटे मोटे गिफ्ट के जरिए अप्रिशिएट कर सकती हैं।
2. डिसिप्लिन और टाइम मैनेजमेंट का ध्यान रखें
ऑटिस्टिक बच्चों के साथ अधिक डिसिप्लिन और रेगुलर रहने की जरूरत होती है, ताकि उन्हें मालूम हो कब किस चीज को करने का समय है। नियमित रहने से वे थेरेपी से जो सीखते हैं उसका अभ्यास कर पाते हैं।
इस प्रकार बच्चे जरूरी बातों को बेहतर ढंग से सीखने और समझते हैं, और उन्हें अलग-अलग स्थितियों में अपनी जानकारी लागू करने में मदद मिलती है। उनके शिक्षकों और चिकित्सकों से बात करें और बातचीत की तकनीक और तरीकों से तालमेल बिठाने की कोशिश करें ताकि आप जो सीख रहे हैं, उसे घर पर भी दोहराया जा सके।
3. खेलकूद और शारीरिक गतिविधियों में भाग लें
ऐसी गतिविधियों में भाग ले जो बच्चों को एंटरटेनिंग लगे, जो आपके बच्चे को खुलने और आपसे जुड़ने में मदद कर सके। वहीं देखे कि आपके बच्चे कौन सा खेल और कौन सी गतिविधियों में अधिक इंटरेस्ट ले रहे हैं, उन्हें जिसमें ज्यादा इंटरेस्ट हो वैसी गतिविधियों को अधिक से अधिक दोहराने का प्रयास करें।

4. उन्हें समय दें
आप अपने बच्चे के लिए सबसे अच्छा क्या है, यह पता लगाने के लिए संभवतः कई अलग-अलग तकनीकें, उपचार और दृष्टिकोण आजमाती होंगी। इस दौरान सकारात्मक रहें और अगर वे किसी विशेष विधि पर अच्छी तरह से प्रतिक्रिया नहीं देते हैं, तो निराश न हों।
अपने बच्चे को रोज़मर्रा की गतिविधियों के लिए साथ ले जाएं। अगर आपके बच्चे का व्यवहार अप्रत्याशित है, तो आपको उन्हें कुछ तरह की गतिविधियों और कामों में इंवॉल्व करने में संकोच हो सकता है, परंतु यह जरूरी है। जैसे कि आप सब्जी या राशन खरीदने अपने बच्चों के साथ जाएं, या सुबह की और शाम की वॉक पर उन्हें अपने साथ ले जाएं, इस प्रकार उन्हें अपने आसपास की दुनिया को समझने का बेहतर मौका प्राप्त होता है।
5. अपना विशेष ख्याल रखें
यदि आप ऑटिस्टिक बच्चे की केयर टेकर हैं, तो अपना भी उतना ही ध्यान रखें, ताकि आपको दिन-प्रतिदिन आने वाली चुनौतियों का सामना करने में आसानी हो सके। बच्चे चिकित्सक ने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल के लिए समय निकालें और जितना हो सके उतना स्वस्थ खाने की कोशिश करें। साथ ही साथ सेल्फ केयर जैसे की स्किन केयर, हेयर केयर आदि में पार्टिसिपेट करें। इससे आपको बेहतर महसूस होगा और आप बच्चे की देखभाल अधिक बेहतर ढंग से कर पाएंगी।
6. अपना तनाव कम करें
ऑटिज्म वाले बच्चों के माता-पिता बच्चों की तुलना में अधिक तनाव का सामना करते हैं। अगर इस पर ध्यान नहीं दिया जाता है, तो देखभाल करने वालों को रिश्तों में दरार और यहां तक कि मनोवैज्ञानिक विकारों का भी सामना करना पड़ सकता है। तनाव आपके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। खुद को तनाव से बचाने के लिए व्यवस्थित रहें।
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